आज भी उत्तराखंड के 65 राजस्व ग्राम व 4,758 तोक अंधेर में
उत्तराखंड विधानसभा प्रश्नकाल
इन इलाकों का नहीं हो पाया विद्युतीकरण
हरीश धामी ने आबकारी मंत्री से किया सवाल
सदन में गूंजा अवैध शराब का मुद्दा भी
सरकार ने कहा, तस्करी रोकने को कर रहे हैं प्रवर्तन दल कार्य
देहरादून । राज्य की चौथी विधानसभा का गठन होने के बाद भी आज तक यह उत्तराखण्ड राज्य ऊर्जा प्रदेश बनने को तरस रहा है। हैरानी व इस राज्य के लिए बड़ा दुर्भाग्य यह है कि आज भी प्रदेश के अन्दर 65 राजस्व ग्राम तथा 4758 तोक अथवा मजरे विद्युत सुविधा से विहीन है। आज विधानसभा के बजट सत्र में प्रश्न काल के दौरान विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने यह महत्वपूर्ण मामला उठाया और सरकार को घेरा।
विधानसभा सत्र में प्रश्नकाल के दौरान विधायक प्रीतम पंवार ने इस मामले को सदन में उठाकर एक पल को सरकार के लिए परेशानी उत्पन्न कर डाली थी। उर्जा प्रदेश कहे जाने वाले उत्तराखण्ड में तमाम गांव आज भी बिजली से वंचित होने के कारण यह राज्य आखिर कितना अधिक पिछड़ा हुआ है इसका स्वतः ही अनुमान लगाया का सकता है। विधायक प्रीतम सिंह पंवार के द्वारा उठाये गये सवाल के जवाब में सरकार की ओर से संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत ने सदन को अवगत कराया कि राज्य में वर्तमान समय में कुल 65 राजस्व गांव व 4758 तोक अथवा मजरे विद्युत सुविधा विहीन हैं। पंत ने कहा कि राज्य सरकार इस दिशा में गंभीरता से कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि आगामी मार्च 2019 तक सभी गांवों तक बिजली पहुंचा दी जाएगी।
संसदीय कार्यमंत्री ने यह भी कहा कि 65 में से 48 राजस्व ग्रामों को सोलर लाईट से जोड़ने की योजना है, ताकि गांवों को विद्युत सुविधा हासिल हो सके। इस योजना के लिए सरकार ने टैंडर भी करा लिये है। यहां यह गौरतलब है कि उत्तराखण्ड राज्य गठन से लेकर अब तक 17 वर्षों में सभी सरकारें उत्तराखण्ड को उर्जा प्रदेश बनाने के सपने न सिर्फ जनता को दिखाती चली आ रही है, तो वहीं प्रदेश को भी गुमराह किया जाता रहा है। इन 17 वर्षों के लम्बे अंतराल में सरकारें राज्य को उर्जा प्रदेश बनाने की दिशा में जनता के दरवार में सिर्फ छल कपट की राजनीति करती आयी है। ये आरोप सरकारों पर भी लगते चले आ रहे है।
वहीं, भाजपा के विधायक महेन्द्र भटट के एक सवाल के जवाब में बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्या ने कहा कि राज्य में आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को जो वेतन दिया जा रहा है वह पूरे देश की तुलना में सर्वाधिक है। उन्होंने कहा कि यह वेतनमान 6 हजार रूपये है। जबकि सहायक आंगनवाड़ी कार्यकत्री को 3 हजार व मिनी कार्यकत्री को 33 सौ रूपये राज्य सरकार दे रही है। इसके अलावा भी प्रदेश सरकार उनका ध्यान करते हुए15 दिन का अवकाश भी प्रदान कर रही है।
वहीँ विधानसभा में आज कई सवालों को लेकर त्रिवेन्द्र सरकार जहां सदन के भीतर घिरी रही तो वहीं अवैध शराब का मामला भी उठाया गया। कांग्रेस के हरीश धामी ने अवैध शराब के मामले को लेकर सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े किये।
हरीश धामी ने आबकारी मंत्री से सवाल किया कि क्या राज्य सरकार की नयी आबकारी नीति से उत्पन्न स्थिति के कारण राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में अवैध शराब का कारोबार फल फूल रहा है? आबकारी मंत्री ने कहा कि आबकारी विभाग के अन्तर्गत अवैध शराब का कारोबार रोकने के उददेश्य से जनपद स्तर, मंडल व मुख्यालय स्तर पर प्रवर्तन दल गठित किये गये है। जो कि राज्य मेंतथा अन्तरराज्यीय चैक पोस्टों पर निरंतर प्रवर्तन कार्य कर रहे हैं। इसके अलावा राज्य में अवैध शराब की तस्करी को रोकने के लिए आबकारी, पुलिस, राजस्व प्रशासन की संयुक्त टीम का गठन कर प्रवर्तन कार्य किया जा रहा है। अवैध शराब की तस्करी रोकने के लिए 40 अपराध निरोधक क्षेत्रों के गठन करने की बात भी आबकारी मंत्री ने सदन में कही।
इसके अलावा कांग्रेस के गोविंद सिंह कुंजवाल ने भी अवैध शराब पर सरकार की नई नीति पर सवाल खड़े किये। कुंजवाल का कहना था कि शराब की नई नीति से राज्य के अन्दर अवैध वसूली बढ़ रही है। शराब की दुकानें देर तक खोली जा रही हैं और ऐसा होने से विभागीय अधिकारियों के वारे न्यारे हो रहे है। उन्होंने कहा कि शराब की दुकाने निर्धारित समय से देर तक खुली रहती हैं, इससे अवैध वसूली हो रही है।