जयप्रकाश कांडपाल को इलाज के लिए दिल्ली एम्स ले गए थे दो सिपाही
रुद्रपुर। बंदी जयप्रकाश कांडपाल और ज्यूडीशियल कस्टडी में उसे इलाज के लिए ले गए दो सिपाही अशोक-ललित नेगी के एसटीएच से गायब होने में जेल प्रशासन और ऊधमसिंह नगर पुलिस ने घोर लापरवाही बरती। मामले में निष्पक्ष जांच हुई तो कार्रवाई के लपेट में सिपाहियों के साथ-साथ बड़े अफसर भी आ सकते हैं। हालांकि एसएसपी सैंथिल अबुदई कृष्णराज एस का कहना है कि मामले की जांच सीओ स्वतंत्र कुमार को सौंपी गई है। निश्चित तौर पर यह घटना सिपाहियों की लापरवाही के साथ कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है। किस-किस स्तर पर लापरवाही हुई है, यह जांच के बाद कहा जा सकेगा। मामला संज्ञान में आने के बाद एसएसपी सैंथिल अबुदई कृष्णराज एस ने खुद मोर्चा संभाला। जेल प्रशासन की तरफ से पत्र मिलने के बाद उन्होंने त्वरित गति से पुलिस टीमों को जांच में झोंक दिया। रातों-रात टीमें दिल्ली और मुंबई के लिए रवाना कर दी गईं। इस दौरान एसएसपी खुद लगातार टीमों की मॉनटरिंग करते रहे और विभिन्न दिशा-निर्देश देते रहे।
जयप्रकाश कांडपाल बड़ा नटवर लाल हैं। उस पर खटीमा, किच्छा, रुद्रपुर और काशीपुर थाना क्षेत्र में गैंगस्टर समेत धोखाधड़ी और एनआई के 11 मुकदमे दर्ज है। गैंगस्टर छोडक़र सभी में उसे जमानत मिल चुकी है। पनवेल, न्यू मुंबई जिला रायगढ़ निवासी प्रकाश कांडपाल को 9 जुलाई 2016 को उपकारागार हल्द्वानी लाया गया। उस पर किच्छा, खटीमा, काशीपुर, रुद्रपुर आदि थानों में 11 मामले दर्ज हैं। काशीपुर थाने में प्रकाश के खिलाफ गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज है। प्रकाश के खिलाफ करोड़ों के चेक बाउंस का केस है। प्रकाश को दस मामलों में जमानत मिल चुकी है।
गैंगस्टर के एक मामले में वह हल्द्वानी जेल में बंद था। जेल में खून की उल्टी के बाद जेल प्रशासन ने तीन बार बेस अस्पताल में इलाज करवाया। चार दिसंबर को उसे सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां से डॉक्टरों ने हालत गंभीर देखते हुए उसे 16 दिसंबर को एम्स के लिए रेफर कर दिया। प्रकाश की पेशी चार मार्च को सीविल जज सीनियर डिवीजन रुद्रपुर की अदालत में होनी थी। जेल प्रशासन को 25 फरवरी को आदेश मिला था। जेल प्रशासन ने प्रकाश के साथ गए दोनों सिपाहियों के नंबर जुटाए और संपर्क किया। पहले सिपाहियों ने प्रकाश की गंभीर हालत का हवाला देते हुए दो दिन के भीतर उसे जेल वापसी की बात कही। दो दिन बाद दोनों सिपाहियों ने फोन उठाना बंद कर दिया।
