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सीएम त्रिवेंद्र रावत ने पूजा-अर्चना के साथ प्रवेश किया सरकारी मुख्यमंत्री आवास में

सीएम ने तोड़ा बंगले के मनहूस होने का मिथक

देहरादून : सभी अटकलों और आशंकाओं को खारिज करते हुए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राजधानी दून में कैंट रोड स्थित चर्चित बंगले में प्रवेश कर लिया है। इस तरह वर्षों से उपेक्षित और वीरान पड़े उत्तराखंड के मुख्यमंत्री आवास को बुधवार को अपना मालिक मिल गया। मुख्यमंत्री पद पर तैनाती के तत्काल बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने करोड़ों की लागत से बने इस बंगले में निवास करने का फैसला लिया था और बुधवार को हवन-पूजन व अन्य विधि -विधानों के बीच पूजा अर्चना करके वे  इस बंगले में प्रवेश कर गये। आज से सीएम त्रिवेंद्र रावत मुख्यमंत्री आवास में रहेंगे।

गौरतलब हो कि उन्होंने पहले दिन ही घोषणा कर दी थी कि मुख्यमंत्री आवास में रहने पर कुर्सी चले जाने जैसे अंधविश्वास  को वे मान्यता नहीं देते और कि उनके वहां जाते ही वहां के कथित भूत-प्रेत भाग जायेंगे। इस बीच उनके शुभचिन्तकों ने आवास में वास्तु संबंधी उपचार जरूर सुनिश्चित किये। दरअसल में मुख्यमंत्री का मानना है कि इस आवास पर जनधन से भारी संसाधन लगे हैं और इसे निर्जन छोड़ना जनता के प्रति भी अन्याय ही है।

उत्तराखंड में पिछली सरकारों में बने मुख्यमंत्री मिथकों से खौफ खाते रहे हैं। इसी वजह से देहरादून में न्यू कैंट रोड स्थित 27 करोड़ की लागत से बना बंगला वर्षों से खाली रहा। इस बंगले को लेकर यह मिथक बना हुआ है कि जो भी मुख्यमंत्री इस बंगले में गया वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया।

वहीँ पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में तो मुख्यमंत्री के करोड़ों की लागत से बने इस बंगले के साथ ही सचिवालय स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय का एक कक्ष भी मिथको से जुड़ा रहा है। 420 नंबर के इस कमरे को अशुभ मानते हुए इस कक्ष के बाहर न तो नंबर लिखा हुआ है न ही इस कक्ष में कोई अधिकारी बैठा।  बहरहाल, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के प्रवेश से वीरान पड़ा सीएम का बंगला गुलजार हो गया है। 

उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत इसी धारणा के कारण इस कैंट स्थित निवास में नही गये थे क्योंकि उनके शुभचिंतकों ने उन्हें ध्यान दिलाया था कि यहां रहने आये पूर्व मुख्यमंत्रियों डा. रमेश पोखरियाल निशंक, मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी तथा विजय बहुगुणा को अपना कार्यकाल पूरा करने का अवसर नहीं मिल पाया था। इसी से रावत यहां रहने नहीं आये थे, हालांकि उनका शासन बिना यहां आये भी अस्थिर ही साबित हुआ। 

करीब 27 करोड़ की लागत से बने इस मुख्यमंत्री आवास के बारे में कहा जाता है कि इसमें वास्तुदोष है। कहा जाता है कि जो भी सीएम इस बंगले में रहने जाता है वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाता है। उत्तराखंड बनने के पहले यह रेस्ट हाउस हुआ करता था। बीसी खंडूरी के के कार्यकाल में यह बंगला बनकर तैयार हुआ था। इस बंगले में खंडूरी रहने की तैयारी कर ही रहे थे की उनको हटना पड़ा। इसके बाद रमेश पोखरियाल निशंक सीएम बने लेकिन वे भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। इसके बाद बीसी खुडूरी फिर से सीएम बने और इस आवास में कुछ ही दिन रह सके। विजय बहुगुणा भी कैंट रोड के इस बंगले में रहने आए, लेकिन वे भी 5 साल पूरे नहीं कर सके। सीएम बनने के बाद हरीश रावत ने इस बंगले में रहने की बजाय बीजापुर गेस्ट हाउस को ही अपना आवास बना लिया था। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत भारी बहुमत के साथ उत्तराखंड के 9वें सीएम बने हैं। सरकार बनने के बाद विधानसभा का पहला सत्र मंगलवार को समाप्त हो चुका है।

बंगले के बारे में मीडिया ने रावत से पूछा कि इस आवास को अशुभ माना जाता है और कोई भी यहां रहने वाला सीएम अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका। इस पर त्रिवेंद्र रावत ने व्यंग्य के लहजे में कहा कि जहां भी वें जाते हैं, भूत भाग जाते हैं। इसलिए ऐसी कोई बात नहीं है। आज जब मुंख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत कैंट रोड स्थित आवास में शिफ्ट हो रहे हैं तो यह काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा में एक ही सवाल है कि क्या त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड के 9वें मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल पूरा कर पाएंगे?

सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश के दौरान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट, कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत, मदन कौशिक, डॉ. हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत, विधायक गणेश जोशी, मुख्य सचिव एस. रामास्वामी सहित अन्य गणमान्य भी मौजूद रहे।

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