UTTARAKHAND

सीबीआई जांच की जद में आया छह सौ करोड़ का चर्चित दवा घोटाला मामला

  • करोड़ों की दवाएं रुड़की में एक नाले में पड़ी मिली थीं

  • पूर्व में राज्य सूचना आयोग ने दी थी सीबीआइ जांच की संस्तुति

  • 600 करोड़ के घोटाले को अब तक दबाने में लगे रहे अधिकारी

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

देहरादून: भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंस की बात करने वाली प्रदेश सरकार ने बीते नौ सालों से फाइलों में दबे पड़े दवा घोटाले पर जांच की हामी क्या भरी कि स्वास्थ्य निदेशालय से लेकर सचिवालय तक में बैठे आला अधिकारियों का स्वास्थ्य ही गड़बड़ा गया और उन्हें गश आने लगे।  मामला NRHM (नेशनल रूरल हेल्थ मिशन) दवा घोटाले का है। जिसपर सरकार ने सीबीआइ जांच के आदेश दिए हैं। सीबीआई जांच के आदेश होते ही सीबीआइ ने भी प्रकरण में तेज़ी दिखाते हुए घोटाले से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका की जांच की अनुमति शासन से मांगी है। अब शासन की अनुमति मिलते ही इस प्रकरण में सीबीआई अपनी जांच कार्रवाई शुरू कर देगी।

जानकारों का मानना है यदि यह जांच सही दिशा में हुई तो राज्य में एनएच-74 मुआवजा घोटाले से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी इस जांच की जद में आने के चलते सलाखों के पीछे होंगे।

गौरतलब हो कि वर्ष 2006 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने एनआरएचएम के तहत अस्पतालों में मुफ्त दवा वितरण की योजना शुरू की थी। इसके लिए करोड़ों की दवा की खरीद की गई थी। लेकिन अधिकारियों ने करोड़ों की दवा जनता के स्वास्थ्य लाभ के लिए अस्पतालों के माध्यम से बांटने के बजाय स्टोर में ही एक्सपायर होने दिया। इतना ही नहीं वर्ष 2010 में इस खरीद की करोड़ों रूपये की दवाएं रुड़की के एक नाले में पड़ी मिली थी। इतना ही नहीं इसके अलावा कई जिलों से भी इसी तरह से दवा को इधर-उधर ठिकाने लगाने की सूचना उस दौरान मिलती रही।

लगातार नालों -खालों से मिल रही दवा के मामले में हंगामा होने के बाद शासन स्तर पर इसकी जांच शुरू तो हुई, लेकिन घोटाले में छोटे कर्मचारी से लेकर बड़े अधिकारियों की गर्दन फंसने के डर से हर बार जांच को दबाया जाता रहा। यही कारण है कि नौ साल तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई।

इस बीच वर्ष 2014 में मामला राज्य सूचना आयोग पहुंचा तो आयोग ने भी सीबीआइ जांच की संस्तुति कर दी। तब से यह प्रकरण केंद्रीय सूचना आयोग और सीबीआइ के बीच अनुमति को लेकर विचाराधीन था। कुछ दिन पहले सीबीआइ मुख्यालय ने जांच की अधिसूचना जारी की। यह पत्र सीबीआइ की दून शाखा को मिल गया है।

अधिसूचना सम्बन्धी पत्र के शासन को मिलने के बाद सीबीआइ ने जांच के लिए उत्तराखंड शासन को पत्र भेजा है। इस पत्र में तत्कालीन स्टोर कीपर, सीएमओ, सीएमएस, एसीएमओ और प्रकरण से सीधा नाता रखने वाले सभी अधिकारियों कर्मचारियों की सूची मांगी गयी है।माना जा रहा है कि शासन से यह सूची मिलते ही सीबीआई मामले की जांच शुरू कर देगी।

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