एयरफोर्स के हैलीकाप्टर से वहां ड्राप किए जाएंगे। जो कम से कम चार घंटे तक वहां झील का करेंगे विस्तृत अध्ययन : सीएम
झील का पता लगाने के लिए एसडीआरएफ टीम का नेतृत्व एक बार फिर कमांडेंट नवनीत भुल्लर के हाथों
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि ऋषिगंगा नदी पर बन रही झील पर प्रदेश सरकार लगातार सेटेलाइट सहित कई अन्य माध्यमों से नजर रखे हुए है। उन्होंने कहा अभी झील की जो स्थिति है उससे कोई भी घबराने की जरूरत नहीं है लेकिन सावधान रहने की जरूरत हमें जरुरत है।
उन्होनी कहा जल्द ही विशेषज्ञों को एक दल हैलीकाप्टर के माध्यम से भेजा जाएगा, जो तीन चार घंटे वहां विस्तृत अध्ययन करने के बाद रिपोर्ट देगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तक जो जानकारी है उसके मुताबिक ये करीब चार सौ मीटर लंबी झील बतायी जा रही है। लेकिन अभी इसकी गहराई का कोई पता नहीं चल पाया है। इसके लिए वहां एनडीआरएफ को भेजा जा रहा है जो वहां की वस्तुस्थिति का पता करके रिपोर्ट देगी।
उन्होंने कहा हिमनद आने से वहां जो भी नदी से सिल्ट व अन्य मलबा आया है, वह करीब 12 मीटर ऊंचाई तक जमा है। लेकिन इस 12 मीटर में कितना पानी है ये पता अभी नहीं चला है। इसके लिए उस क्षेत्र में वैज्ञानिकों की टीम जा रही है, जो उसका अध्ययन करेगी। इसके अलावा कुछ अन्य विशेषज्ञों की टीम भेजी जाएगी, जो एयरफोर्स के हैलीकाप्टर से वहां ड्राप किए जाएंगे। जो कम से कम चार घंटे तक वहां झील का विस्तृत अध्ययन करेंगे और सरकार को रिपोर्ट देंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम उस रिपोर्ट के आधार पर इसमें आगे कार्ययोजना तैयार करेंगे। लेकिन अभी लोगों से ये अपील है कि उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है और सावधान जरूर रहने की जरूरत है , सरकार पूरी स्थिति पर नज़र बनाए हुए है।
गौरतलब हो कि रैंणी से पांच किमी दूरी पर ऋषिगंगा कैचमेंट एरिया में झील बनने की सूचना मिलने के बाद से प्रशासन अलर्ट है। भविष्य में किसी भी प्रकार के हादसे को देखते हुए एसडीआरएफ की 8 टीम को क्षेत्र लिए रवाना किया गया है ताकि वहां कि वास्तविक स्थिति का पता लगाया जा सके। झील का पता लगाने के लिए एसडीआरएफ टीम का नेतृत्व कमांडेंट नवनीत भुल्लर कर रहे हैं।