रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि हिमालयी राज्यों में पहाड़ पर बनने वाली सड़क का मलबा नीचे बह रही नदी में गिराया जा रहा है जिससे न केवल जैव विविधता को खतरा पहुंच रहा है बल्कि मलबा भूस्खलन का बड़ा सबब भी बन रहा है।
रिपोर्ट में केंद्र सरकार को यह भी बताया गया कि केंद्र पोषित योजनाओं की हिमालयी राज्यों में धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। किसी भी केद्रीय विकास योजना पर राज्यों ने मानकों के मुताबिक काम नहीं किया है।
लिहाजा अब केंद्र सरकार ने तय किया है कि हिमालयी राज्यों में विकास परियोजनाओं का क्रियान्वयन वह खुद ही करेगी। केंद्र सरकार उत्तराखंड समेत सभी हिमालयी राज्यों में संचालित होने वाली विकास परियोजनाओं की लगाम अब अपने हाथों में रखेगी।
इसके लिए नेशनल हिमालयन मिशन की नोडल एजेंसी GB Institute of Himalayan Environment and Development सभी हिमालयी राज्यों के लिए अगले तीन साल की कार्ययोजना बना रहा है।
इसके तहत अब राज्य जो परियोजना देंगे उनको जैव विविधिता संरक्षण के मद्देनजर वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की कसौटी पर भी खरा उतरना होगा। विकास बिना विनाश की नीति पर काम करने की हसरत पालने वाली केंद्र सरकार का मूड़ इतना खराब है कि विकास योजनाओं के लिए कार्यदायी संस्था भी वह खुद चुनेगी और योजना की मॉनीटरिंग भी खुद ही करेगी।
तय है कि अब राज्य परियोजनाओँ मे न तो दखल देगा न निर्माण के लिए कोई ऐजेंसी चुनेगा। यानि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के पर कतर दिए हैं।