जिम कार्बेट की बाघिन तो ले आए लेकिन अपनी बाघिन का नहीं अभी तक पता
आखिर गायब बाघिन की सही जानकारी देने से क्यों बच रहा है वन्यजीव विभाग
गायब बाघिन को धरती निगल गई या आसमान खा गया विभागीय अधिकारियों को नहीं पता !
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : उत्तराखंड का वन्य जीव महकमा जिम कॉर्बेट से एक बाघिन को राजाजी पार्क तो ले आए लेकिन राजाजी पार्क में रह रही बाघिन (टी -1) की विभागीय अधिकारी आज तक सही जानकारी देने से न जाने क्यों बचते फिर रहे हैं। इस गायब बाघिन को धरती निगल गई या आसमान खा गया विभागीय अधिकारियों को नहीं पता। ऊपर से सुरक्षा की दृष्टि से गायब बाघ की लोकेशन न बताने का ढोंग आखिर कब तक चलता रहेगा यह तो भगवान ही जाने लेकिन गायब बाघिन को लेकर कहीं कुछ न कुछ तो जरूर गड़बड़ है जो वन्य जीव प्रतिपालक इस बात को छिपा रहे हैं। सूबे के वन्यजीव प्रेमिओं को ख़तरा है कि वन्य जीव महकमे के वन्य जीवों के साथ लापरवाही और ज़िद रही तो इस बात की क्या गारंटी है कि पार्क में लाई गई नयी बाघिन भी सुरक्षित रह पाएगी।
हालांकि इधर प्रदेश में वन्य जीव महकमे द्वारा पहला टाइगर ट्रांसलोकेशन तो सफल हो गया और कॉर्बेट से लाई गई बाघिन को रेडियो कॉलर लगाने के बाद राजाजी पार्क के जंगल में छोड़ दिया गया है। सूबे के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जेएस सुहाग के अनुसार जल्द ही एक बाघ भी कॉर्बेट से लाया जाने वाला है।
वहीं राजाजी पार्क के निदेशक डीके सिंह ने बताया कि पार्क के पश्चिमी इलाके में सिर्फ दो बाघिन हैं। वे काफी बूढ़ी हो चुकी हैं। यही कारण है कि यहाँ सालों से बाघों की आबादी नहीं बढ़ी। इसी मकसद से पांच बाघ बाघिन वहाँ लाए जाने हैं। जिसकी एनटीसीए परमिशन दे चुका है जिनमे से एक बाघिन यहां आ चुकी है। वहीं विभाग ने एक मादा टाइगर की शिफ्टिंग के बाद रेंज के भीतर बाहरी लोगों के प्रवेश सहित वाइल्ड सफारी पर भी पूरी तरह से रोक लगा दी है।