राज्य आंदोलनकारियों का धरना जारी
देहरादून । अपनी सात सूत्रीय मांगों के समाधान के लिए आंदोलनकारी बारिश के बावजूद भी धरने एवं प्रदर्शन पर डटे रहे और उन्होंने कहा कि लगातार उनकी मांगों को अनसुना किया जा रहा है जिसे अब सहन नहीं किया जायेगा।
शहीद स्थल पर चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति से जुडे हुए आंदोलनकारी शहीद स्थल पर इकटठा हुए और आंदोलनकारियों को चिन्हित किये जाने की मांग को लेकर अपना धरना आज भी जारी रखा और कहा कि सरकार की ओर से शीघ्र ही कार्यवाही न किये जाने पर आंदोलन को तेज किया जायेगा। उनका कहना है कि सरकार उनके हितों के लिए गंभीर नहीं दिखाई दे रही है जो चिंता का विषय है।
इस अवसर पर समिति से जुडे हुए आंदोलनकारियों द्वारा मांग की गयी है कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिल सके। उन्होंने मांग की है कि दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का लाभ राज्य आंदोलनकारियो व आश्रितों को दिया जाये। सभी राज्य आंदोलनकारियों को ससम्मान एक समान पेंशन के दायरे में लाया जाये। आज तक जारी शासनादेश सख्ती से लागू करने के निर्देश जारी किये जाने सहित और मांगे भी सरकार से की है। इस दौरान अशोक कटारिया, जीडी डंगवाल, अनिल वर्मा, जबर सिंह रावत पावेल, गौरा देवी पुण्डीर, धनेश्वरी देवी ध्यान, विनोद असवाल, लोक बहादुर थापा, प्रभा नैथानी, सुरेश कुमार, अभय कुकरेती, बैपारी भुराठा आदि मौजूद थे। वहीं, उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी मंच ने अपनी सात सूत्रीय मांगों के समाधान के लिए अपने आंदोलन को जारी रखते हुए कहा है कि सरकार आंदोलनकारियों के हितों के प्रति गंभीर नहीं दिखाई दे रही है जिसके लिए आंदोलन करना पड़ रहा है। वहीं वह सरकार की जन विरोधी नीतियों से खफा दिखाई दे रहे है।
यहां मंच से जुडे हुए आंदोलनकारी कचहरी स्थित शहीद स्थल में इकटठा हुए और वहां पर उन्होंने अपनी सात सूत्रीय मांगों के समाधान के लिए प्रदर्शन कर धरना दिया। वक्ताओं ने कहा कि समूचे उत्तराखंड को आरक्षित किया जाये और मुजफ्फरनगर रामपुर तिराहे के दोषियों को फांसी दिये जाने की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी का दर्जा आंदोलनकारियों को शीघ्र ही प्रदान किया जाना चाहिए और सेनानियों के आश्रितों को रोजगार में समायोजित किये जाने तथा समीवर्ती जिलों से पलायन पर पूर्ण रूप से रोक लगाये जाने और आंदोलनकारियों को दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण को शीघ्र ही प्रदान किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर नंदा बल्लभ पांडेय, विनोद असवाल, प्रेम सिंह नेगी, विश्म्बरी रावत, पुष्पा रावत, हिमानंद बहुखंडी, सुनील जुयाल, सत्येन्द्र नौगांई, वीर सिंह, राधा तिवारी, पुष्पा नेगी, बना रावत, कीर्ति रावत, गोदाम्बरी भटट, प्रभात डंडरियाल, जानकी भंडारी, मनोहरी रावत, सुधा रावत, विमला पंवार, नीमा हरबोला, काति काला, तारा पांडेय, राम प्यारी, एमएस रावत सहित अनेक आंदोलनकारी मौजूद रहे।