हरिद्वार के 7 अफसरों पर केस दर्ज कर होगी जांच : कोर्ट

- वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना का मामला
- वर्ष 2003 से 31 मई 2011 तक मालदारों ने लिया योजना का लाभ
- स्वरोजगार योजना में लाभान्वित 252 व्यक्तियों ने लिया गलत तरीके से लाभ
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
हरिद्वार : अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रजनी शुक्ला ने तत्कालीन डीएम समेत सात अधिकारियों के खिलाफ वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना में सरकारी पैसे का गबन करवाने के आरोप में मुकदमा दर्ज कर पुलिस को जांच करने के आदेश दिए हैं। मामला वर्ष 2003-2004 से 31 मई 2011 तक का है। तत्कालीन अधिकारियों पर स्वरोजगार योजना के तहत लोन देने में लापरवाही और नियमों की अनदेखी का आरोप है।
शिकायतकर्ता अरुण भदौरिया निवासी जगजीतपुर कनखल ने 23 दिसंबर 2011 को सीजेएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर तत्कालीन डीएम, मुख्य विकास अधिकारी, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी, प्रबंधक जिला अग्रणी बैंक हरिद्वार, महाप्रबंधक जिला उद्योग केंद्र हरिद्वार, नाबार्ड प्रतिनिधि और परिवहन प्रतिनिधि के खिलाफ एक शिकायत दायर की थी। बताया था कि वर्ष 2003-04 से 31 मई 2011 तक हरिद्वार में तैनात रहे इन अधिकारियों ने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना में लाभान्वित 252 व्यक्तियों को ऋण प्रदान किया था।
दायर शिकायत में आरोप लगाया था कि इन अधिकारियों ने योजना में लापरवाही और नियमों की अनदेखी कर लोगों को आर्थिक संपन्न होने के बावजूद लोन दिया गया है। दायर प्रार्थना पत्र में बताया गया कि रुड़की से मनीषा बत्रा पत्नी तत्कालीन नगर पालिका चेयरमैन की पत्नी और डीपीएस स्कूल रुड़की की डायरेक्टर होने के बावजूद खुद को बेरोजगार दर्शाकर दस लाख का ऋण प्राप्त किया हुआ है।
उन्होंने ढाई लाख रुपये की सब्सिडी लेकर गलत रूप से लाभ कमाया है। ऐसे ही वीरेंद्र कुमार पुत्र राजकुमार और उनकी पत्नी अंजनी चड्ढा निवासी बिल्केश्वर कॉलोनी हरिद्वार पर साढ़े 22 लाख रुपये का लोन लेने का आरोप है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि इन अधिकारियों की मदद से नीरज सिंघल निवासी दूधाधारी चौक हरिद्वार, होटल व्यवसायी अशोक पुत्र बलराम निवासी जस्साराम रोड हरिद्वार ने भी अपने को बेरोजगार बताकर ऋण प्राप्त किया है।