अधिकारियों की विदेश यात्राओं पर मुख्यसचिव का ब्रेक

- व्यक्तिगत विदेश यात्राओं के लिए भी लेनी होगी पूर्वानुमति
देहरादून : मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह धीरे-धीरे राज्य की बेपटरी हो चुकी ब्यूरोक्रेसी को पटरी पर पर लाने के प्रयास पर जुटे हुए हैं। इसी क्रम में उन्होंने राज्य की ब्यूरोक्रेसी को एक पत्र लिखकर उनकी विदेश यात्राओं पर ब्रेक लगा दिया है। यहाँ तक कि उन्होंने व्यक्तिगत कार्यों से विदेश दौरे को भी पूर्व स्वीकृति के बिना प्रतिबंधित कर दिया है। वर्तमान मुख्यसचिव की इस पहल की सर्वत्र प्रशंसा की जा रही है कि किसी ने तो राज्य की वित्तीय स्थिति का खयाल रखा।
गौरतलब हो कि राज्य के अस्तित्व में आने से लेकर अब तक सूबे के अधिकारियों सहित नेताओं ने न जाने कितने विदेश दौरे कर डाले हैं लेकिन 42 हज़ार करोड़ के कर्ज तले डूब चुके इस राज्य को इन विदेशी दौरों से कितना फायदा हुआ यह तो भगवान को ही पता होगा लेकिन इन विदेश यात्राओं के नाम पर अधिकारियों और नेताओं की मौज मस्ती का राज्य पर कितना व्यय भार पडा यह सबके सामने हैं कि आज राज्य कठिन वित्तीय संकट के दौर से गुजर रहा है ऐसा नहीं कि राज्य को इस दौर में पहुंचाने के लिए सिर्फ नेताओं और अधिकारियों की विदेश यात्रायें ही जिमेम्दार हैं । इसके लिए यदि जिम्मेदार हैं तो वह है राज्य के कोष में जमकर लूट -खसोट।क्योंकि यहाँ तैनात अधिकाशं अधिकारियों और कुछ नेताओं ने इस राज्य को अभी भी अपना राज्य नहीं समझा और न ही राजकोष के धन को अपना धन। यही कारण है कि राज्य अब तक करोड़ों के कर्ज में डूबता चला गया है।
इन्ही सब बातों के देखते हुए सूबे के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह को यह आदेश निकालना पड़ा । मुख्य सचिव के पत्रांक 1550 दिनांक 16 नवंबर 2017 के उन्होंने पत्र में कहा कि वित्तीय वर्ष 2017 -18 की समाप्ति के लगभग अब मात्र चार महीने शेष हैं भारत सरकार तथा राज्य सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं का क्रियान्वयन निर्धारित समय अवधि के अंदर सुनिश्चित किया जाना है। उन्होंने पात्र में कहा है कि इस अल्प अवधि में बजट प्राविधान तथा विधान सभा के आहूत आगामी सत्र में पारित होने वाले अनुपूरक बजट की सभी वित्तीय स्वीकृतियां जारी की जानी हैं. अतः महत्वपूर्ण योजनाओं का समयबद्ध एवं त्वरित क्रियान्वयन एवं बजट में प्रविधानिक धनराशि के सापेक्ष समस्त वित्तीय स्वीकृतियां निर्धारित समय अवधि के अंदर निर्गत करते हुए शासन तथा फील्ड स्तर पर सरकारी सेवकों की उपस्थिति अपरिहार्य है। ताकि किसी भी स्तर पर योजनाओं के क्रियान्वयन में किसी प्रकार का कोई व्यवधान तथा विलम्ब न हो। उक्त के दृष्टिगत शासन द्वारा सम्यक विचारोपरांत वित्तीय वर्ष 2017 -2018 के अवशेष माह के लिए सरकारी सेवकों के विदेश प्रशिक्षण, गोष्ठी तथा सेमीनार आदि के लिए विदेश यात्रा को प्रतिबंधित किया गया है।
यहाँ तक कि उन्होंने अपने कार्यालय से जारी इस आदेश में कहा है कि व्यक्तिगत तौर पर विदेश यात्रा पर जाने से पूर्व अधिकारियों को कार्मिक अनुभाग -2 के शासनादेश के अनुसार पूर्व स्वीकृति लेनी आवश्यक होगी ।