NATIONAL

उत्तराखंड के पांच बच्चों ने आईएएस में मारी बाज़ी

देहरादून : उत्तराखण्ड चमोली के कोठुली गांव के हेमंत सती, 88 वां रेंक लेकर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बने और रुद्रप्रयाग जिले के मुकुल जमलोकी ने सिविल सेवा परीक्षा में 609वीं रैंक हासिल की है.

संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में उत्तराखंड के युवाओं ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। देर शाम तक आए नतीजों में उत्तराखंड के पांच युवाओं ने परीक्षा में कामयाबी हासिल की है। 
नाम                         रैंक
हेमंत सती                88
सौम्या गुरुरानी        148
हिमाद्री कौशिक       304
रितेश भट्ट                361
मुकुल जमलोकी      609
 
उत्तराखंड में चमोली जिले के एक छोटे से  गांव कोठली का बेटा हेमंत सती वहीँ उत्तराखण्ड चमोली के कोठुली गांव के हेमंत सती पुत्र श्री कान्ता प्रसाद सती 88 वां रेंक लेकर भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा पास कर आईएएस बन गया है। परीक्षा में हेमंत ने देशभर में 88वां स्थान हासिल किया है। हेमंत ने प्राइमरी  चौखुटिया, अल्मोड़ा के सरस्वती शिशु मंदिर से किया। जंहा उन्हें रोजाना तीन किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाना पड़ता था। इसके बाद उन्होंने राजकीय इंटर कॉलेज चौखुटिया से 12वीं पास की। और फिर  देहरादून के DBS पीजी कॉलेज से BSC- PCM किया।
 
इसके बाद इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से इतिहास में एमए किया। और फिर वह सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गए। हेमंत ने 2013 की राजस्थान पीसीएस परीक्षा पास की है, जिसका परिणाम हाल ही में आया है। हेमंत को इस परीक्षा में पांचवी बार प्रयास करने पर सफलता मिली है।
हेमंत से परीक्षा में उत्तराखंड आपदा प्रबंधन और पलायन जैसे विषयों पर भी सवाल पूछे गए। हेमंत का सपना है कि वो अफसरशाही को जनता तक ले जाये और उत्तराखंड के लिए कुछ करे।

 उत्तराखंड से मूलरूप से रुद्रप्रयाग जिले के रविग्राम निवासी डा. ओम प्रकाश जमलोकी और इंदु जमलोकी के पुत्र मुकुल जमलोकी ने सिविल सेवा परीक्षा में 609वीं रैंक हासिल की है। बड़ी बात ये है की मुकुल ने पहले ही प्रयास में यह सफलता हासिल की है।

मुकुल ने इंजीनियरिंग के बाद स्विस कंपनी की जॉब छोड़कर एक साल तक परीक्षा की तैयारी की। 10वीं तक की पढ़ाई ब्राइटलैंड स्कूल से हुई है। जबकि 12वीं की पढ़ाई दिल्ली के स्प्रिंग डेल्स स्कूल से की। इसके बाद इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी के भारती विद्यापीठ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की। उन्हें स्विस कंपनी एबीबी में बैंगलोर में जॉब मिल गई लेकिन उनका मन सिविल सेवा में रमता था। इसलिए जॉब छोड़कर वापस दिल्ली आ गए। मुकुल ने एक साल तक सिविल सेवा परीक्षा की जमकर तैयारी की और पहले ही प्रयास में उन्हें यह सफलता मिल गई। छोटी बहन गरिमा जमलोकी हापुड के सरस्वती मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रही है।

