आर्थिक गतिविधियां कंटेनमेंट जोन को छोड़ बाकी क्षेत्र में होंगी तेज
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली । कोरोना के कारण चल रहे लॉकडाउन को हटाने के लिए देशभर से जितनी आवाजें उठ रही हैं, उतनी ही आवाजें इसे एकमुश्त न हटाने को लेकर भी उठ रही हैं। बल्कि गैर भाजपा शासित कुछ राज्यों की ओर से तो इसे बढ़ाने का सुझाव दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिग बैठक में जिस तरह के विचार राज्यों से आए उन्हें देखते हुए माना जा सकता है कि फिलहाल लॉकडाउन में राहत तो मिलेगी लेकिन सावधानी और सतर्कता को लेकर कुछ बंदिशें जरूर लागू रहेंगी क्योंकि कोरोना के बदलते स्वरूप पर भी सरकार एक तरफ नज़र बनाये रखगी तो दूसरी तरफ इसको फैलने से रोकने पर भी सरकार नियंत्रण रखना चाहती है।
वहीं आगामी lock down को लेकर उम्मीद की जा सकती है कि सरकार ग्रीन के साथ साथ आरेंज और रेड जोन में भी थोड़ी और नरमी रख सकती है। जबकि कंटेनमेंट क्षेत्रों को छोड़कर बाकी में गतिविधियों को थोड़ा और सामान्य बनाया जा सकता है। वहीं औद्योगिक गतिविधियों को तेज करने के लिए जरूर अतिरिक्त नरमी बरती जाए लेकिन जीवन अभी सामान्य नहीं होंगे। आवागमन, मनोरंजन, शिक्षा जैसे क्षेत्रों में इंतजार करना पड़ेगा। लॉकडाउन 3 रविवार तक लागू है।
पिछले कुछ दिनों में केंद्र सरकार की ओर से लगातार राहत बढाई जा रही है। दरअसल यह विचार अब हावी हो रहा है कि लंबे समय तक लॉकडाउन नहीं रखा जा सकता है। और इसीलिए आगामी सोमवार से बड़ी राहत देने का मन था, लेकिन सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सभी मुख्यमंत्रियों की लंबी चर्चा में बिहार, पंजाब, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र ने खुलकर लॉकडाउन बढ़ाने का सुझाव दिया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि इसके बिना नहीं चल सकता है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राजनीति का भी सवाल उठाया लेकिन लॉकडाउन बढ़ाने की बात कही। तमिलनाडु ने भी रेल और हवाई सेवा से साफ मना कर दिया। राजस्थान की ओर से रेड जोन में पूरी पाबंदी का सुझाव आया।
वहीं प्रधानमंत्री ने अपने शुरूआती संबोधन में टीम वर्क पर जोर देते हुए कहा कि अब कोरोना के विस्तार का आकलन हो गया है। इसे एकजुट होकर ही हराना होगा। वहीं धीरे धीरे शुरू हो रही आर्थिक गतिविधियों को तेज भी करना होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने सफलता के साथ नियंत्रित किया है और वैश्विक स्तर पर इसे सराहा भी जा रहा है। आगे की राह पर बढ़ते हुए भी इसका ध्यान रखना होगा कि कोरोना का विस्तार न हो। हमें जरूरी सुरक्षा मानकों का ध्यान रखना ही होगा। दो सत्रों में चली बैठक में सभी मुख्यमंत्रियों को बोलने का अवसर दिया गया। अब तक ऐसी चार बैठकों में हर बार अलग-अलग सात आठ मुख्यमंत्रियों को ही बोलने का अवसर मिलता था।
कुल मिलाकर प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों की पांच घंटे तक चली बैठक में जो निष्कर्ष निकलता दिखाई दे रहा है उसके अनुसार देशवासियों को अब यह मानकर ही चलना होगा कि लॉकडाउन भी रहेगा और उनके शर्तों के साथ उसका पालन भी करना होगा जो उनके बचाव का एक मात्र रास्ता है। अब राज्य सरकारों को कोविड -19 की टेस्टिंग और उसके उपचार को गति देनी होगी। हालांकि मंगलवार से रेल सेवाओं का सीमित दौर शुरू हो रहा है। वहीँ सीमित स्तर पर अंतरर्देशीय हवाई सेवा भी शुरू किए जाने पर विचार चल रहा है। लेकिन राज्यों के कंटेनमेंट जोन में सरकार जरूर सख्ती बनाये रखेगी और बाकी के क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां तेज की जायेंगी लेकिन यह सब अब राज्यों को तय करना होगा कि वह अपने -अपने प्रदेशों में किस तरह की गतिविधयों को कैसे संचालित करती है।