जनसंगठनों की महापंचायत में उठी गैरसैंण राजधानी की हुंकार
- गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान
- ‘गैरसैंण की धै लगी’ जनगीत का लोक समर्पण
- गैरसैंण राजधानी हेतु व्यापक व तीखा आंदोलन छेड़ने का़े निर्णय
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान के तत्वाधान में ‘दैणा हुयां खोली का गणेशा हे … मंत्रोचार और उत्तराखंड आंदोलन की तर्ज पर गैरसेंण राजधानी हेतु तैयार जनगीत ‘उत्तराखंड मा धै लगी, राजधानी की धै लगी; गैरसैंण की धै लगी, राजधानी की धै लगी’ के साथ गर्मजोशी के साथ लगाए गए नारों के साथ *जनसंगठनों की महापंचायत* की बैठक प्रारंभ हुई। जनसंगठनों की महापंचायत में आज का मुख्य आकर्षण का केन्द्र जनगीतकार संजय थपलियाल द्वारा ‘गैरसैंण की धै लगी’ जनगीत का लोक समर्पण, एवम् गैरसैंण राजधानी हेतु व्यापक व तीखा आंदोलन छेड़ने का़े निर्णय के साथ संघर्ष स्थल पर संपन्न हुआ|
रविवार को आहूत जनसंगठनों की महापंचायत की बैठक में प्रदेश में वर्तमान में संचालित सचिवालय व विधानसभा को, राजधानी संबंधित शासनादेशों के अभाव में, असंवैधानिक करार दिया गया और इसे उत्तराखंड के लिए प्राण न्यौच्छावर करने वाले शहीदों और लाखों-लाख आंदोलनकारियों का अपमान बताया गया। जनसंगठनों की महापंचायत की बैठक में देहरादून की पवित्र नदी रिस्पना तट पर अतिक्रमण कर बनाए गए भवन से विधानसभा का संचालन को आंदोलन की अवधारण पर ही अतिक्रमण की संज्ञा प्रदान की गई।
जनसंगठनों की महापंचायत में सरकार को चुनौती दी गई है कि वह उन शासनादेशों को प्रदेश के आंदोलनकारियों और आम जनता को दिखाए जिनके द्वारा प्रदेश की राजधानी का संचालन देहरादून से किया जा रहा है। जनसंगठनों की महापंचायत की बैठक में एक सुर में सर्वसम्मति से प्रदेश की एकमात्र व स्थाई राजधानी गैरसैंण बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया।
जनसंगठनों की महापंचायत की बैठक में उत्तराखंड प्रदेश गठन के पिछले 18 वर्षों में राज्य में सत्ता में बनी विभिन्न सरकारों द्वारा राजधानी गैरसैंण और अस्थाई राजधानी देहरादून दोनों के पक्ष में लिए गए शासकीय निर्णयों, बजटीय आवंटन, शासनादेशों , चर्चाओं, आदि पर एक वृहद ‘श्वेत-पत्र’ की मांग की गई। जनसंगठनों की महापंचायत की बैठक में पिछले 18 सालों में गैरसैंण पर हिला-हवाली के लिए सत्ता में रहे सभी दलों जिसमें भाजपा, कॉंग्रेस और उक्रॉंद भी सम्मिलित है, को बराबर का दोषी करार दिया गया और इसका कड़ा जनप्रतिकार (राजनीति से ऊपर उठकर) करने का निर्णय लिया गया।
जनसंगठनों की महापंचायत की बैठक में सरकार में रहे सर्व नौकरशाहों और राजनतिज्ञों से पूछा गया कि किस वजह से आज प्रदेश की जनता के ऊपर 50 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज आया हुआ है, कि सरकार को वेतन-भत्ता आदि तक कर्ज लेकर देने की नौबत आ खड़ी हुई है। जनसंगठनों की महापंचायत में सरकार से पूछा गया कि वह झूठ का आंकड़ा देकर ढींगे हाँकना बंद करे,, क्योंकि प्रदेश की प्रत्येक सरकार के निर्णय जहॉं प्रदेश को भारी कर्ज में ढुबो चुके हैं, वहीं यह सरकारी दावे कि प्रदेश में प्रत्येक व्यक्ति औसत आय लाखों में पहुंच चुकी है, सरासर झूठे और खोखले हैं।