जब उच्च अधिकारियों से शिकायत की बात कही, तो सिपाही बैकफुट पर आए और प्रकाश के मुंबई में होने की बात कही। 24 घंटे बाद भी सिपाहियों पर लाइन ऑफ एक्शन तय नहीं जिला पुलिस लापरवाह पुलिस कर्मियों पर कार्यवाही के लिए लाइन ऑफ एक्शन तय नहीं कर पायी है। 24 घंटे बाद भी एसएसपी ने इन पुलिस कर्मियों के खिलाफ क्या एक्शन लिया जाएगा, इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया। हालांकि उन्होंने यह माना कि यह बड़ी ड्यूटी में लापरवाही का बड़ा मामला है। तीन माह से न तो जेल प्रशासन और न ही ऊधमसिंहनगर पुलिस ने उनकी कोई सुध नहीं ली। अब बंदी और दोनों सिपाहियों की बरामदगी भी हो चुकी है। इसके बावजूद एसएसपी सैंथिल अबुदई ने लाइन ऑफ एक्शन तय नहीं कर पाए हैं। कहते हैं कि मामले में जांच की जा रही है। सिपाहियों से पूछताछ के बाद आगे की कार्यवाही होगी।
एसएसपी को रेफर की लिखित सूचना नहीं दी एसटीएच में इलाज के लिए भर्ती कराए गए हल्द्वानी जेल के बंदी जयप्रकाश कांडपाल के साथ सिपाही अशोक और ललित 5 दिसंबर 2016 से एसटीएच में ड्यूटी को आ गए थे। पुलिस लाइन से एसटीएच के लिए उनकी रवानगी हुई होगी। एसटीएस से 16 दिसंबर 2016 को बंदी को एम्स के लिए रेफर किया गया। एसएसपी ऊधमसिंह नगर का कहना है कि एम्स रेफर करने के संबंध में उन्हें कोई लिखित पत्र नहीं भेजा गया। इस संबंध में जेल अधीक्षक मनोज आर्या का कहना था कि मरीज की हालत गंभीर थी। तब पुलिस लाइन के वरिष्ठ अधिकारी को मौखिक रूप से बंदी को एम्स रेफर करने की जानकारी दे दी गई थी। अब सवाल खड़ा होता है कि क्या एक प्रदेश से दूसरे में बंदी को इलाज के लिए ले जाने के संबंध में यूएस नगर पुलिस को लिखित में सूचना क्यों नहीं दी गई।
बंदी की तबीयत पूछने की जरूरत नहीं समझी!16 दिसंबर 2016 से लेकर बंदी को कोर्ट में पेश करने की तारीख 27 फरवरी 2017 के बीच लंबा वक्त बीत गया। बंदी को लेकर जेल प्रशासन ने एम्स प्रशासन से उसकी हालत जानने को लेकर लिखित में नहीं पत्राचार किया। सूत्रों के मुताबिक, जेल प्रशासन ने सिपाहियों से सिर्फ फोन पर वार्ता की। इसमें उन्होंने बंदी की हालत ठीक नहीं होने की जानकारी दी। तीन माह की लंबी अवधि तक जेल प्रशासन ने एम्स और ऊधमसिंह नगर जिला पुलिस से वास्तविक स्थिति जानने को पत्राचार नहीं किया। मामला कोर्ट में पेशी का आया तब जेल प्रशासन ने इस संबंध में ऊधमसिंह नगर पुलिस से पत्राचार किया। पुलिस लाइन: मुंशी से सीओ तक ने नहीं की मॉनीटरिंग! चुनाव से पहले पुलिस लाइन से सिविल तक अधिकांश कर्मियों की ड्यूटी लगी। इस दौरान गारद समेत सभी कामों में लगे पुलिस कर्मियों की जानकारी ली गई होगी। इसमें गणना मुंशी को लाइन में नफरी के संबंध में सूबेदार लाइन को पूरी सूचना देनी होती है।
सूबेदार को आरआई लाइन को बताना होता है। खुद सीओ लाइन की भी जिम्मेदारी है कि लाइन के सभी कर्मियों का रजिस्टर चेक कर तैनाती जांचें। मगर यहां सिपाहियों की गैरमौजूदगी की जानकारी किसी को नहीं दी गई। लाइन में हर हफ्ते मंगलवार को एएसपी लाइन और शुक्रवार को लाइन के कर्मियों के ड्यूटी चेक होती है। सारी गारद और ड्यूटी कर्मियों की जानकारी चेक होती है। यहां भी दोनों सिपाहियों की मौजूदगी की जांच नहीं की गई। पंद्रह दिन पहले हल्द्वानी आया था एक कांस्टेबल!रुद्रपुर। हमारे संवाददातापुलिस कर्मियों के लापता होने के बाद उनकी लोकेशन राजस्थान, मेरठ के साथ मुंबई में मिली।