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Breaking News :दून विवि के कुलपति सीएस नौटियाल की नियुक्ति को हाई कोर्ट ने किया अवैध घोषित

नैनीताल-हाई कोर्ट का सरकार को बड़ा झटका 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

नैनीताल : दून विवि के कुलपति सीएस नौटियाल की नियुक्ति को हाई कोर्ट ने अवैध घोषित कर दिया है। 

नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश कोर्ट ने राज्य सरकार को भी जल्द नई कमेटी गठित कर कुलपति की नियुक्ति का आदेश जारी किया है। 

गौरतलब हो कि आरटीआई कार्यकर्ता यज्ञ भूषण शर्मा ने दून विवि के कुलपति की नियुक्ति को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। 

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि सीएस नौटियाल की नियुक्ति यूजीसी के नियमों के विरुद्ध की गई है क्योंकि  कभी सीएस नौटियाल कभी प्रोफेसर के पद पर नहीं रहे हैं। 

कोर्ट ने सरकार को जल्द नई सर्च कमेठी का गठन कर नए कुलपति की नियुक्ति नियम के तहत करने के आदेश पारित किए हैं। कोर्ट के फैसले से पूर्व राज्यपाल डॉ. केके पॉल का फैसला विवादों में आने के साथ ही सर्च कमेटी की स्क्रीनिंग प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े हो गए। साथ ही सरकार को बड़ा झटका लगा है। बदली परिस्थिति में दून विश्वविद्यालय में पांच दिसंबर को होने वाले दीक्षा समारोह को स्थगित कर दिया गया है।

देहरादून के आरटीआइ कार्यकर्ता यज्ञभूषण शर्मा ने जनहित याचिका दाखिल कर कुलपति चंद्रशेखर नौटियाल की नियुक्ति को चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया था कि कुलपति की नियुक्ति नियम विरुद्ध है। चयन प्रक्रिया में यूजीसी की गाइडलाइन को दरकिनार किया गया है। दून विश्वविद्यालय के एक्ट के मानक पूरे किए बिना यह नियुक्ति की गई है। कुलपति पद की अर्हता में प्रोफेसर होना जरूरी है और यूजीसी गाइडलाइन के अनुसार दस साल तक प्रोफेसर पद पर सेवारत ही आवेदन कर सकता है। नौटियाल इस अर्हता को पूरी नहीं करते। यहीं नहीं उनके द्वारा तमाम अन्य तथ्य भी छिपाए हैं। लिहाजा उनकी नियुक्ति निरस्त की जाए।

मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने मामले में फैसला देते हुए कुलपति की नियुक्ति को अवैध ठहराते हुए निरस्त कर दिया। साथ ही सरकार को निर्देश दिया है कि सर्च कमेटी का गठन कर नए कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाए। प्रो. नौटियाल की नियुक्ति जनवरी 2018 में तत्कालीन राज्यपाल डॉ. केके पॉल द्वारा की गई थी। नौटियाल नेशनल बॉटनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट लखनऊ में कार्यरत थे।

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