जनसंगठनों की महापंचायत ने कहा है कि अब जनता का मौन धारित बने रहना न केवल मुर्खता होगी बल्कि राज्य विरोधी भी रहेगा, इसलिए खुलकर आगे आना ही होगा, ताकी प्रदेश को भ्रष्टों से मुक्ति दिलाई जा सके, और लूट की मिलिभगत को जेलों में ठूंसा जा सके। जनसंगठनों की महापंचायत में कहा गया कि हमारा सपना था कि हम उत्तराखंड को राष्ट्र के मुकुट की शान की तरह उत्तराखंड को सवर्णिम राज्य बनाएंगे, लेकिन राज्य अवधारणा विरोधी नितियों ने प्रदेश को अंधकार की ओर धकेल दिया है।
जनसंगठनों की महापंचायत में निर्णय लिया गया है कि उत्तराखंड में राज्य आंदोलन से भी तीखा और प्रखर आंदोलन गैरसैंण राजधानी बनाने और राज्य की दशा और दिशा ठीक करने के लिए चलाया जाएगा, और इसमें जो भी कुर्बानी राष्ट्र और राज्य हित में देनी पडे, वह दी जाएगी।
जनसंगठनों की महापंचायत में गैरसैंण विरोधी बयान देने के लिए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष श्री अजय भट्ट जी, नेता प्रतिपक्ष श्रीमती इंदिरा हृदयेश जी और डा. हरक सिंह रावत जी के बयानों को पहाड़ विरोधी बयान की संज्ञा प्रदान की गई। और उनको याद दिलाने का प्रयास किया गया कि वह आज जिस मुकाम पर पहुंचे हुए हैं, उसका रास्ता पहाड़ों की विषमता में घूम-घूमकर वोट की भीख से ही उन्हें, जनता की कृपादृष्टि से, हासिल हुई है।
इन नेताओं को सलाह दी गई है कि अगर उनकी हड्डियों और संकल्प शक्ति में बुढापा समा गया है कि वह गैरसैंण का खुला विरोध करने लगे हैं तो वह आराम से अपने घरों में Thermal कंबलों के अंदर समय गुजारें और बेसिरपैर के बयान देकर राज्य अवधारणा के प्रारंभ प्रयासों को गतिहीन न बनाएं। जनसंगठनों की महापंचायत द्वारा इन तीनों नेताओं के लिए कंबल दान कार्यक्रम सत्र के दौरान आयोजित करने का निर्णय लिया, ताकी तीनों नेताओं को भविष्य में ससम्मान सेवानिवृत्ति उत्तराखंड की जनता दे सके। जनसंगठनों की महापंचायत में वर्ष 2026 तक विभिन्न चरणों में आंदोलन का कार्यवृत्त तैयार करने का बड़ा निर्णय लिया है। और संघर्ष स्थल पर 100 दिवस का धरना पूर्ण होने पर 25 दिसम्बर 2018 को *आर-पार रैली* निकालने का निर्णय भी लिया है।
जनसंगठनों की महापंचायत में कहा गया है कि उत्तराखंड राज्य हेतु 1994 का आंदोलन युवाओं द्वारा उत्तराखंड में शिक्षा के पक्ष में और रोजगार सुरक्षित रखने हेतु छात्र शक्ति द्वारा रचित आंदोलन था। जिसको महिलाओं, पूर्व सैनिकों और कर्मचारियों ने उनकी ढ़ाल बनकर सफल बनाया था। परंतु राज्य बनने के बाद इन सबकी बड़ी उपेक्षा होती आई है, अतः अब छात्रों और युवाओं को न केवल आंदोलन की कमान दी जाएगी बल्कि प्रदेश की सत्ता की बागडोर उन्हें सौंपने के विकल्पों पर भी ठोस रणनीति विकसित की जाएगी।
