डॉ.निशंक की सक्रियता और मोदी के जादू से हरिद्वार लोकसभा में मिली भाजपा को सफलता
हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र में भाजपा का लोकसभा जैसा चुनाव प्रदर्शन रहा
हरिद्वार। हरिद्वार जनपद में भाजपा का प्रदर्शन लोकसभा चुनाव जैसा ही रहा है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जिन विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। उन्हीं विधानसभा सीटों पर वर्ष 2017 के चुनाव में जीत हासिल की है। मात्र ज्वालापुर विधानसभा सीट पर कुछ राजनीतिक कारणों के चलते लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी कुछ पीछे रह गए थे। लेकिन संभावनाएं बरकरार थी और अब वह लोकसभा चुनाव के दौरान अच्छे रिजल्ट के रूप में सामने आ भी गई। हरिद्वार लोकसभा सीट पर डॉ. निशंक की सक्रियता और मोदी की रैली दोनों ने ही हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र में भाजपा को आगे बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बता दें कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने हरिद्वार शहर, हरिद्वार ग्रामीण, रानीपुर रुडक़ी शहर ,लक्सर, खानपुर सीट पर जीत हासिल की थी। ज्वालापुर विधानसभा सीट पर कुछ वोट कम रह गए थे। अब इन सभी विधानसभा सीटों पर भाजपा के सभी प्रत्याशी अच्छे मतों से विजयी हुए हैं। राजनीतिक जानकार तो पहले ही स्पष्ट कर रहे थे कि भाजपा का प्रदर्शन विधानसभा चुनाव में लोकसभा चुनाव जैसा ही रहने वाला है।
यदि पिरान कलियर, भगवानपुर, मंगलौर विधानसभा सीट पर गौर करें तो इन विधानसभा सीटों पर में से कलियर और भगवानपुर सीट के परिणाम भी लोकसभा जैसे ही रहे हैं। मंगलौर विधानसभा सीट पर भाजपा को थोड़ा नुकसान जरूर हुआ है वह भी कुछ स्थानीय समीकरणों के चलते। दरअसल एक बात यह भी सामने आ रही थी कि वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव मुख्यमंत्री हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत लड़ी थी। कहा जा रहा था कि जब मुख्यमंत्री की पत्नी चुनाव लडी हो और पूरी सत्ता उनके साथ खड़ी हो। कांग्रेस में गजब की एकजुटता उनके चुनाव को लेकर रही हो तो उसके बाद भी कांग्रेस प्रत्याशी रेणुका रावत जिन विधानसभा सीटों पर चुनाव हारी थी। उन विधानसभा सीटों पर अब विधानसभा चुनाव में भला कांग्रेस के प्रत्याशी कैसे जीत सकते हैं। रहा भी ऐसा ही। जिन विधानसभा सीटों पर रेणुका रावत चुनाव हारी थी। उन सभी विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी हारे हैं। इ
तना जरूर है कि कुछ विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों ने विधानसभा चुनाव के दौरान रेणुका रावत से अधिक वोट लिए है। इसकी एक वजह लोकसभा चुनाव के मुकाबले विधानसभा चुनाव में मतों की संख्या बढऩा। दूसरे मत प्रतिशत में भी कुछ अंतर आ जाना है। अन्यथा कांग्रेस के लिए हरिद्वार जनपद में सियासी माहौल पहले जैसा ही है। उसमें कोई खास अंतर देखने को नहीं मिला है। अब तो कुछ राजनीति जानकार यह भी कह रहे हैं कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के लिए कुछ ऐसी ही स्थिति बनी रहेगी। उसमें सुधार की कोई गुंजाइश हरिद्वार जनपद कि सियासत में नजर नहीं आ रही है। यहां की सियासी जमीन फिलहाल कांग्रेस के लिए फिट नहीं बैठ रही है।