एशिया से लेकर अफ्रीका तक, जितना हो सका चीन ने उतने ही देशों को अपने कर्ज जाल की नीति का शिकार बनाया. वो लालच देकर शुरुआत में कर्ज देता है और जब दूसरा देश उसे लौटाने में सक्षम नहीं होता, तो चीन अपने असल मकसद को पूरा कर उस देश के बंदरगाहों और हवाईअड्डों पर या तो कब्जा कर लेता है या फिर वहां अपना सैन्य अड्डा ही बना लेता है (Sri Lanka Lease Port to China). यूं तो अब तक उसके कई शिकार बने हैं, लेकिन फिलहाल श्रीलंका चर्चा में बना हुआ है. श्रीलंका इस कदर कर्ज जाल में फंस गया है कि उसे चीन से इस संकट से निकलने के लिए मदद मांगनी पड़ी है.
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने रविवार को चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ ऋण संकट का मुद्दा उठाते हुए कहा कि क्या बीजिंग अपने विदेशी ऋण को पुनर्गठित करके विदेशी मुद्रा संकट से उबरने में उनके देश की मदद कर सकता है (Sri Lanka Economy). वांग मालदीव से शनिवार को दो दिवसीय यात्रा पर श्रीलंका पहुंचे थे और उन्होंने राष्ट्रपति सचिवालय में राजपक्षे से मुलाकात की. इस दौरान श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने यह मुद्दा उठाया.