मदन मोहन ढौंडियाल
उत्तराखण्ड राज्य के निर्माण में जिस प्रकार उत्तराखण्ड के लोगों की इच्छाशक्ति रही वहीँ दूसरी तरफ समकालीन सत्तासीन लोगों को उत्तराखण्ड /उत्तराँचल एक मजबूरी थी। जनभावनाओं को भांपते हुए उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने अपने शासन काल में इस मुद्दे का उत्तरप्रदेश से राजनीतिक लाभ लिया तो बीजेपी ने जनभावनाओं को देखते हुए इसको उत्तराखण्ड में भुनाया। धूर्तों की शातिर राजनीतिक चाल अगर इसे कहा जाय तो अतिशयोक्ति नहीं होगी , और दूसरी तरफ देश की जनता को मूर्ख बना कर यह लोग अपना राजनीतिक आधार मजबूत करते रहे । इसका सबसे अधिक खामियाजा उत्तराखंड के लोगों ने उठाया क्योंकि आज भी उत्तराखंड वही खड़ा है , जहाँ सत्रह वर्ष पहले खड़ा था। देश भक्ति के नाम पर सिर्फ अपना लाभ सामने रख कर राजनीतिक गितिविधियाँ अधिक करने वाली नोटंकी अब लोगों के सामने आ रही है । उत्तराखण्ड आंदोलन के निस्वार्थ आंदोलनकारियों और शहीदों की हार्दिक इच्छा थी, राज्य की स्थाई राजधानी गैरसैण बने, देहरादून को तब तक स्थाई रखा जायेगा, जब तक गैरसैण में मूल भूत सुविधाओं का विकास न किया जाय। राज्य को बने सत्रह वर्ष पूरे होने जा रहे हैं ,उसके बाद भी उत्तराखण्ड की तथाकथित हितैषी राजनीतिक पार्टी बीजेपी का मेन्युफेस्टो पढ़ कर आप भी अंदाज लगा सकते हैं , वे उत्तराखंड पर अपना दृष्टिकोण कैसा रखते हैं ,
जो इस प्रकार है – Suitable infrastructural facilities will be created at Gairsain and consideration will be given to announcing it as the summer capital of the state by evolving a consensus over the subject.
अगर पहाड़ी बोलता है बीजेपी पहाड़ बिरोधी और गैरसैण बिरोधी है ,तो इसमें उनकी कोई गलती नहीं है ,यह तो स्वभाविक है ,जब उनकी पार्टी इस प्रकार के मैनुफेस्टो बनाती है स्वाभाविक है , आंदोलनों के लिए मार्ग खुल चुके हैं। बीजेपी के इस मेन्युफेस्टो ने सिद्ध कर दिया है कि बीजेपी को अपने राजनीतिकी लाभ से मतलब है , शहीदों की आकांक्षाओं की उसको कोई परवाह नहीं है। गैरसैण स्थाई राजधानी का बिरोध कर बीजेपी ने अपने इस मेन्युफेस्टो से सिद्ध कर दिया है , गैरसैण बिरोधी होने के साथ बीजेपी उत्तराखण्ड बिरोधी भी है। अगर भारतीय जनता पार्टी को रामपुर तिराहे का इतना ही दर्द है तो- बीजेपी रामपुर तिराहे वाले न्याय के लिए क्यों आगे नहीं आयी , क्यों बीजेपी रामपुर तिराहे के अपराधियों को सजा दिलाने में राजनीती करती है ,या रामपुर तिराहे के राजनीतिक अपराधियों को क्यों खुला छोड़ कर रखा है। यह सब प्रश्न बीजेपी को जनता के कटघरे में खड़ा करते हैं। गतवर्ष की राजनीतिक उठापटक भी सिद्ध कर चुकी है बीजेपी राज्य में राजनीतिक अस्थिरता बना कर , सिर्फ पहाड़ से राजनीतिक लाभ ले कर अपने को मजबूत कर रही है। क्या बीजेपी के पास कोई उत्तर है जो दलबदलू बागी, बदनाम कांग्र्रेस से बीजेपी में गए , क्या उनके पास (बीजेपी के पास ) कोई पवित्रीकरण की कोई मशीन लगी है, या वे साफ़ नदी को प्रदूषित करने में लगे हैं। क्यायह रसातल में पहुंची केंद्र में कांग्रेस का जैसा मार्ग नहीं है ?
इसके अलावा लोगों के पास कई अनसुलझे प्रश्न है जैसे
1- गंगा सफाई का क्या हुवा ?
2- स्वच्छ भारत अभियान सिर्फ प्रचार मात्र के लिए था ?
3- कालेधन का क्या हुवा ?
4- आप नदियों को जोड़ कर नई क्रांति ला रहे थे उसका रोडमैप सिर्फ सेठ लोगों के लॉकरों में बंद है ?
5- आपकी पार्टी उत्तराखंड में गैरसैण का स्थाई राजधानी के दर्जा देने बिफल क्यों है , क्या इसके लिए पहाड़ियों को नया आंदोलन करना पड़ेगा ?
6- कुम्भ मेले का जब जिक्र आता है तो आप चुप क्यों हो जाते हैं ?
7- उत्तराखंड से पलायन तथा तीन देशों की सीमा वाले इस राज्य में आपका सुरक्षा के लिए क्या रोडमैप है ?
8- देहरादून को पहाड़ी माफिया नगरी क्यों कहते हैं और इस पर अपने क्या सोचा है ?
9- टेहरी डाम की बिजली , उत्तराखंड से निकलने वाली नदियों पर आप राज्य की जनता को न्यायपूर्ण हक़ दिलाने में क्यों असफल रहे जबकि केंद्र में आपकी सरकार है।
10 – आपके नेता कहते आये हैं राजनीतिक अपराधियों को , घोटालेबाजों को और भ्रष्टाचारियों को जेल तक पहुंचायेगे , आपने जिनपर आरोप लगाए हैं वे क्यों खुलमखुल्ला घूम रहे हैं ?
11 – जम्मू कश्मीरी की धारा ३७० का क्या हुवा अगर आप इसे समाप्त नहीं कर सकते तो उत्तराखंड को भी ऐसी ही सुबिधा चाहिए जैसे धरा ३७१ हिमाचल में है या सेक्शन १८ की संबिधान में व्यवस्था है।
मेरा पिछला इतिहास आजाद भारत कांग्र्रेस (जो नेताजी सुभाष चंद्र के मार्ग को आदर्श मानती है ) से पहले , बीजेपी समर्थन में रहा, लेकिन ऊपर लिखे विषयों पर बीजेपी की शून्यता से मुझे यह लिखने को मजबूर कर दिया है। अगले अनुच्छेद में बीजेपी को उत्तराखंड पर निशुल्क राय दूंगा ताकि वे देवभूमि को पवित्र करने में अपनी भूमिका निभा सकें। लेकिन वहां पैसे वाले बुद्धिजीवियों की बहुत बड़ी भीड़ है , फिर भी यह मेरा अभियान देशहित में चलता रहेगा।
जय भारत जय उत्तराखंड।
(लेखक एक भूतपूर्व सैनिक भारतीय सेना तथा सेवानिवृत अधिकारी अर्द्ध सैनिक बल , गृह मंत्रालय , भारत सरकार) , प्रान्तीय अध्यक्ष आजाद भारत कांग्रेस , उत्तराखंड राज्य , एवं सह संयोजक उत्तराखंड थर्ड फ्रंट, उत्तराखण्ड।