UTTARAKHAND

हरीश रावत की राजनीतिक सक्रियता से कभी कांग्रेस होती है बैचैन तो कभी भाजपा

 विपक्ष के नेता भी हैं हरदा की जीवटता के हैं कायल

मौसमी फलों और उत्पादों की पार्टी के आयोजन से चर्चाओं में रहते हैं ”हरदा”

राजेन्द्र जोशी

देहरादून: विधायकों की खरीद फरोख्त के स्टिंग को लेकर सीबीआइ जांच का सामना कर रहे कांग्रेसी दिग्गज और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की राजनीतिक जमीन पर हमेशा सक्रियता बनी रहती है। यही कारण है कि उनकी सक्रियता से कभी खुद कांग्रेस ही बेचैन हो जाती है तो भाजपा का बेचैन होना लाज़मी है क्योंकि वह सत्ता में है। इस सबके के बावजूद हरीश रावत लगातार प्रादेशिक मौसमी फलों और उत्पादों का कांग्रेसियों सहित पत्रकारों को रसास्वादन करवाते रहते हैं। मौसम आजकल पहाड़ी ककड़ी का है सो हरदा ने परसों यनि शनिवार को ककड़ी की दावत रखी है। 

कांग्रेस में सत्ता से बाहर होने की बाद और भाजपा को मिले प्रचंड जनादेश के बाद बनी भाजपा सरकार के बाद भले ही कोई भी अन्य कांग्रेसी नेता उतना सक्रिय नहीं दिखाई दिया जितने सक्रिय हरदा दिखाई देते रहे हैं।  भले ही मामला सीबीआई जांच का हो उन्होंने जनता के बीच जाकर सहानुभूति ही पायी है।  न्यायिकस्तर पर क्या परिणाम होंगे यह तो अभी भविष्य के गर्भ में है लेकिन  हरदा (हरीश रावत) ने मैदान नहीं छोड़ा और लगातार जनता के बीच रहे।

हरदा की इसी अदा के कायल भाजपा के दिग्गज नेता भी रहे हैं। भाजपा के दिग्गज नेताओं का मानना है कि हरीश रावत जैसे जीवट का नेता कांग्रेस क्या उनकी पार्टी में भी नहीं जो विपरीत परिस्थितियों में भी जनता के साथ और आसपास दिखाई देते हैं। एक चर्चा के दौरान इनका मानना था भले ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह हैं लेकिन वे उत्तराखंड से सर्वमान्य नेता नहीं बन पाए क्योंकि उन्होंने कभी चकराता विधानसभा से आगे यमुना पुल क्रॉस नहीं किया। वहीँ जहाँ तक डॉ. इंदिरा हृदयेश के बारे में इन नेताओं की टिपण्णी थी वह भी काफी हद तक सही नज़र आती है उनका मानना है पंडित नारायण दत्त तिवारी की सरकार तक तो वे प्रदेशस्तर की नेता बन चुकी थी लेकिन उसने बाद उन्होंने क्यों अपना दायरा संकुचित किया यह तो वही जाने और वे केवल हल्द्वानी विधानसभा तक सीमित हो गयी।  इनका मानना है जबकि इंदिरा हृदयेश विलक्षण प्रतिभा की धनी है लेकिन वे अपनी प्रतिभा को क्यों नहीं दिखा पा रही हैं यह तो वही जाने लेकिन आम लोगों से जुड़ने की उनकी आदत और संसदीय ज्ञान का कोई उनके जैसा नेता नहीं है।  

इस शनिवार को हरीश रावत एक बार फिर पहाड़ी ककड़ी (खीरा) की दावत को लेकर चर्चाओं में हैं। चर्चा इस बात की नहीं कि वे इस दावत में क्या -क्या खिलाते हैं चर्चा इस बात की है कि कांग्रेस की अंदरूनी राजनीती में हरदा की इस पार्टी के क्या निहितार्थ निकाले जाते हैं और कौन-कौन कांग्रेसी नेता इसमें शामिल होगा। हरीश रावत की फेसबुक पोस्ट के अनुसार  पहाड़ी ककड़ी और रायता के अलावा इसमें मेहमानों का परिचय उच्च हिमालयी क्षेत्र में पाई जाने वाली गेठी (एक तरह का कंद) से भी कराया जाएगा। इन्हें उबाल कर खाया जाता है। गेठी औषधीय गुणों से भरपूर होती है और इससे मधुमेह को नियंत्रण में रखने में मदद मिलती है।

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