भीतरघात को समय रहते काबू नहीं कर पायी भाजपा
देहरादून : उत्तराखंड में चमोली जिला पंचायत सीट पर भाजपा की सीट को कांग्रेस ने हथिया लिया, इस सीट पर पूर्व जिलापंचायत अध्यक्ष और थराली से अपने पति की मृत्यु के बाद विधायक बनी मुन्नी देवी का कब्जा रहा था। इस सीट के हारने से भाजपा को करारा झटका लगा है। सोमवार को हुए चुनाव में कांग्रेस की रमवती देवी अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुईं है उन्होंने दो वोट से जीत दर्ज की है। मामले पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट का कहना है कि चमोली जिला पंचायत की सीट भाजपा भीतरघात की वजह से हार गई। क्रास वोटिंग हार की मुख्य वजह है, जिसको लेकर स्थानीय लीडरशिप से रिपोर्ट मांगी गयी है। निकाय चुनाव इससे पूरी तरह भिन्न हैं। पार्टी बेहद मजबूत स्थिति में है।
चमोली जिपं में अध्यक्ष के रिक्त पद पर जिला निर्वाचन विभाग की ओर से इसकी पुष्टि की गई है। देवर-खडोरा की जिला पंचायत सदस्य भागीरथी कुंजवाल (भाजपा) को 11 और हाट-कल्याणी की सदस्य रमवती देवी को 13 वोट मिले। वहीं दो वोट रिजेक्ट हो गए।
बता दें कि जिला पंचायत सदस्य की जिले में 27 सीटें है, लेकिन पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मुन्नी देवी शाह के इस्तीफा देने के बाद यह सीट रिक्त थी, जिससे अध्यक्ष पद के उपनिर्वाचन में सिर्फ 26 जिला पंचायत सदस्यों ने ही मतदान किया। आज सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक जिला पंचायत के सभागार में मतदान कराया गया।
नगर निकाय चुनाव से ठीक पहले चमोली जिला पंचायत उपचुनाव में भाजपा को करारा झटका लगा है। भाजपा के हाथ से कुर्सी खिसकने की असल वजह भीतरघात, पार्टी की चिंता बढ़ा रही है। प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट की कमान में संगठन का तमाम तंत्र चमोली में सक्रिय रहा, लेकिन कांग्रेस बाजी पलटने में कामयाब रही। निकाय चुनाव में भी पार्टी भीतरघात को लेकर आशंकित है, जिसके चलते अब पार्टी नए सिरे से रणनीति बनाने में जुटी है।
चमोली जिला पंचायत उपचुनाव के नतीजे से पहले भाजपा वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव के बाद से सियासी दबदबा बनाने में सफल रही थी। देश में कई उपचुनावों में पार्टी की लगातार हार के बावजूद भाजपा ने कुछ माह पहले थराली विधानसभा उपचुनाव में जीत दर्ज कर अपना वर्चस्व कायम रखा। चमोली जिला पंचायत अध्यक्ष की विधानसभा उपचुनाव में मिली जीत से कांग्रेस के हाशिये पर जाने के संकेत मिले। अब जिला पंचायत की कुर्सी खिसकने से पार्टी नए सिरे से मंथन में जुट गई है।
भाजपा में भीतरघात को भुनाने में कांग्रेस की सफलता भाजपा के लिए अच्छे संकेत नहीं है। उपचुनाव के नतीजे की ‘टाइमिंग’ चिंता की असल वजह है। और यह तब है जब 12 दिन बाद 84 निकायों में मतदान होना है। निकाय में टिकट आवंटन के बाद बगावत और भीतरघात भाजपा के लिए चुनौती बना हुआ है।
59 बागियों और पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त कार्यकर्ताओं को पार्टी ने बाहर कर दिया, लेकिन अब भी कई निकायों में भीतरघात की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। पार्टी ने डैमेज कंट्रोल तंत्र को सक्रिय कर रखा है, लेकिन चमोली की रणनीतिक असफलता के बाद तंत्र को और मजबूत करने पर मंथन हो रहा है।