सिविल सर्विस टॉपर्स की जुबानी उनकी कहानी

नई दिल्ली : देश की सबसे प्रतिष्ठित भर्ती परीक्षा मानी जाने वाली सिविल सर्विस परीक्षा के नतीजे बुधवार शाम घोषित कर दिए गए। तीन राउंड्स में होने वाली इस परीक्षा को पास करना काफी मुश्किल माना जाता है। कुछ उम्मीदवार जहां सालों की कड़ी मेहनत और अटेम्प्ट्स के बाद इसे पास कर पाते हैं, वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं जिन्हें पहली कोशिश में ही सफलता मिल जाती है। बुधवार को आए नतीजों के टॉप करने वाली नंदिनी के.आर को यह सफलता चौथे प्रयास में मिली तो चौथे नंबर पर रहीं इलाहाबाद की सौम्या पांडे ने पहले कोशिश में ही झंडे गाड़ दिए। आपको बताते हैं कि परीक्षा में सफल रहे टॉप कैंडिडेट्स ने अपनी कामयाबी पर किसने क्या कहा:-

नंदिनी के.आर (टॉपर)
2014 की सिविल सर्विस परीक्षा पास करे के IRS ऑफिसर बनने वालीं नंदिनी ने कहा, ‘यह मेरे लिए बहुत खुशी का पल है। एक सपने के सच होने जैसा है, मैं हमेशा से IAS ऑफिसर बनना चाहती थी। मैं देश के शिक्षा क्षेत्र में योगदान देना चाहती हूं।’ नंदिनी अभी फरीदाबाद स्थित राष्ट्रीय सीमा-शुल्क, उत्पाद शुल्क एवं नारकोटिक्स अकादमी में ट्रेनिंग ले रही हैं।

अनमोल शेर सिंह बेदी (दूसरा रैंक)
ओवरऑल दूसरा रैंक हासिल करने वाले अनमोल शेर सिंह बेदी ने लड़कों में टॉप किया है। राजस्थान के BITS, पिलानी से कंप्यूटर सायेंस में इंजिनियरिंग करने वाले अनमोल ने अपनी सफलता पर कहा, ‘यह सब ईश्वर की दया से हुआ है। मुझे तो इस पर विश्वास ही नहीं हो रहा है।’

सौम्या पांडे (चौथा रैंक)
पहले ही प्रयास में चौथा स्थान हासिल करने वाली इलाहाबाद की सौम्या पांडेय ने कहा, ‘बीटेक करने के बाद मैंने इंजिनियर बनना इसलिए स्वीकार नहीं किया क्योंकि मैं महिलाओं और लड़कियों के लिए कुछ बड़ा करना चाहती थी। यह मौका मुझे प्रशासनिक सेवा में आकर ही मिलता। सोसायटी में बड़ा बदलाव शिक्षा के जरिए ही लाया जा सकता है, इसीलिए मैंने 2015 के बाद आईएएस की तैयारी इलाहाबाद में ही रहकर शुरू की।’ सौम्या ने 2015 में इलाहाबाद के MNIIT से इलेक्ट्रिकल इंजिनियरिंग में बीटेक किया था। वह गोल्ड मेडलिस्ट रही हैं।सौम्या ने कहा, ‘आजादी के सत्तर साल बाद भी महिलाओं की स्थिति में कुछ खास बदलाव नहीं आया है, यह चिंता का विषय है। मेरा प्रयास होगा कि यूपी कैडर लेकर महिलाओं और लड़कियों के लिए काम कर सकूं।’

बिलाल मोहिउद्दीन भट (दसवां रैंक)
कश्मीर के रहने वाले बिलाल मोहिउद्दीन भट को सिविल सेवा परीक्षा में 10वां रैंक मिला है। भारतीय वन सेवा के अधिकारी बिलाल अभी लखनऊ में तैनात हैं। बिलाल ने कहा, ‘शब्दों से मेरी भावनाएं शायद बयां नहीं हो सकती हैं। मैं आज खुद को दुनिया के शीर्ष पर महसूस कर रहा हूं ।’ बिलाल ने आगे कहा, ‘मैं इस कहावत में यकीन करता हूं- बार-बार, बार-बार कोशिश करो । मैं 2010 से ही कोशिश कर रहा था।’ सरकारी कॉलेज से पढ़ाई कर चुके बिलाल ने कश्मीर प्रशासनिक सेवा और बाद में भारतीय वन सेवा में भी सफलता हासिल की थी। उन्होंने कहा, ‘मेरा लक्ष्य IAS बनना था और अब मुझे अपना गृह कैडर मिलने का यकीन है।’

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »