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शिक्षा के साथ युवाओं को जागरूक और अनुशासन की शिक्षा दी जाय

विश्वविद्यालयों के लिए एक कंसोलिडेटेड एक्ट लागू करने की तैयारी 

देहरादून : उत्तराखंड के राज्यपाल डॉ. के.के. पॉल ने  शिक्षा का स्तर बढ़ाने के साथ ही बदलते वैश्विक परिवेश के परिपे्रक्ष्य में देश-विदेश के श्रेष्ठ शिक्षण संस्थानों की तरह पाठ्यक्रमों में समय की मांग के अनुरूप बदलाव लाने के साथ ही एकेडमिक व रिचर्स के स्तर में सुधार की आवश्यकता पर विशेष बल दिया । वे शुक्रवार को राजभवन में राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की महत्वपूर्ण बैठक को संबोधित कर रहे थे।

राज्यपाल ने कहा कि ज्ञान की सर्वोच्च संस्था होने के कारण विश्वविद्यालयों को इस बात के लिये भी सदैव सजग रहना चाहिए कि विद्यार्थियों और देश के अन्य नागरिकों के हृदय में शिक्षण संस्थाओं के प्रति सम्मान का भाव बरकरार रहे। भारत का भविष्य युवाओं के हाथ में है। देश के उन्नत भविष्य की दिशा तय करने में विश्वविद्यालय द्वारा युवाओं को दी गई शिक्षा व शैक्षणिक वातावरण की भूमिका अग्रणी है।

प्रदेश में उच्च शिक्षा के स्तर को सुधारने की दृष्टि से राज्यपाल द्वारा मार्च, 2015 से कुलपतियों की त्रैमासिक बैठक नियमित रूप से ली जा रही है। इसी क्रम में आज आहूत बैठक में कुलपतियों को राज्य में उच्च शिक्षा के स्तर में अपेक्षित गुणात्मक सुधार के लिये प्रेरित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि युवाओं का भविष्य संवारने में विश्वविद्यालयों के अहम दायित्व की गंभीरता को समझते हुये शिक्षण संस्थानों में ऐसा वातावरण सृजित करना होगा ताकि विद्यार्थी ज्ञान अर्जन के साथ ही अच्छे इंसान, जागरूक व जिम्मेदार नागरिक के रूप में देश व समाज के प्रति अपनी भूमिका स्वयं तय करने के लिये सक्षम हो सकें। देश और समाज की सेवा लिये युवाओं के मन-मस्तिष्क की ऊर्जा जिज्ञासा को सकारात्मक दृष्टिकोण से रचनात्मकता की  दिशा में ले जाना प्रत्येक कुलपति की अहम जिम्मेदारी है।

राज्यपाल ने शिक्षा और उद्योगों के बीच एक अच्छा समन्वय स्थापित करने पर बल देते हुए कुलपतियों से अपेक्षा की कि विश्वविद्यालयों में प्रदेश के युवाओं के रोजगार के लिये सेवा क्षेत्र/उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुरूप नये पाठ्यक्रम खोलने के प्रयास हो  इससे राज्य के युवाओं को विशिष्ट प्रशिक्षण के लिये बाहर नहीं जाना पड़ेगा और कोर्स की समाप्ति के पश्चात विद्यार्थियों को अपनी दक्षता/कौशल पर आधारित रोजगार भी मिल सकेगा।

 बैठक में कुलाधिपति द्वारा विगत बैठकों में दिये गये महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर दिये गये निर्देशों, सुझावों तथा अपेक्षाओं पर कुलपति स्तर से की गई अनुवर्ती कार्यवाही(Follow up) की विस्तृत समीक्षा की गई जिनमें विश्वविद्यालयों में उच्च स्तरीय शैक्षणिक माहौल विकसित करने की दृष्टि से पुस्तकालयों, अनुसंधान, शोध पत्रों के प्रकाशन, विज्ञान तथा तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिये अपेक्षित प्रयोगशालाओं जैसी बुनियादी सुविधाओं/संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ ही अन्य गतिविधियों के माध्यम से स्वस्थ रचनात्मक वातावरण तैयार करने की अपेक्षा की गई थी।

इसके अतिरिक्त युवाओं को स्वच्छ भारत मिशन व सांसद आदर्श ग्राम योजना से जोड़ने के लिये प्रत्येक विश्वविद्यालय के क्षेत्राधीन कम से कम पांच गांवों का चयन कर वहां का जीवन स्तर बदलने को कहा गया था। सेंटर आॅफ एक्सीलेंस विकसित करने पर विशेष ध्यान देने के लिये कुलाधिपति द्वारा आज पुनः निर्देशित किया गया।

बैठक में कुलाधिपति द्वारा पंतनगर विश्वविद्यालय तथा औद्यानिकी तथा वानिकी विश्वविद्यालय से विशेष रूप से अपेक्षा की गई कि वे राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि एवं औद्यानिकी विकास के लिये विशेष ध्यान केन्द्रित करें ताकि काम धरातल पर दिखाई दे।

राज्यपाल ने कहा कि कालेजों के सम्बद्धीकरण यू.जी.सी. के मानकों के अनुरूप हो तथा सम्बद्ध कालेजों का नियमित रूप से आकस्मिक निरीक्षण किया जाय तभी दीर्घकालिक परिणाम परिलक्षित होंगे। राज्यपाल ने कुछ विश्वविद्यालयों द्वारा इस वर्ष आयोजित दीक्षान्त समारोहों को अच्छा संकेत बताते हुए कहा कि यह प्रतिष्ठित आयोजन नियमित रूप से होना चाहिए। बैठक में सभी कुलपतियों द्वारा अपने-अपने विश्वविद्यालयों से संबंधित प्रगति व विभिन्न समस्याओं से भी कुलाधिपति को अवगत कराया गया।

बैठक में मुख्य सचिव एस.रामास्वामी, सचिव राज्यपाल डाॅ.भूपिन्दर कौर औलख सहित उच्च शिक्षा से जुड़े शासन के सचिव एवं अपर सचिव तथा राज्य विश्वविद्यालयों के सभी कुलपति उपस्थित थे।

devbhoomimedia

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