Uttarakhand

एक NGO यदि एक गांव भी लेता गोद तो बदल जाती उत्तराखंड की तस्वीर !

  • उत्तराखंड राज्य में 16674 गांव और हैं  51675  एनजीओ
  • हर साल मिलता है करोड़ों रुपया लेकिन जाता कहाँ नहीं पता 

चंद्र प्रकाश बुडाकोटी ”प्रकाश”

उत्तराखंड में जिस गति से पलायन हुआ उसी गति से गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने भी राज्य में दस्तक दी लेकिन जिस हिसाब से NGO की तादाद बड़ी है और जिस उद्देश्य से इनको बनाया गया यदि कुछ एक को छोड़ दें  तो अधिकांश NGO दिशा विहीन हो गए प्रतीत होते हैं । सरकारी आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड राज्य में 16674 गांव है और 51675 गैर सरकारी संगठन,यानी हर एक गांव के हिस्से में तीन एनजीओ आते हैं और यदि इस लिहाज से देखें  यदि इन NGO ने ईमानदारी से काम किया होता तो सूबे के गांवों की तस्वीर और तक़दीर ही बदल जाती लेकिन हकीकत किसी से छुपी नहीं है।

इन सभी NGO के कार्य क्षेत्र देखें तो लगभाग सभी ग्राम्य विकास , पर्यावरण, शिक्षा, स्वरोजगार, महिला उत्थान स्वास्थ्य,जैसे अहम मसलों  पर कार्य करने बताये जा रहे हैं । लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है जिस स्पीड से उत्तराखंड के गांवों से पलायन  हो रहा है उससे लगता है कि ग्राम्य विकास पर कार्य करने वाले एनजीओ भी सिर्फ कागजी हो गए हैं ।प्र

देश में इन सत्रह सालों में एनजीओ की बाढ़ ने उद्योग का रूप ले लिया है। राज्य और केंद्र से मिलने वाली सहायता में भी इजाफा हुआ है।लेकिन रिजल्ट शून्य साबित हो रहा है।औसतन तीन एनजीओ एक गांव पर फोकस करते तो गांवों  की दशा दिशा कब की बदल चुकी होती। जिस ओर भी सरकार को ध्यान देने की जरूरत है। गांवो पर आधारित इन गैर सरकारी संगठनों के लिहाज से गांव की तस्वीर बदल जानी चाहिए थी ,मगर हकीकत किसी से छुपी नहीं  है।पहाड़ी गांवों में न तो पलायन रुका और  नहीं ही  सुविधाओं का विस्तार ही हो पाया।

सूबे में पंजीकृत NGO पर यदि नज़र डालें तो आश्चर्य होता है राज्य के देहरादून 12163, पौड़ी 6187, हरिद्वार 6053, अल्मोड़ा 5026, टिहरी 4841, उधमसिंहनगर 4202, चमोली 3297, पिथौरागढ़ 2943, उत्तरकाशी 2087, नैनीताल 1942, रुद्रप्रयाग 1359, चम्पावत 904, बागेश्वर 671 में एनजीओ रजिस्टर्ड हैं ।

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »