आईटीबीपी के महानिदेशक एसएस देशवाल के साथ आए अधिकारियों की शासन के उच्चाधिकारियों के साथ आइटीबीपी से सम्बन्धित विषयों पर चर्चा
मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना के लिए 10 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की गई, देहरादून में आईटीबीपी को फ्रंटियर हेड क्वार्टर के लिए लगभग 15 एकड़ भूमि उपलब्ध कराने के भी निर्देश
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सीमांत क्षेत्रों के विकास के लिए भारत सरकार से सहायतित सीमांत क्षेत्र विकास योजना के साथ ही मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना के तहत क्षेत्रीय विकास पर ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा कि सीमांत क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास से पलायन रोकने में मदद मिलेगी।
उन्होंने राज्य के सीमान्त क्षेत्रों से पलायन रोकने को देश की सुरक्षा से जुड़ा विषय भी बताया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना के लिए 10 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की गई है।
शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में आईटीबीपी के महानिदेशक एसएस देशवाल के साथ आए अधिकारियों एवं शासन के उच्च अधिकारियों के साथ आइटीबीपी से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्रदेश के सीमांत जनपदों के सीमा क्षेत्रों में आईटीबीपी की चौकियों को नियमित विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने की कार्ययोजना अविलंब तैयार की जाए।
उन्होंने कहा कि सीमांत क्षेत्रों में सीपीडब्लूडी द्वारा निर्मित सड़कों की मरम्मत बीआरओ द्वारा की जाय। इन क्षेत्रों में मोबाइल टावरों की स्थापना के लिए भारत सरकार से अनुरोध किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी देहरादून को आईटीबीपी को फ्रंटियर हेड क्वार्टर के लिए लगभग 15 एकड़ भूमि उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए हैं।
उन्होंने राजस्व सचिव को आईटीबीपी को उनके जोशीमठ कैम्पस की भूमि का स्वामित्व प्रदान करने के लिए प्रस्ताव कैबिनेट में लाने के भी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने महानिदेशक आइटीबीपी को आश्वस्त किया कि उनके द्वारा सीमान्त क्षेत्रों में आवाजाही बढ़ाई जाने एवं इन क्षेत्रों से लोगों का पलायन रोकने के लिए प्रभावी प्रयास किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आईटीबीपी के पास साहसिक पर्यटन की गतिविधियों से संबंधित तकनीकी दक्षता भी है। उन्होंने इसके लिए पर्यटन एवं आइटीबीपी के अधिकारियों का वर्किंग ग्रुप बनाए जाने तथा विन्टर टूरिज्म सेल से समन्वय बनाने पर भी बल दिया।
मुख्यमंत्री ने सीमान्त क्षेत्र विकास के तहत सीमांत क्षेत्रों के ट्रेक रूटों की मरम्मत के लिए आईटीबीपी को धनराशि उपलब्ध कराने, उच्च हिमालयी क्षेत्रों में औषधीय वनस्पति के उत्पादन पर ध्यान देने, दूरस्थ सीमान्त क्षेत्रों मलारी, माणा, हर्षिल, नेलांग जैसे क्षेत्रों को पर्यटन से सम्बन्धित योजनाओं में शामिल करने पर भी ध्यान देने को कहा। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने आईटीबीपी को राज्य सरकार द्वारा यथासम्भव सहयोग का भी आश्वासन दिया गया।
बैठक में आईटीबीपी के महानिदेशक एसएस देशवाल ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य में उनकी पांच बटालियन हैं। मसूरी अकादमी के साथ ही फ्रंटियर हेड क्वार्टर भी यहां से संचालित होता है। उन्होंने फ्रंटियर हेड क्वार्टर के लिए देहरादून के आसपास 15 एकड़ भूमि की व्यवस्था करने का अनुरोध करते हुए जोशीमठ की भूमि का स्वामित्व प्रदान करने एवं उनकी सीमांत 42 चौकियों में ग्रिड से बिजली आपूर्ति, सीपीडब्ल्यूडी द्वारा सीमांत क्षेत्रों में निर्मित सड़कों के रखरखाव, चौकियों के आसपास मोबाइल टावरों की स्थापना आदि की भी बात रखी।
उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि सीमान्त क्षेत्रों के गांवों में आवाजाही बढ़ाने के प्रयास किए जाएं। सीमा क्षेत्रों में आवाजाही से वहां तैनात बलों को भी सुविधा रहती है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों द्वारा बॉर्डर तक आवाजाही बढ़ाई गई है। हमें भी अपने क्षेत्रों में केवल अपने देश के लोगों को इनर लाइन परमिट की व्यवस्था करनी चाहिए। अभी इन क्षेत्रों में ग्रास लैंड के लिए ही कैटल ग्रेजिंग के लिए परमिट जारी किए जाते हैं।
इस अवसर पर सचिव लोक निर्माण आरके सुधांशु, सचिव ऊर्जा राधिका झा, सचिव राजस्व सुशील कुमार, विशेष सचिव मुख्यमंत्री पराग मधुरकर धकाते, जिलाधिकारी देहरादून आशीष श्रीवास्तव, अपर सचिव पर्यटन सोनिका, आइटीबीपी आईजी एसएस रावत, आईजी नीलाभ किशोर, डीआईजी अपर्णा कुमार, डिप्टी कमान्डेंट आशीष शर्मा, आईटीबीपी के पीआरओ राजीव नेगी आदि उपस्थित थे।
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