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रक्षा मंत्री ने वीर नारियों के छुए पैर और कहा यहाँ की महिलाओं से मिलती है प्रेरणा

  • निर्मला सीतारमण ने वीर नारियों के पैर छुए
  • शाॅल भेंट कर वीर नारियों का किया सम्मान

रक्षा मंत्री ने शौर्य सम्मान समारोह में वीर नारियों का किया सम्मान

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

देहरादून : रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने वीर नारियों के पैर छूकर व शाॅल भेंट कर वीर नारियों को सम्मानित किया। सम्मान समारोह के दौरान जैसे ही केन्द्रीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने वीर नारियों के पैर छुए तो पूरा प्रेक्षागृह तालियों से गूंज उठा। सर्वे प्रेक्षागृह में आयोजित शौर्य सम्मान समारोह में रक्षा मंत्री ने कहा कि अब तक वन रैंक वन पेंशन में 35 हजार करोड़ रूपए की राशि दी जा चुकी है।मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेश में पूर्व सैनिक कल्याण निदेशालय की भांति ही अर्धसैनिक कल्याण निदेशालय बनाए जाने की घोषणा की। 

इस दौरान वीर नारी कमला देवी, वीरा देवी, कमला देवी, शंकुतला देवी, रानी थापा, उर्मिला देवी, इंदिरा देवी, उर्मिला देवी, आनंद देवी, हेम कुमारी, शांति बोरा, चित्रा देवी, अनीता, माला देवी, विजय लक्ष्मी के अलावा शहीद भूपेन्द्र कंडारी के पिता गजेन्द्र कंडारी का भी सम्मान किया गया। 

यहां आयोजित शौर्य सम्मान समारोह में देश की रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण, मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत व सांसद डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक ने वीर नारियों को सम्मानित किया। रक्षा मंत्री ने उम्र का लिहाज किए बिना प्रत्येक वीर नारी को शॉल ओढ़ाने के बाद एक-एक उनके पैर छूएं। यही नहीं हर वीर नारी से सवाल किया कि किसी तरह की कोई दिक्कत तो नहीं है। अगर कोई दिक्कत है तो वे उनसे सीधे कभी भी बात कर सकती हैं। 

रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि उत्तराखण्ड की वीर नारियों से मिलकर उन्हें सदैव प्रेरणा  मिलती है। उन्होंने कहा कि सैनिक हर परिस्थिति में देश के लिए खड़े होते हैं। देश रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर जवानों के प्रति हम सभी सदैव कृतज्ञ रहेंगे। उन्होंने कहा राज्य के जवान देश की सीमा पर डटे है तो यहां की महिलाएं बच्चों को संस्कारित करने में अपनी अहम भूमिका निभा रही है। राज्य के आंदोलन में महिलाओं की भागेदारी किसी से छिपी नहीं है। वो अक्सर दूसरे राज्यों में इसका उदाहरण भी देती है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने वन रैंक वन पेंशन स्वीकृत की। न केवल इसकी स्वीकृति दी गई बल्कि इसके लिए पर्याप्त बजटीय प्राविधान भी किए। अभी तक ओआरओपी पर 35 हजार करोड़ रूपए की राशि दी जा चुकी है। प्रति वर्ष 8 हजार करोड़ रूपए का बजट प्राविधान किया जाएगा। इसमें अब कोई भी एरियर लम्बित नहीं है। अब तीन वर्ष पूरे होने पर इस वर्ष इसकी समीक्षा भी की जाएगी और कोई कमियां पाएं जाने पर दूर किया जाएगा।

देश में 70 वर्ष बाद भी एक भी राष्ट्रीय वार मेमोरियल नहीं था। हमने फरवरी माह में नेशनल वार मेमोरियल बनाकर देश को समर्पित कर दिया है। यह हमारे शहीद सैनिकों की स्मृति को संजोए रखने का प्रयास है। पहले डिस्एबिलिटी के मामलों को सरकार द्वारा कोर्ट में अपील कर दी जाती थी। हमने ऐसे बहुत से मामलों को कोर्ट से वापिस लिया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि हमने सीविल से इक्वीलेट करने वाले नोटिफिकेशन को वापिस ले लिया है। एसएससी में महिलाओं को पुरूषों के समान ही स्थायी कमीशन मिलेगा। देश में 200-200 बेड के तीन बड़े ईसीएचएस अस्पताल बनाए जाएंगे।

रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार अपने सैनिकों के साथ खड़ी है। उनके हित में जो भी सम्भव है किया जा रहा है। इस बारे में किसी प्रकार की शंका होने पर हमसे पूछिए, हर शंका का निवारण किया जाएगा। सरकार सैनिकों के मामलों में काफी संवेदनशील है।

