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संविधान दिवस पर विशेष : नए भारत के निर्माण में संवैधानिक कर्त्तव्यों के प्रति होना होगा सजग
स्वतंत्र भारत के भविष्य का आधार
विश्व के प्रमुख संविधानों के अध्ययन और व्यापक विचार-विमर्श के बाद संविधान को 26 नवम्बर,1949 को दिया गया था आकार
कमल किशोर डुकलान
नए भारत के निर्माण में भारतीय संविधान न केवल एक विधिक दस्तावेज है,अपितु यह एक ऐसा महत्वपूर्ण साधन है,जो प्रत्येक नागरिक को समता का अधिकार देने के साथ ही राष्ट्र को प्रगति और समृद्धि के पथ पर ले जाने के लिए कृतसंकल्पित है। भारत के प्रत्येक नागरिक को अपने संवैधानिक कर्तव्यों के प्रति होना होगा सजग …….
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की संविधान दिवस के अवसर पर प्रदेश की जनता को बधाई और शुभकामनाएं
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर जारी शुभकामना संदेश में कहा है कि विश्व में भारत की विशिष्ट पहचान बनाने में भारतीय संविधान की विशेष भूमिका है। भारत आज विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। संविधान में प्रत्येक नागरिक के लिए मौलिक अधिकारों के साथ ही मूल कर्त्तव्यों का भी उल्लेख किया गया है। हमें अपने मौलिक अधिकारों की रक्षा के साथ ही कर्तव्यों का पालन भी तत्परता से करना चाहिए। संविधान के प्रति निष्ठा और सम्मान रखते हुए देश में शांति, सद्भाव और सामाजिक समरसता बनाए रखना हम सभी का दायित्व है।
संविधान को अंगीकृत करने वाली महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना की आज 71वीं वर्षगांठ है।भारतीय संविधान के निर्माण की प्रक्रिया में तमाम दिग्गज शामिल रहे। विश्व के प्रमुख संविधानों के अध्ययन और व्यापक विचार-विमर्श के बाद संविधान को 26 नवम्बर,1949 को आकार दिया गया था। संविधान निर्माण के लिए हुए मंथन की गहनता को इस तथ्य से समझा जा सकता है कि संविधान की प्रारूप समिति के स्वतंत्र भारत के संविधान का मूल प्रारूप तैयार करने का संपन्न हुआ।
मूल संविधान से लेकर अब तक इन पिचहतर वर्षों में देश ने एक लंबी यात्रा तय की है और इस दौरान संविधान में अनेकों परिवर्तन भी किए गए हैं। आज हमारे संविधान में 12 अनुसूचियों सहित 400 से अधिक अनुच्छेद हैं,जो इस बात के प्रमाण हैं कि देश के नागरिकों की बढ़ती आकांक्षाओं को समायोजित करने के लिए शासन के दायरे का किस प्रकार समयानुकूल विस्तार किया जाए। यदि आज भारतीय लोकतंत्र समय की अनेक चुनौतियों से टकराते हुए न केवल मजबूती से खड़ा है,अपितु विश्व पटल पर भी उसकी एक विशिष्ट पहचान है तो इसका प्रमुख श्रेय हमारे संविधान द्वारा र्नििमत सुदृढ़ ढांचे और संस्थागत रूपरेखा को जाता है। भारत के संविधान में सामाजिक, र्आिथक और राजनीतिक लोकतंत्र के लिए एक संरचना तैयार की गई है। इसमें शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक दृष्टिकोण से विभिन्न राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित करने और उन्हें प्राप्त करने के प्रति भारत के लोगों की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया है।
भारत के संविधान की प्रस्तावना का किया जाएगा स्मरण
भारत सरकार के निर्देशों के क्रम में राज्य सरकार के सभी कार्यालयों में संविधान दिवस के अवसर पर भारत के संविधान की प्रस्तावना का स्मरण किया जायेगा। इस सम्बन्ध में प्रभारी सचिव सामान्य प्रशासन विभाग डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय द्वारा सभी अपर मुख्य सचिव, सचिवों, मण्डलायुक्तों, पुलिस महानिदेशक, जिलाधिकारियों एवं विभागाध्यक्षों को प्रेषित पत्र में सभी से अपने नियंत्रणाधीन कार्यालयों में इसकी व्यवस्था कराने की अपेक्षा की है।