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एनएच-74 मुआवजा घोटाले में फंसे आरोपित पांच पीसीएस अधिकारी बहाल

  • विभागीय जांच अंतिम निर्णय तक रहेगी जारी 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून । अपर मुख्य सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी द्वारा लगभग एक साल के अंतराल के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग-74 (हरिद्वार-ऊधमसिंहनगर-बरेली) चौड़ीकरण मुआवजा प्रकरण में निलंबित किए गए पांच पीसीएस अधिकारियों को राहत देते हुए शुक्रवार को इन्हें बहाल कर दिया है। हालांकि शासन स्पष्ट किया है कि इन सभी पर चल रही विभागीय जांच अंतिम निर्णय तक जारी रहेगी। यानि कि बहाली जांच के नतीजों की जद में रहेगी। इन्हें पदभार देने के आदेश अलग से बाद में जारी किए जाएंगे।

भाजपा सरकार ने वर्ष 2017 में सत्ता संभालने के बाद सबसे पहले एनएच-74 घोटाले का खुलासा किया था। आरोप ये थे कि अधिकारियों ने कृषि भूमि को अकृषि दिखाने के साथ ही मुआवजा राशि वितरण में भारी घोटाला किया। इस प्रकरण में दो आइएएस समेत सात पीसीएस अधिकारियों को निलंबित किया गया था। इसके अलावा दस्तावेज में किसान के रूप में दर्शाए गए गई लोगों को गिरफ्तार कर इनसे वसूली की कार्रवाई भी की गई।

इस प्रकरण में शासन पहले ही दो आइएएस अधिकारी पंकज कुमार पांडेय और चंद्रेश यादव के अलावा दो पीसीएस अधिकारियों को बहाल कर चुका है, जबकि घोटाले में नामजद दो पीसीएस अधिकारियों की जांच के बाद उन्हें भी कार्रवाई के दायरे से बाहर करते हुए बहाल कर दिया गया है। अब इस मामले में तकरीबन एक वर्ष से राजस्व परिषद से संबद्ध किए गए पांच पीसीएस अधिकारियों को बहाल कर दिया गया है।

बहाल होने वाले पीसीएस तीरथ पाल सिंह एडीएम रुद्रप्रयाग के पद पर तैनात थे। अनिल शुक्ला चमोली एसडीएम पद पर तैनात थे। डीपी सिंह के पास डिप्टी कलेक्टर ऊधमसिंह नगर का जिम्मा था। वहीं नंदन सिंह नगन्याल और भगत सिंह फोनिया डिप्टी कलेक्टर ऊधमसिंह नगर के पद पर तैनात थे। इन सब पर ऊधमसिंह नगर में तैनाती के दौरान दस्तावेजों में हेराफेरी के आरोप लगे थे। शुक्रवार को अपर मुख्य सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी द्वारा इन सबकी बहाली के आदेश दे दिया गए हैं।

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