राज्य में बनाया जाएगा अर्धसैनिक कल्याण निदेशालय: त्रिवेंद्र रावत

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि राज्य में अर्धसैनिक कल्याण निदेशालय बनाया जाएगा। हम अपनी सेना की वीरता के कारण सुरक्षित महसूस करते हैं। हमारी सेना की यह वीरता पहले भी थी और आगे भी रहेगी। जरूरत थी इनका साथ देने के लिए राजनीतिक निर्णय लेने की इच्छाशक्ति की। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने वह इच्छा शक्ति दिखाई है। उन्होंने आतंकवाद से निपटने के लिए सेना को पूरी स्वतंत्रता दी है। आज पूरे विश्व में यह संदेश गया है कि हम आतंकवाद को समाप्त करने के लिए दुश्मन के यहां घुसेंगे भी, मारेेंगे भी और वापिस भी आएंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी की कूटनीति से देश के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में सुधार हुआ है। आज स्थिति यह हो गई है कि पाकिस्तान जिस ओआईसी का संस्थापक है वहां उसके विरोध के बावजूद भारत को विशिष्ट अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया जाता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में देश के लिए शहादत देने की परम्परा है। हमें अपने वीर जवानों की शहादत को सदैव याद रखना है। अगर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाना है तो पूरे देश को मन बनाना होगा। आज देश के लोगों ने मन भी बनाया है। हमारे सैनिकों में जज्बा पहले भी था और हमेशा रहेगा। हमने हमेशा युद्ध जीते परंतु बातचीत में गंवा देते। परंतु अब ऐसा नहीं होगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

उत्तराखण्ड देवभूमि के साथ ही वीर भूमि भी : डॉ निशंक

सांसद डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि उत्तराखण्ड देवभूमि के साथ ही वीर भूमि भी है। यहां के कण कण में देशभक्ति की भावना है। हमारे युवा देश के लिए सर्वस्व न्यौंछावर करने की भावना रखते हैं।

राज्य सरकार सैनिकों के लिए संवदेनशील : गणेश जोशी

कार्यक्रम के संयोजक विधायक श्री गणेश जोशी ने कहा कि है। शहीद सैनिकों के आश्रितों के लिए योग्यता के अनुसार नौकरी का प्राविधान किया गया है। जिलों में सैनिकों की समस्याओं के निस्तारण के लिए एडीएम स्तर के अधिकारी को नोडल बनाया गया है।

उत्तराखंड से पीएम मोदी के खास लगाव : निर्मला सीतारमण

वहीं यहाँ क्लेमेनटाउन में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने उत्तराखंड से पीएम मोदी के खास लगाव का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आयुष्मान योजना के शुरुआती चरण में जब लाभार्थियों को गोल्डन कार्ड बांटने की बात हुई  तो उन्होंने मुझे धारचूला भेजा। वे यहां की हर परिस्थिति से वाकिफ हैं। 

रक्षा मंत्री ने वन रैंक वन पेंशन पर भी खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि जिन्होंने पूर्व सैनिकों की इस मांग को सालों तक लटकाए रखा, वे अब इसमें खामियां गिनवा रहे हैं और पूर्व सैनिकों को गुमराह कर रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसे लोगों के बहकावे में आने की जरूरत नहीं है। अगर मन में किसी भी तरह का संदेह है तो मुझसे जवाब मांगिए। चाहे पत्र लिखकर या चाहे अपने सांसद के माध्यम से सवाल उठाइए। मैं हर सवाल का जवाब देने को तैयार हूं, लेकिन पर व्हॉट्सएप पर फैलाए जा रहे भ्रम से दूर रहें।

इससे पहले रक्षा मंत्री ने क्लेमेनटाउन कैंट को सीवर योजना की सौगात दी। उन्होंने कहा कि मैं ये किसी चुनाव के कारण नहीं कह रही हूं, बल्कि यह स्वच्छता से जुडा मसला और मूलभूत जरूरत है। उन्होंने पूर्व सैनिकों की ईसीएचएस पॉलिक्लीनिक की मांग पर कहा कि इसकी स्वीकृति पहले ही दी जा चुकी है। इस पर जल्द कार्रवाई होगी। सीतारमण ने ये भी कहा कि सेवारत रहते एक सैनिक के पास बेस या कमांड हॉस्पिटल जैसे तमाम विकल्प रहते हैं, लेकिन दिक्कतें सेवानिवृत्ति के बाद शुरू होती हैं। क्योंकि जहां वो रहते हैं वहां आसपास ऐसी कोई सुविधा नहीं होती। ऐसे में पालीक्लीनिकों की संख्या बढाई जा रही है। प्राइवेट पॉलीक्लीनिक में कुछ अनियमितताएं आई थी। ऐसे में हमने इनकी जांच कराने का फैसला लिया। यही कारण है कि इसमें देरी हुई।

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