एफआईआर में एसएलएओ व कर्मचारियों का नहीं था जिक्र
आयुक्त के जवाब तलब करने पर सौंपी गई अनुपूरक तहरीर
एडीएम ने मानी त्रुटि मांगी माफ़ी
रुद्रपुर। पारदर्शी प्रशासन की दुहाई देने वाली भाजपा सरकार के अधिकारी करोड़ों के मुआवजा घोटाले में शासन के निर्देश पर दर्ज कराई गई एफआईआर में एसएलएओ और उनके दफ्तर को नामजद करने में प्रशासन चूक गया। करीब दस दिन बाद आयुक्त डी सेंथिल पांडियन के संज्ञान लेने पर अनुपूरक तहरीर देकर एसएलएओ व उनके दफ्तर को नामजद किया गया। आयुक्त ने इस मामले में जवाब तलब किया तो एफआईआर दर्ज कराने वाले एडीएम ने इस चूक के लिए क्षमा याचना की। गौरतलब हो कि इसी एफआईआर को महत्वपूर्ण दस्तावेज मानकर सीबीआई को अब आगे कार्यवाही करनी है।
नेशनल हाइवे के फोरलेन के लिए की गई भूमि अधिग्रहण में हुए करीब 270 करोड़ के घोटाले की प्रारंभिक जांच के बाद शासन ने मामले में एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए थे। जिस पर बीती 10 मार्च को अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) प्रताप शाह ने तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया था। इस तहरीर में उन भू स्वामियों को जिन्होंने कृषि भूमि को अकृषि दर्शा कर आठ से दस गुना मुआवजा लिया है को शामिल किया ही गया, साथ ही एसडीएम तथा उनके न्यायालय के रीडर/ पेशकार जिन्होंने भू उपयोग परिवर्तन कर कृषि भूमि को जमींदारी विनाश एवं भूमि सुधार अधिनियम की धारा 143 के अंतर्गत भूमि को अकृषि प्रयोजन करने का आदेश पारित किया गया को शामिल किया गया।
यही नहीं तहरीर में राजस्व अभिलेखों में कूटरचना करने वाले तहसीलदार, नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक, पटवारी/ लेखपाल तथा राजस्व कानूनगो (खतौनी) को नामजद किया गया। इसके अलावा चकबंदी अधिकारी, सहायक चकबंदी अधिकारी, परियोजना निदेशक राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण रुद्रपुर व नजीबाबाद तथा उनके अधीनस्थ कर्मचारी तथा क्षेत्रीय अधिकारी उत्तराखंड राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण देहरादून को नामजद किया गया। इस तहरीर में विशेष भूमि अध्यप्ति अधिकारी एवं उनके कार्यालय के नाम का कहीं उल्लेख नहीं था। इसी तहरीर पर एफआईआर दर्ज की गई।
एफआईआर में एसएलएओ और उनके दफ्तर के कर्मचारियों को नामजद न करने की सूचना पर आयुक्त श्री पांडियन ने कड़ा रुख अपनाते हुए 17 मार्च को जवाब तलब किया कि किन कारणों से विशेष भूमि अध्यप्ति अधिकारी/ कार्यालय के किसी भी अधिकारी अथवा कर्मचारी का नाम का उल्लेख नहीं किया गया। आयुक्त के जवाब तलब करने से अधिकारियों के हाथ पैर फूल गए। आनन फानन में 20 मार्च को अनुपूरक तहरीर तैयार करके एसएलएओ व उनके दफ्तर के कर्मचारियों के खिलाफ भारी वित्तीय अनियमितताओं एवं विधि विरुद्ध अकृषिक भूमि घोषित करने में पद के दुरुपयोग का आरोप लगाकर तहरीर दी गई। साथ ही यह स्पष्ट किया गया कि पूर्व में दर्ज रिपोर्ट में संभावित व्यक्तियों/ कार्यालयों का उल्लेख किया गया है उसमें यह बिन्दु अंकित नहीं हो पाया। इसलिए एफआईआर में एसएलएओ व उनके दफ्तर के कर्मचारियों को भी शामिल किया जाए। बाद में 24 मार्च को आयुक्त को भेजे जवाब में एडीएम शाह ने स्वीकार किया कि त्रुटिवश एसएलएओ व उनके दफ्तर का नाम तहरीर में आने से रह गया था। इस बाबवत अनुपूरक तहरीर दे दी गई है। इस त्रुटि के लिए एडीएम ने क्षमा भी मांगी है।