रणवीर अल्लाहबादिया और समय रैना के खिलाफ एफआईआर, 10 साल तक की हो सकती है सजा…
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रणवीर अल्लाहबादिया और समय रैना 10 साल तक खा सकते हैं जेल की हवा, जानिए क्यों
Ranveer Allahbadia controversy: रणवीर अल्लाहबादिया और कॉमेडियन समय रैना समेत 5 लोगों की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। असम में 5 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है। इसके अलावा, बॉलीवुड से लेकर सोशल मीडिया तक लोग भड़के हुए हैं। रणवीर का माफीनामा भी काम नहीं आ रहा है। जानते हैं-
नई दिल्ली: यू-ट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया और कॉमेडियन समय रैना की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। हाल ही में रणवीर कॉमेडियन समय रैना के शो इंडियाज गॉट लेटेंट शो (India’s Got Latent Show) में नजर आए थे, जहां उन्होंने एक कंटेस्टेंट से माता-पिता के अंतरंग संबंधों को लेकर आपत्तिजनक बात कही थी। इसे लेकर पूरे देश में नाराजगी है। बॉलीवुड से लेकर आम आदमी तक इसका विरोध कर रहा है। असम में रणवीर समेत पांच लोगों के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज किया है। इस बात की जानकारी खुद असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दी। दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट अनिल कुमार सिंह श्रीनेत से जानते हैं कि इन आरोपियों के खिलाफ किन-किन मामलों में केस दर्ज है और इन पर किन मामलों में कितनी सजा हो सकती है।
रणवीर-रैना समेत 5 पर लगे हैं ये गंभीर आरोप
जानकारी के अनुसार पांचों लोगों पर अश्लीलता को बढ़ावा देने और यौन रूप से स्पष्ट और अश्लील चर्चा में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। एफआईआर में 31 वर्षीय पॉडकास्टर के अलावा, शो में आशीष चंचलानी, जसप्रीत सिंह, अपूर्वा मखीजा और समय रैना का नाम भी शामिल है। यूट्यूबर के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज की गई हैं। असम पुलिस ने सबसे पहले इनके खिलाफ मामला दर्ज किया है। दरअसल, गुवाहाटी क्राइम ब्रांच ने साइबर पीएस केस नंबर 03/2025 के तहत बीएनएस 2023 की धारा 79/95/294/296 के साथ-साथ आरोपियों के खिलाफ आईटी एक्ट, 2000 की धारा 67, सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952 की धारा 4/7 और महिलाओं का अश्लील चित्रण (निषेध) अधिनियम, 1986 की धारा 4/6 के तहत मामला दर्ज किया है।
BNS की धारा 294: 5 साल तक की जेल और जुर्माना भी
एडवोकेट अनिल कुमार सिंह श्रीनेत के अनुसार, भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 294 के तहत अश्लील सामग्री की बिक्री, वितरण और सार्वजनिक प्रदर्शन को अपराध माना गया है। इस धारा के तहत अपराध संज्ञेय और जमानती होते हैं। इसका मतलब है कि पुलिस थाने में FIR दर्ज की जा सकती है और आरोपी को जमानत पर छोड़ा जा सकता है। इस धारा के तहत इन सजाओं का प्रावधान है।
BNS की धारा 95: 3 से 10 साल तक की सजा
एडवोकेट अनिल सिंह के अनुसार, बीएनएस की धारा 95 के तहत किसी अपराध को करने के लिए किसी बच्चे को काम पर रखना, नियोजित करना या उससे जुड़ना जैसी बातें शामिल हैं। उसे कम से कम 3 साल की कैद की सजा हो सकती है, जिसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है। साथ ही जुर्माना भी देना पड़ सकता है। यदि बच्चा अपराध करता है तो बच्चे को काम पर रखने या नियोजित करने वाले व्यक्ति को भी उसी तरह दंडित किया जाएगा जैसे कि उसने खुद अपराध किया हो। इस धारा में स्पष्ट रूप से यौन शोषण या पोर्नोग्राफी के लिए बच्चे को काम पर रखना शामिल है।
