उत्तराखंड मे आशा और चुनौतिओं से भरा रहा कोविड-19 का एक वर्ष
पिछले वर्ष 15 मार्च को राज्य में पहला कोरोना पाॅजिटिव केस
रिकवरी रेट राज्य के लिए बड़ी उपलब्धि
राज्य की जनता की दृढ़ इच्छाशक्ति, और हेल्थ केयर व फ्रंटलाइन वर्कर्स की मेहनत और समर्पण भावना से ही हुआ संभव
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : सोशल डेवलपमेंट फाॅर कम्यूनिटी फाउंडेशन ने राज्य में कोविड-19 संक्रमण का एक साल पूरा होने के मौके पर इस संक्रमण से संबंधित पूरे वर्ष का लेखा-जोखा जारी किया है। संस्था पूरे वर्ष साप्ताहिक आधार पर कोविड से संबंधित आंकड़ों की विश्लेषण करके रिपोर्ट जारी करती रही है।
इस मौके पर एक प्रेस बयान में संस्था के अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने कहा कि पिछले वर्ष 15 मार्च को राज्य में पहला कोरोना पाॅजिटिव केस देहरादून के दून अस्पताल में रिपोर्ट किया गया था। शुरुआती दौर में हमें उम्मीद थी कि यह संक्रमण उत्तराखंड जैसे राज्य में बहुत सीमित रहेगा और पर्वतीय जिलों के तो इससे अछूता रहने की पूरी उम्मीद की गई थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। राज्य के मैदानी ही नहीं, पर्वतीय जिले भी कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आये।
राज्य में इस एक वर्ष के दौरान 97754 पाॅजिटिव केस सामन आये और 94058 स्वच्छ भी हुए। यानी रिकवरी रेट 96 प्रतिशत रहा। रिकवरी का यह रेट बीमारी से लड़ने की हमारी दृढ़ता और हमारे कोरोना वाॅरियर्स की मेहनत और समर्पण से ही संभव हो पाया है।
अनूप नौटियाल ने इस रिकवरी रेट को राज्य के लिए बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि यह राज्य की जनता की दृढ़ इच्छाशक्ति, और हेल्थ केयर व फ्रंटलाइन वर्कर्स की मेहनत और समर्पण भावना से ही संभव हो पाया है। उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण लाॅकडाउन का वह दौर जब हम सब घरों से बाहर तक नहीं निकल रहे थे, हमारे डाॅक्टर्स और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे थे। हमारे पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी सड़कों पर अपनी ड्यूटी का निर्वहन कर रहे थे। प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारी लगातार हालत को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे थे और कई स्वयंसेवी संगठन और कई दूसरे नागरिक जरूरतमंदों तक राशन, दवा और जरूरी सामान पहुंचाने में काम में जुटे हुए थे। उन्होंने अपनी संस्था की ओर से इन सभी का आभार जताया है।
अनूप नौटियाल ने कहा कि इस दौर में जो बात सबसे प्रमुखता से अनुभव की गई है, वह थी पब्लिक सेक्टर में हेल्थ केयर सुविधाएं। उन्होंने कहा कि जब कोविड-19 संक्रमण पीक पर था, तब प्राइवेट अस्पताल लगभग बंद थे। राज्य की पूरी आबादी केवल सरकारी अस्पतालों पर निर्भर थी। एक दौर ऐसा भी आया जब कोविड-19 अस्पतालों में बेड नहीं थे। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ा अनुभव है और इसके बाद राज्य सरकार को चाहिए कि राज्य में पब्लिक हेल्थ सेक्टर को और मजबूत बनाये। दूर दराज के गांवों तक लोगों को डाॅक्टर और दवाइयां उपलब्ध करने के भरसक प्रयास करे।