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक करीब 15 दिन पहले एक कांस्टेबल हल्द्वानी भी आया था। हल्द्वानी जेल में बंद प्रकाश कांडपाल के साथ पुलिस लाइन में तैनात कांस्टेबल ललित नेगी और अशोक कुमार को भी भेजा गया था। पुलिस सूत्रों की मानें तो दिल्ली एम्स में कुछ दिन उपचार कराने के बाद बंदी समेत दोनों पुलिस कर्मियों की लोकेशन राजस्थान के जयपुर, मेरठ के साथ ही आखिरी लोकेशन मुंबई में मिली। इस पर पुलिस ने तीनों को मुंबई से बरामद कर लिया। सूत्रों की मानें तो 15 दिन पहले एक कांस्टेबल हल्द्वानी भी आया था। जहां उसने बताया कि वह अस्पताल में भर्ती मुल्जिम के साथ एम्स में है। एक होटल में कमरा लेकर वे लोग रह रहे हैं। फेसबुक पर बंदी के साथ अपडेट फोटो की रही चर्चाबंदी प्रकाश कांडपाल के साथ एम्स गए दोनों पुलिस कर्मियों की फेसबुक पर वायरल हुआ फोटो चर्चाओं में आ गया है। फोटो में दोनों पुलिस कर्मियों के साथ एक अन्य युवक है। तीनों बैठे हैं। उनके बीच में महिलाओं के पर्स हैं। सूत्रों के मुताबिक अपडेट फोटो दिल्ली के किसी होटल की है।
इसकी चर्चा आम होते ही अचानक फेसबुक में अपडेट की गई फोटो डिलीट कर दी गई। पहले भी हुई है खाकी की फजीहतकैदी को पेशी पर ले गई पुलिस ने डाल दी डकैतीआठ सितंबर 2014 को हल्द्वानी जेल में बंद ताऊ गैंग का सदस्य सतीश को पुलिस लाइन में तैनात कांस्टेबल दीपक बिष्ट, पंकज कुमार और संजय भट्ट पेशी के लिए अलीगढ़ (यूपी) ले गए। सतीश की अलीगढ़ कोर्ट में नौ और 11 सितंबर को पेशी थी। पेशी के बाद पुलिसकर्मियों ने 12 सितंबर को सतीश की हल्द्वानी जेल में आमद करवा दी। बुलंदशहर में 11 सितंबर शाम एमएम ज्वैलर्स की दुकान में डकैती हो गई। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर यूपी पुलिस ने आरोपियों में एक की पहचान ताऊ उर्फ इंद्रपाल गैंग के हल्द्वानी जेल में बंद सदस्य सतीश के रूप की। फिलहाल सतीश बाजपुर में हुई डकैती मामले में हल्द्वानी जेल में है। जांच में सामने आया कि सतीश डकैती में शामिल था और पुलिसकर्मी उसकी मदद कर रहे थे। तीनों पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
ड्यूटी लगाने वाले पुलिस लाइन ड्यूटी इंचार्ज हरीश को निलंबित कर दिया गया था। बिना अनुमति बंदी को ले जाने पर कोर्ट ने बिठाई थी जांच2014 में बाजपुर निवासी एक हत्यारोपी की एक किडनी खराब हो चुकी थी। इसको डाक्टरों ने एम्स के लिए रेफर किया था। शुरू में दो बार उसे कोर्ट की अनुमति के बाद एम्स ले जाया गया, लेकिन तीसरी बार कोर्ट की बिना अनुमति के पुलिस उसे एम्स ले गई। इसकी जानकारी जब कोर्ट को मिली तो उसने मामले को गंभीर मानते हुए इस पर जांच बैठा दी। मामले की जांच तत्कालीन एएसपी पंकज भट्ट ने की। उन्होंने बताया कि इस बात की जांच की गई कि कोर्ट की बिना अनुमति के बंदी को इलाज के लिए भेजने में कौन जिम्मेदार है। जेल मेनुअल समेत कई तथ्यों की जानकारी के बाद यह बात सामने आई कि इसके लिए सिविल पुलिस से यह गलती हुई थी।