BNS की धारा 79: महिला के अपमान में 3 साल जेल
अनिल सिंह बताते हैं कि बीएनएस के सेक्शन 79 के तहत यदि कोई व्यक्ति किसी महिला की लज्जा भंग करने या उसके सम्मान को ठेस पहुंचाने के अपराध का दोषी पाया जाएगा। उसे इस अपराध की सजा के तौर पर 3 साल तक की कारावास व जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। इसके तहत किसी महिला के शील का अपमान करने के इरादे से कोई शब्द, इशारा या कार्य इसी धारा के तहत आता है।
आईटी एक्ट की धारा 67: 3 साल तक की जेल
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 के तहत इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अश्लील सामग्री प्रकाशित या प्रसारित करने पर दंड का प्रावधान है। इस धारा के तहत पहली बार दोषी पाए जाने पर अधिकतम 3 साल की जेल और 5 लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है। इस धारा के तहत अश्लील सामग्री के प्रकाशन या प्रसारण के लिए अलग-अलग गंभीरता की सजा हो सकती है।
सिनेमैटोग्राफ एक्ट की धारा 4: फिल्मों की जांच
सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 की धारा 4 फिल्मों की जांच के प्रावधान से जुड़ा है। धारा 4 के तहत, अगर आप कोई फिल्म जनता को दिखाना चाहते हैं, तो आपको पहले बोर्ड में आवेदन करना होगा और प्रमाणपत्र मांगना होगा। बोर्ड फिल्म की समीक्षा करेगा या किसी और से समीक्षा करवाएगा और फिर फैसला करेगा कि फिल्म को सभी को दिखाने की अनुमति दी जा सकती है।
हालांकि, यदि बोर्ड को लगता है कि फिल्म में ऐसी सामग्री है जो 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए ठीक नहीं है, तो वे अभी भी सभी को इसे देखने की अनुमति दे सकते हैं। मगर, वह यह कह सकता है कि माता-पिता को यह तय करना चाहिए कि यह उनके छोटे बच्चों के लिए ठीक है या नहीं। या वह केवल वयस्कों को ही फिल्म देखने की अनुमति दे सकता है।
सिनेमैटोग्राफ एक्ट की धारा 7: 3 साल तक की जेल
एडवोकेट अनिल कुमार सिंह श्रीनेत के अनुसार, सिनेमैटोग्राफ अधिनियम की धारा 7 में सेंसरशिप के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए सजा का प्रावधान है। इस धारा के तहत सेंसरशिप से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना और जेल की सजा हो सकती है। सेल्युलाइड फिल्मों के मामले में 3 साल तक की जेल या एक लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। वीडियो फिल्मों के मामले में कम से कम 3 महीने की जेल या 20,000 रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। लगातार अपराध करने पर प्रतिदिन 20,000 रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। ट्रायल कोर्ट फिल्म को सरकार को जब्त करा सकता है।
यह कहकर मुश्किलों में फंसे थे रणवीर
रणवीर ने एक व्यक्ति से सवाल पूछा था कि क्या आप अपने माता-पिता को अपने जीवन के बाकी हिस्से के लिए हर दिन संबंध बनाते हुए देखेंगे या एक बार इसमें शामिल होंगे और इसे हमेशा के लिए रोक देंगे? उनके इस बयान को लेकर लोग भड़के हुए हैं। हालांकि, उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट कर माफी भी मांग ली है, मगर यह विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है।
‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ शो कई बार विवादों में आ चुका है। कॉमेडियन जेसी नबाम ने ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ शो में अरुणाचल प्रदेश के लोगों के कुत्ते का मांस खाने के बारे में टिप्पणी की थी, जिसे लेकर जमकर विवाद हुआ था। इससे पहले एक अन्य शो में बालीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की प्रेग्नेंसी और डिप्रेशन को मजाक बनाया गया था।