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वर्तमान परिदृश्य तथा हमारी भूमिका, विषय पर बोले संघ प्रमुख
सरसंघचालक डा. मोहन जी भागवत जी का उद्बोधन
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पालघर में साधुओं की मॉब लिंचिंग पर उठाए सवाल और कहा- क्या ऐसा होना चाहिए?
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
नागपुर : महाराष्ट्र के पालघर में 2 साधुओं समेत तीन लोगों की मॉब लिंचिंग किए जाने की घटना की देशभर में कड़ी आलोचना की गई। राज्य सरकार ने इस मामले पर उच्चस्तरीय जांच के आदेश देते हुए कार्रवाई की और 9 नाबालिग समेत 110 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। लेकिन, पालघर मॉब लिंचिंग पर पहली बार राष्ट्रीय स्वंय सेवक प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को सवाल उठाया है।
मोहन भागवत ने कहा, “2 साधुओं की हत्या। क्या यह होना चहिए? क्या कानून व्यवस्था किसी एक के हाथ में लिया जाना चाहिए था? पुलिस को क्या करना चाहिए था? ये सभी चीजें ऐसी हैं जिन पर सोचा जाना चाहिए।”
आरएसएस प्रमुख ने आगे कहा- भारत की 130 करोड़ की आबादी भारत माता के बच्चे और हमारे भाई हैं। यह दिमाग में रखा जाना चाहिए। दोनों पक्षों की तरफ से कोई गुस्सा और डर नहीं होना चाहिए। समझदार और जिम्मेदार लोग अपने समूहों को इससे रक्षा करें। अगर ऐसा नहीं होता है तो क्या होना चहिए?
उन्होंने कहा हमें इस महामारी के खत्म होने तक राहत कार्य जारी रखना चाहिए, उन सभी लोगों की मदद करनी चाहिए जो कोविड-19 संकट के कारण प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि संघ के कार्यकर्ता दूसरों को जागरूक करने के अलावा, कोविड-19 के मद्देनजर लॉकडाउन के दौरान सभी नियमों और सावधानियों का पालन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार और भारतीयों नागरिकों ने स्थिति को प्रभावी ढंग से संभाला है और इस संकट के समय में सभी ने सक्रिय भूमिका निभाई है। भागवत ने देश हित के बजाए निजी स्वार्थ को महत्व देने वालों को चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा कि बिना किसी भेदभाव के लोगों की सेवा करें, जिन्हें मदद की जरूरत है वे हमारे अपने हैं। संकट के समय में मदद करना हमारा कर्तव्य है।
गौरतलब हो कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत कोविड-19 संकट के मद्देनजर मौजूदा स्थिति पर संगठन के कार्यकर्ताओं को ऑनलाइन संबोधित कर रहे थे। वे रविवार सायं 5:00 बजे देशभर के स्वयंसेवकों से यू-ट्यूब और फेसबुक के माध्यम से अपना उद्बोधन कर रहे थे।