ELECTION

कांग्रेस की सर्जिकल स्ट्राइक, भाजपा और बसपा के घरों में की सेंधमारी !

  • मनीष के बहाने ब्राह्मण मतदाताओं में  सेंधमारी का प्रयास
  • कांग्रेस की पूर्व सैनिकों के बीच पैठ बनाने की रणनीति
राजेन्द्र जोशी 
देहरादून : उत्तराखंड में कांग्रेस ने भले ही कोई बड़े राजनीतिक कद-काठी वाला राजनेता पार्टी में शामिल न किया हो लेकिन कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) भुवन चंद्र खंडूड़ी के बेटे मनीष खंडूड़ी सहित बसपा के उन तमाम चेहरों को पार्टी में शामिल करके देशव्यापी संदेश तो दे ही दिया है कि कॉंग्रेस अभी भी ताकतवर है और वह अभी भी सेंधमारी कर  सकती है। कांग्रेस के इस कदम को प्रदेश में फौजियों ,भाजपा और बसपा के घरों पर सर्जिकल स्ट्राइक बताया जा रहा है।
 
हालांकि, भाजपा के वरिष्ठ नेता मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) भुवन चंद्र खंडूड़ी के बेटे मनीष का सेना से वास्ता नहीं रहा है, लेकिन कांग्रेस को लगता है कि सैनिक परिवार से होने और पूर्व मुख्यमंत्री खंडूड़ी के बेटे के नाते उन्हें पूर्व सैनिकों के बीच चुनावी माहौल बनाने में दिक्कत नहीं होगी। कांग्रेस इस दांव से मनीष खंडूड़ी के जरिए पूर्व सैनिकों के बीच पैठ बनाने की रणनीति पर भी काम कर रही है। इतना ही नहीं कांग्रेस ने मनीष खण्डूरी को पार्टी में शामिलकर उत्तराखंड के ब्राह्मण मतदाताओं में भी सेंधमारी का प्रयास किया है। उसकी यह सेंधमारी वोटों में कितनी बदल सकती है यह तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे लेकिन यह जरूर है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) भुवन चंद्र खंडूड़ी के समर्थकों का मनीष का इस तरह  कांग्रेस में जाना भाजपा को परेशानी पैदा कर सकता है।
गौरतलब हो कि उत्तराखंड में वर्ष 1991से लेकर अब तक भाजपा के वरिष्ठ नेता मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) भुवन चंद्र खंडूड़ी के चुनाव संचालन की पूरी जिम्मेदारी मनीष खण्डूरी ही संभालते रहे थे इतना ही नहीं वर्ष 2017 में प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान अपनी बहन ऋतु  खण्डूरी के चुनाव संचालन की जिम्मेदारी भी मनीष के ही हाथों रही थी इस कारण से देखा जाय तो गढ़वाल लोकसभा और यम्केश्वर विधानसभा में मनीष एक-एक बूथ की जानकारी रखते हैं। वहीं यह बात भी दीगर है कि पिछले चुनावों में मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) भुवन चंद्र खंडूड़ी पर पार्टी के कार्यकर्ताओं का आरोप रहा है वे पार्टी के चुनाव संचालन समिति पर कम और अपनी चुनाव संचालन समिति पर ज्यादा विश्वास रखते हैं, लेकिन पार्टी ने खण्डूरी के कद के आगे कभी भी इन शिकायतों को तवज्जो नहीं दिया क्योंकि दोनों का मकसद चुनाव में विजय प्राप्त करना था। लेकिन अब बदले परिदृश्य में पार्टी के प्रत्याशी के लिए मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि गढ़वाल लोकसभा सीट की जितनी बारीक जानकारी मनीष खण्डूरी को है उतनी शायद ही भाजपा के कार्यकर्ताओं हो। 
वहीं बीते दिन कांग्रेस की बसपा के घरों में सेंधमारी को लेकर कांग्रेस को हरिद्वार सहित उधमसिंह नगर जिलों सहित अल्मोड़ा जिलों में ऑक्सीजन मिली है वहां से कांग्रेस ने बसपा के बड़े चहरों को पार्टी में शामिल किया है। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में बसपा के उपेक्षित व्यवहार का सियासी बदला कांग्रेस ने उत्तराखंड में चुकाया है। बीते दिन कांग्रेस में शामिल होने वाले नेताओं में सबसे ज्यादा बसपा से ही जुड़े नेता रहे हैं। जिनमें पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष पौडी केशर सिंह नेगी, नगर पालिका टिहरी की अध्यक्ष सीमा कृशाली एवं आकाश कृशाली, बहुजन समाजवादी पार्टी के पूर्व लोकसभा प्रत्याशी सुभाष चौधरी, बसपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश कुमार, नत्थू सिंह, बसपा के पूर्व प्रदेश सचिव मो. यूनुस, कोर्डिनेटर मेनपाल सिंह, सहसपुर से पूर्व निर्दलीय प्रत्याशी लक्ष्मी अग्रवाल एवं पी.के. अग्रवाल, नागेश त्रिपाठी, कविन्द्र इष्टवाल, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष शक्ति जोशी, पूर्व चेयरमैन नगर पालिका जसपुर एडवोकेट मो. अनीस, जसपुर खादी संस्था के सचिव राहुल चैहान शामिल थे। 

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