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बेटियों का घट रहा अनुपात सूबे के लिए बनी चिंता !

नैनीताल : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान पर्वतीय इलाकों में बेटियों के प्रति समाज की सोच बदलने में नाकाम साबित हो रहा है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से अप्रैल से अक्टूबर तक आशा संसाधन केंद्रों से एकत्र किए आंकड़े तो कम से कम यही कहानी कहते हैं। जबकि पूरे देश में वर्ष 2011 में कराये गए सर्वे के अनुसार यह अनुपात प्रति एक हज़ार पर 914 बालिकाओं का था।

नैनीताल जिले के पर्वतीय क्षेत्रों में सरकार के सामने लिंग अनुपात घटने की नई चुनौती खड़ी हो गई है। पिछले साल तक ओखलकांडा ब्लॉक में एक हज़ार बालकों पर 1045 बालिकाएं थीं, जो इस वर्ष अप्रैल से अब तक की अवधि में घटकर 971 रह गर्इ हैं। जिले के कोटाबाग ब्लॉक में सबसे कम बालकों पर 705 तो धारी में 820 और भीमताल में 849 बालिकाएं रह गईं हैं। जिसे स्वास्थ्य महकमा भविष्य के लिए बड़े खतरे की आहट के तौर पर देख रहा है।

स्वास्थ्य महानिदेशालय की ओर से इस बार राज्य स्थापना दिवस के साथ साप्ताहिक जागरूकता अभियान शुरू किया गया है, जिसमें बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ दिवस प्रमुख है। गौरतलब हो कि वर्ष 2011 की जनगणना में जिले में एक हज़ार बालकों पर 914 बालिकाएं थीं। अप्रैल 2016 से मार्च 2017 तक बेतालघाट में 950, भीमताल में 965, धारी में 856, कोटाबाग में 860, रामनगर में 897, हल्द्वानी में 930, ओखलकांडा में 1045 तथा रामगढ़ में 929 था। जिले का औसत लिंग अनुपात में बालकों पर 925 बालिकाएं थीं।

इस वर्ष अक्टूबर तक सर्वे के आंकड़ों में रामनगर ब्लॉक में एक हज़ार बालकों पर 1019 बेटियां है तो हल्द्वानी में 902, ओखलकांडा में 971, रामगढ़ में 933 बालिकाएं हैं। जिससे जिले का औसत घटकर 908 पहुंच गया है। स्वास्थ्य महकमा एक हज़ार पर 900 के अनुपात को संवेदनशील मानता है। ऐसे में कोटाबाग, ओखलकांडा, धारी, ओखलकांडा में घटते लिंग अनुपात ने विभाग की चिंता बढ़ा दी है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि भारत सरकार मानती है कि प्राकृतिक तौर पर लड़कों पर 954 लड़कियां पैदा होती हैं।

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