नहीं ख़त्म हुए जिला विकास प्राधिकरण केवल शामिल नए इलाकों में घटाया विकास शुल्क !
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को निशाने पर लेने के बाद जिला विकास प्राधिकरणों को ख़त्म करने और उनकी समीक्षा के लिए जिस कैबिनेट उपसमिति का गठन किया गया था, उसने केवल कम विकसित बाहरी क्षेत्रों में नक्शा पास कराने के लिए लोगों विकास शुल्क की ही छूट देने को राज़ी हुई है यानि पर्वतीय अंचलों में जिला विकास प्राधिकरणों को समाप्त नहीं किया जा रहा है।
गौरतलब हो कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफा देने के बाद चर्चाएं आम थी कि तीरथ सिंह रावत जिला प्राधिकरणों वाले आदेश को समाप्त कर देंगे, उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद जिला विकास प्राधिकरणों की समीक्षा के लिए मंत्रिमंडल के सदस्यों की एक उप समिति बनाई जिसे मुख्यमंत्री को रिपोर्ट देनी थी। क्योंकि पर्वतीय इलाके के जिलों और कस्बों के लोगों को जिला विकास प्राधिकरण दमनकारी और लूट का अड्डा नज़र आ रहा था, और लोगों को उम्मीद थी कि ये जिला विकास प्राधिकरणों के झंझट से उन्हें मुक्ति मिलेगी लेकिन अभी तक ऐसा कहीं नहीं दिखाई दे रहा है।
आवास मंत्री बंशीधर भगत की अध्यक्षता में गठित सब कमेटी की बैठक में मंत्री अरविंद पांडे और सुबोध उनियाल के अनुसार जिला विकास प्राधिकरणों में शामिल इलाके के लोगों को अब कम फीस देनी होगी। विकास प्राधिकरणों की समीक्षा के लिए गठित कैबिनेट सब कमेटी ने सब डिविजनल शुल्क घटाकर एक प्रतिशत करने का निर्णय लिया है।
गौरतलब हो कि पहले बाहरी क्षेत्रों में यह शुल्क पांच प्रतिशत लिया जाता था। आवास मंत्री बंशीधर भगत ने बताया कि अब तक विकास प्राधिकरणों में सब डिविजनल शुल्क की दो दरें थीं। पूरी तरह से विकसित शहरी क्षेत्रों में सर्किल रेट का एक प्रतिशत एवं अल्पविकसित अर्द्ध शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में सर्किल रेट का पांच प्रतिशत था, समिति ने सभी जगह यह शुल्क एक समान करते हुए इसे एक प्रतिशत शुल्क वसूलने को हरी झंडी दे दी है।