केदारनाथ धाम के लिए रोपवे निर्माण पर मंथन तेज
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ धाम की यात्रा में न मौसम बाधक बनेगा और न ही हेलीकॉप्टरों की धमाचौकड़ी से केदारनाथ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के वन्य जीवन में खलल पड़ेगा। इसे देखते हुए केदारपुरी के लिए अब रोपवे (रज्जु मार्ग) निर्माण को मंथन तेज हो गया है। इसके लिए उसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की बात हो रही है, जिसके तहत 2015 में सर्वे किया गया।
पहले चरण में लिनचोली से केदारनाथ और अगले चरण में रामबाड़ा से लिनचोली तक रोपवे प्रस्तावित है। करीब 11 किमी लंबे इन रोपवे के अस्तित्व में आने से गौरीकुंड से केदारनाथ तक का सफर एक घंटे में तय हो जाएगा, जबकि अभी तक इस दूरी को पैदल नापने में सात घंटे लगते हैं। हालांकि हेलीकॉप्टर इसका विकल्प है, लेकिन किराया अधिक होने के कारण कई यात्री इसे वहन करने में सक्षम नहीं हैं। रोपवे बनने से श्रद्धालुजन किसी भी मौसम में आसानी से और रियायती दर पर बाबा केदार के दर्शनों को पहुंच सकेंगे।
दरअसल, 2013 में आई आपदा के बाद केदारपुरी के लिए रोपवे निर्माण की मांग ने जोर पकड़ा। 2014 में तत्कालीन सरकार ने दो चरणों में रोपवे की मंजूरी देने के साथ ही 80 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया। इसके बाद पर्यटन विभाग ने दो बार टेंडर आमंत्रित किए, मगर किसी भी कंपनी ने रुचि नहीं ली। नतीजतन, बात आगे नहीं बढ़ पाई।
अलबत्ता, 2015 में लिनचोली से केदारनाथ और 2016 में रामबाड़ा से लिनचौली तक सर्वे कराया गया, लेकिन बात सर्वे से आगे नहीं बढ़ पाई। इस बीच केदारनाथ के लिए हेलीकॉप्टरों की धमाचौकड़ी भी खूब होने लगी। इस पर भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) ने केदारनाथ से सटी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में हेलीकॉप्टरों की उड़ान से वन्य जीवन पर पडऩे वाले असर के मद्देनजर अध्ययन किया।
डब्ल्यूआइआइ ने अपनी रिपोर्ट में केदारनाथ के लिए हेली सेवाओं को नियंत्रित करने और इसके विकल्प के रूप में रोपवे का सुझाव शासन को दिया। अब रोपवे के विकल्प पर गंभीरता से मंथन चल रहा है। रुद्रप्रयाग की जिलाधिकारी रंजना ने बताया कि केदारनाथ तक रोपवे के मद्देनजर सर्वे का कार्य पूरा कर लिया गया है। इस बारे में रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है। उम्मीद है कि जल्द ही शासन स्तर से इस संबंध में निर्णय ले लिया जाएगा और फिर रोपवे का निर्माण शुरू हो जाएगा।