जनसंगठनों की महापंचायत ने सरकार में मंत्री बने नेताओं और पहाड़ों व तराई क्षेत्रों से जीतकर आए विधायकों से कहा है कि अभी भी देरी नहीं हुई है इसलिए वह अविलम्ब सदन में गैरसैंण को स्थाई व पूर्णकालिक राजधानी बनाने का प्रस्ताव लाकर पारित करवाएं, अन्यथा जनता का कोपभाजन बनने के लिए भी तैयार रहें।
गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान के तत्वाधान में आयोजित जनसंगठनों की महापंचायत में भागीदारी करने वाले संगठनों में गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान, गैरसैंण स्थाई राजधानी संघर्ष समिति, उत्तराखंड महिला मंच, उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच, नेताजी संघर्ष समिति, युवा आह्वान, हमारा उत्तरजनमंच (हम), धाद, उत्तराखंड पूर्व सैनिक एवम् अर्द्ध सैनिक संयुक्त संगठन, उत्तराखंड जनमंच, उत्तराखंड विकल्प : A4U, आर्यव्रत फाउंडेशन, उत्तराखंड फुटबॉल रैफरी एसोसिएशन, राठ शिक्षा स्वास्थ्य एवम् शिक्षा संस्था, उत्तराखंड चिन्हित आंदोलनकारी संगठन, बी. एड. प्रशिक्षित बेरोजगार संगठन, नई दिशा जनहित ग्रामीण विकास समिति, ओहरे संगठन, आरटीआई लोक सेवा, गुरिल्ला संगठन* आदि रहे| जनसंगठनों की महापंचायत में विचार रखने वाले वक्ताओं में *सचिन थपलियाल प्रकाश गौड़, देवेन्द्र रावल, सुमन नेगी, एड. वी.पी. नौटियाल, कर्नल (डा0) डीपी डिमरी, रणवीर चौधरी, श्रीमती कमला पंत, ए.पी. जुयाल, मनोज ध्यानी, लुसून टोडरिया, जबर सिंह पावेल, पीसी थपलियाल, राधाकृष्ण पंत ‘प्रयासी’, भाष्कर डिमरी, प्रदीप सती, प्रदीप कुकरेती, भार्गव चंदोला* आदि रहे| इसके अतिरिक्त *जनसंगठनों की महापंचायत* में बडी तादाद में भागीदारी करने वालों में राज्य आंदोलन के सिपाही भी रहे जिनमें राजेन्द्र शाह, सुलोचना भट्ट, बिजेन्द्र रावत, ब्रह्मानंद डालाकोटी, चंद्रभानू भट्ट, विजय लक्ष्मी गुसांई, सुभाष त्यागी, ओमी उनियाल, गीता बिष्ट, विजय जुयाल, सुमित झिंकवाण, पुष्कर नेगी निर्मला बिष्ट, द्वारिका बिष्ट, डा0 संजय प्रकाश भट्ट, सुरेश नेगी, समर भण्डारी, कुलदीप डोबरियाल, शकुंतला गुसांई आदि रहे|
जनसंगठनों की महापंचायत* के जनगीत को सफल बनाने व पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने में विशेष योगदान देने वालों में लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल, मनोज ध्यानी, सुमन डोभाल काला, ज्योत्सना असवाल, इंजीनियर आनंद प्रकाश जुयाल, संजय थपलियाल, हर्ष मैंदोली, कृष्ण काँत कुनियाल, राकेश सती, सोहन रावत, सुभाष रतूडी प्रमुख रहे| *जनसंगठनों की महापंचायत* की बैठक के संयोजक मदन सिंह भंडारी और सचिन थपलियाल रहे| *जनसंगठनों की महापंचायत* के प्रथम सत्र का संचालन मनोज ध्यानी और द्वितीय सत्र का संचालन पीसी थपलियाल ने किया|