LAW & ORDERsUTTARAKHAND

हाई कोर्ट के आदेश के बाद घांघरिया में वन भूमि पर अतिक्रमण होगा ध्वस्त

अतिक्रमण की जद में आए 49 होटल सहित आधा गुरुद्वारा

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

वन विभाग ने शुरू की अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई 

नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क वन प्रभाग के अधिकारी बृज मोहन भारती का कहना है यह पूरी जमीन राष्ट्रीय पार्क के तहत आती है और यहां जितने भी निर्माण हुए हैं इनमें पिछले 50 वर्षों से लोगों ने अवैध कब्जा किया हुआ है।
अब इसको लेकर उत्तराखंड हाई कोर्ट द्वारा हमें निर्देशित किया गया है कि सारे अवैध निर्माण पूरी तरह से ध्वस्त किए जाएं। इसके बाद हमने काम शुरू कर दिया है। उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश के बाद वन विभाग ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू कर दी है।
इसके लिए पुलिस और प्रशासन से सहयोग मांगा गया है। सहयोग मिलते ही ध्वस्तीकरण शुरू कर दिया जाएगा। फिलहाल सीलिंग शुरू हो चुकी है। स्थानीय 49 लोगों और गुरुद्वारा द्वारा 2।10 हेक्टेयर में अवैध निर्माण है।
जोशीमठ : वन भूमि पर अतिक्रमण की जद में आए फूलों की घाटी और हेमकुंड साहिब के मुख्य पड़ाव घांघरिया में बनाये गए 49 होटल पूर्णतः जबकि गुरुद्वारा का आधा ध्वस्त किया जाएगा। मामले के संज्ञान में आने के बाद आपदा पीडित भ्यॅूडार के ग्रामीण ने सरकार का दरवाजा खटखटाया है।  वन महकमे ने प्रबंधक गुरूद्वारा सहित कुल 49 लोगो को बेदखली का नोटिस थमाया। मुख्य सचिव के दरबार मे मामला पंहुचा।
उत्तराखंड हाई कोर्ट नैनीताल के आदेश के बाद नंदा देवी राष्ट्रीय वन प्रभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है। वहीं हाई कोर्ट के आदेश की जानकारी मिलने के बाद से यहां किसी तरह अपनी रोजी -रोटी चला रहे व्यवसायी और स्थानीय रोजगार पाने वाले लोग परेशान हैं। 
गौरतलब हो कि सिक्खों के पवित्र धार्मिक स्थल हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी यात्रा का प्रमुख पड़ाव जहाँ से एक रास्ता हेमकुंड की तरफ निकलता है जबकि दूसरा विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी की तरफ निकलता है। 
गोविन्द घाट से यहाँ की दूरी लगभग 14 किलोमीटर है। दोनों तरफ जाने वाले श्रद्धालओं और सैलानियों का घांघरिया प्रमुख पड़ाव है जहाँ वे या तो रात्रि विश्राम करते हैं या फिर जलपान कर कुछ समय के लिए विश्राम करते हैं।  क्योंकि गोविन्द घाट के बाद यही एक स्थान हैं जहाँ विश्राम करने के साथ ही जलपान आदि की सुविधाएँ हैं।
गौरतलब हो कि वर्ष 2013 की भीषण आपदा मे भ्यूॅडार व पुलना गाॅव पूरी तरह से आपदा की भेंट चढ गए थे और यहाॅ के सैकडो परिवार जोशीमठ व आस-पास के क्षेत्रो में महीनों तक खानाबदोशी की जिंदगी जीते रहे। लेकिन अब अचानक घांघरिया से भी बेदखली के नोटिस के बाद ग्रामीण बेहद दुखी व परेशान हैं। वास्तव में घाॅधरिया के चार महीने के पर्यटन व तीर्थाटन ब्यवसाय पर ही इनके परिवारो का वर्षभर भरण-पोषण होता रहा है। अब अतिक्रमण हटाए जाने को लेकर ग्रामीण काफी चिंतित है।

Related Articles

Back to top button
Translate »