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एनएच-74 घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाही

विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी डीपी सिंह सहित 23 लोगों की 21.96 करोड़ रुपये की संपत्ति को किया अटैच

राजेन्द्र जोशी 

देहरादून : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाही करते हुए एनएच-74 घोटाले में विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी डीपी सिंह सहित 23 अन्य लोगों की 21.96 करोड़ रुपये की संपत्ति को अटैच कर दिया है। अभी तक 211 करोड़ के घोटाले की पुष्टि हो चुकी है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने यह कार्रवाही राष्ट्रीय राजमार्ग 74 के चौड़ीकरण से संबंधित मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) के प्रावधान के तहत की है। आरोप है कि भूमि अधिग्रहण अधिकारी (डीपी सिंह) सहित अन्य ने भूमि मालिकों ,किसानों और बिचौलियों से संबंधित 21.96 करोड़ रुपये की अचल सम्पति कमाई है।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से मिली जानकारी के अनुसार संपत्ति अटैचमेंट की यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत ईडी के उपनिदेशक (उत्तराखंड) रवींद्र जोशी के नेतृत्व में की गई। अटैच की गई संपत्तियों में कृषि/औद्योगिक भूमि, वाणिज्यिक भूखंड और भवनों से मिलकर उत्तराखंड के जिला देहरादून, उधमसिंह नगर और उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में स्थित 36 अचल संपत्तियां और 11 बैंक खाता जमा/म्युचुअल फंड से युक्त चल संपत्तियां शामिल हैं।

पीएमएलए के तहत जांच उत्तराखंड पुलिस द्वारा दिनेश प्रताप सिंह और अन्य राजस्व अधिकारियों व अधिकारियों, किसानों और बिचौलियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर और चार्जशीट के आधार पर शुरू की गई थी जिसमें पता चला कि तत्कालीन विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी डीपी सिंह के अधीन काम कर अनिल शुक्ला भूमि अधिग्रहण के सक्षम प्राधिकारी की हैसियत से गैर कृषि दर पर मुआवजा प्रदान करके सरकारी धन की हेराफेरी के लिए अन्य लोक सेवकों, किसानों और बिचौलियों के साथ षड्यंत्र रचा ।

जिसकी जांच में पाया गया कि गैर कृषि दर पर मुआवजा कृषि दर से काफी अधिक है। उत्तर प्रदेश जमींदारी भूमि सुधार अधिनियम, 1950 (यूपी जेडए एलआर अधिनियम) की धारा 143 के तहत पारित पूर्व दिनांकित आदेश के आधार पर अधिक मुआवजा दिया गया ताकि कृषि से गैर कृषि में भू-उपयोग में परिवर्तन किया जा सके और राजस्व अभिलेखों व दस्तावेजों में बाद में वापस दिनांकित प्रविष्टियों को राजस्व अभिलेखों व दस्तावेजों में बदल दिया जाए और फर्जी वापस दिनांकित दस्तावेजों को मुआवजा देने व वितरित करने के समय वास्तविक के रूप में अनुमान लगाया गया जिसके परिणामस्वरूप 215.11 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

यहां जारी एक बयान में बताया गया है कि अब तक की गई पीएमएलए के तहत की गई जांच में पता चला है कि जिन किसानों और भू-स्वामियों को अधिक मुआवजा मिला था, उन्होंने अचल संपत्ति खरीदने, बैंक में जमा करने और राजस्व अधिकारियों व अधिकारियों को कमीशन देने में अतिरिक्त राशि का उपयोग किया था । इस मामले में अभी आगे की जांच चल रही है।

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