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DFO साहब चोरी भी और सीना जोरी भी ऐसा तो नहीं चलेगा !

वन विभाग के नाक के नीचे कई माह तक चलता रहा पुस्ता का निर्माण कार्य

डीएफओ साहब किन कारणों से अतिक्रमण को ध्वस्त करना पड़ा, क्या है आपके पास इसका जवाब ?

DFO की धमकी से उत्तराखंड पत्रकारों में आक्रोश

देवभूमि मीडिया  ब्यूरो 

मेरे खिलाफ भी बहुत ख़बरें छपती हैं लेकिन मैं उनसे सीख़ लेता हूँ : डॉ.हरक सिंह रावत 

पत्रकार को धमकी दिए जाने के मामले में सूबे के वन मंन्त्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि किसी की कोई व्यक्तिगत लड़ाई तो नहीं यदि कोई काम गलत हो रहा है उसे ठीक करना चाहिए न कि पत्रकारों को धमकी देकर उनका मुंह बंद करने का प्रयास करना चाहिए।

उन्होंने कहा पत्रकार अपना काम कर रहे यह अधिकारियों को अपनी कमी स्वीकार करनी चाहिए और अपनी कार्यप्रणाली सुधारनी चाहिए। 

ऋषिकेश। नरेंद्रनगर वन प्रभाग आखिर इतने दिनों तक कहां सोता रहा। जबकि कई माह से होटल स्वामी द्वारा पुस्ते का निर्माण वन विभाग के नाक के नीचे लगातार चलता रहा। अगर पुस्ते का निर्माण अनुमति लेकर किया जा रहा था तो फिर वन विभाग ने पुस्ते को खबर प्रकाशित होने के बाद क्यों ध्वस्त किया ? इन तमाम सवालों को लेकर वन विभाग पर लगातार उंगलियां उठ रही हैं।
नरेंद्रनगर वन प्रभाग के अंतर्गत मुनिकीरेती क्षेत्र में एक होटल स्वामी द्वारा अपने निजी स्वार्थ के लिए वन विभाग की भूमि पर पुस्ते डालकर रास्ता बनाया जा रहा था उसके के निर्माण में करीब 3 माह बीत गए लेकिन वन विभाग को अपनी जमीन पर अवैध कब्जा नहीं दिखा या फिर वन विभाग जानबूझकर अनजान बना रहा खबर प्रकाशित होने के बाद वन विभाग के राजधानी में बैठे उच्च अधिकारियों ने संज्ञान लेते हुए नरेंद्र नगर के डीएफओ धर्म सिंह मीणा को शीघ्र कार्रवाई करने के निर्देश दिए दबाव में आकर डीएफओ अपनी टीम के साथ मौके पर अतिक्रमण का निरीक्षण करने पहुंचे आलम यह रहा कि अतिक्रमण हटाने में उतनी दिलचस्पी नहीं दिखाई, जितनी एक पत्रकार की खबर प्रकाशित करने पर उसे जेल भेजने की धमकी देने में दिखाई। 
इतना ही नहीं डीएफओ साहब को इतना भी ज्ञान नहीं था कि एक पत्रकार की खबर छापने की क्षेत्र सीमा क्या होती है इतना  ही नहीं DFO साहब ने पत्रकार को यह कह डाला कि जिस जगह पर अतिक्रमण हुआ है वह उस पत्रकार की क्षेत्र सीमा में नहीं आता है।  डीएफओ की इस अज्ञानता की चारों तरफ जग हंसााई रही है खास बात यह है कि अगर पत्रकार अतिक्रमण को लेकर गलत खबर छापी थी तो फिर डीएफओ साहब को किन कारणों से अतिक्रमण को ध्वस्त करना पड़ा इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
जब डीएफओ साहब से खबर नवीस ने पूछा कि क्या अतिक्रमण कारी में सड़क निर्माण को लेकर डीएफओ से किसी प्रकार की एनओसी ली है इस सवाल पर डीएफओ बगले झांक के नजर आए उल्टा पत्रकार को पत्रकारिता सिखाते हुए सरेआम जेल भेजने की धमकी तक दे डाली पत्रकार को सरेआम धमकी देने पर उत्तराखंड पत्रकारों में भारी आक्रोश है वहीं विभिन्न संगठनों ने भी वन विभाग की इस कार्यशैली की तीव्र निंदा की है

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