चीफ जस्टिस मुंबई के पत्र को उत्तराखंड हाई कोर्ट ने जनहित याचिका में किया तब्दील
मुख्य न्यायाधीश ने चार धाम यात्रा में श्रद्धालुओं को सामने आ रही दिक्कतों का किया जिक्र
हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने पूरे मामले की सुनवाई कर राज्य सरकार को जारी किया नोटिस
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
नैनीताल : बांबे हाई कोर्ट के जस्टिस ने उत्तराखंड की विश्वप्रसिद्ध और धार्मिक आस्था की चार धाम यात्रा व्यवस्थाओं को पोल खोले हुए उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को एक पत्र लिखकर जहाँ उत्तराखंड की खूबसूरती का जिक्र करते हुए अपनी चार धाम यात्रा के बारे में बताया वहीं उन्होंने चार धाम यात्रा व्यवस्थाओं पर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को चार धाम यात्रा में श्रद्धालुओं को सामने दिक्कतों जिक्र किया है।
उन्होंने पत्र में खच्चर, टैक्सी, डांडी के साथ रहन-सहन में की भी दिक्कतों के साथ ही केदारनाथ में हेलीपैड के आस-पास धूप और बारिश से बचने के लिए सल्टर ना होने से भी दिक्कतें का भी पत्र में जिक्र किया है। पत्र में कहा है कि हालांकि इन अव्यवस्थाओं को राज्य सरकार की ओर से दूर किया जा सकता है पर ऐसा नहीं हो रहा है। शुक्रवार को हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने पूरे मामले की सुनवाई कर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने जिला पंचायत उत्तरकाशी को पक्षकार बनाते हुए राज्य सरकार और जिला पंचायत उत्तरकाशी को नोटिस जारी किया है।
साथ ही उन्होंने पत्र में लिखा है कि उत्तराखंड सरकार चार धाम यात्रा को लेकर खूब प्रचार प्रसार कर रही है। श्रद्धालु भी बड़ी तादाद में वहां चार धाम यात्रा के लिए जाते हैं, बावजूद इसके वहां की यात्रा करने में श्रद्धालुओं को तमाम दिक्कतों से गुजरना पड़ता है। हाई कोर्ट ने जस्टिस के इस पत्र को बतौर याचिका स्वीकार करते हुए सरकार से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है।
गौरतलब हो कि बांबे हाई कोर्ट के जस्टिस केआर श्रीराम कुछ दिनों पहले अपने परिवार के साथ चार धाम यात्रा पर उत्तराखंड आए हुए थे। यात्रा के दौरान उन्हें श्रद्धालुओं की पीड़ा समझ में आई। पैदल यात्रा के दौरान खाने, पीने, ठहरने और यहां तक की मेडिकल सुविधाओं का भी नितांत अभाव दिखा। इस संदर्भ में उन्होंने उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखकर अवगत कराया है। वहीं चीफ जस्टिस ने इस पत्र को जनहित याचिका में तब्दील कर प्रदेश सरकार से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है।