UTTARAKHAND

भाजपा हाईकमान राज्य सरकारों को अस्थिर करने का करता है कार्य : हरीश रावत

पूर्व सीएम हरीश रावत ने लगाए भाजपा हाईकमान पर गंभीर आरोप

पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा पर गैरसैंण  के अपमान का भी लगाया आरोप

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

हरदा ने पिछले  24 घंटे में किए दो ट्विट 

उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दो-दो बार ट्वीट कर भाजपा पर करारा तंज कसते यहां तक कह दिया कि जो कांग्रेस से बगावत करके गए वो ऐसे बैल हैं, जो फसल को उजाड़ने के साथ ही हमले भी करते हैं। अब भाजपा ही भुगते। भाजपा ने जैसा किया वैसा ही काटना पड़ेगा। 
देहरादून : उत्तराखंड के इतिहास में शनिवार को बड़ी अजीब घटना हुई राज्य सरकार ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में बजट पर चर्चा कर रही थी कि अचानक दिल्ली से भाजपा हाईकमान के द्वारा भेजे गए Observers ने Chief Minister सहित सभी Cabinet Ministers and MLAs को Gairsain से Dehradun तलब कर लिया इसका नतीजा यह हुआ की बजट बिना चर्चा के ही पास कराना पड़ा। जिससे तमाम तरीके की राजनीतिक चर्चाओं ने जन्म लिया और खास तौर पर पूरे देश में मृत पड़ी कांग्रेस को एक संजीवनी देने का कार्य भाजपा हाईकमान ने जाने अनजाने में कर दिया।
इस पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक समाचार चैनल ”आज तक” के संवाददाता दलीप राठौर से बातचीत में भाजपा पर चुटकी लेते हुए कहा है कि भाजपा हाईकमान हमेशा से राज्य सरकारों को अस्थिर करने का कार्य करता है। उन्होंने अपनी सरकार का हवाला देते हुए कहा कि जिस तरीके से हमारी संवैधानिक सरकार को गिराने का कार्य उस समय भाजपा ने किया था ,ठीक इसी तरीके से वर्तमान समय में भी त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार को अस्थिर करने का कार्य BJP high command कर रहा है। अंतर सिर्फ इतना है कि मैं कांग्रेस का था और त्रिवेंद्र सिंह रावत स्वयं भाजपा के हैं।

साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा हाईकमान पर गैरसैंण का अपमान करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब कोई राज्य सरकार अपना बजट प्रस्तुत करती है तो वह किसी राज्य का एक वर्ष का लेखा-जोखा होता है। इस बजट में राज्य के निवासियों की बहुत आशाएं टिकी होती हैं। बजट बहुत ही विकट परिस्थितियों में बिना चर्चा के पास किया जाता है लेकिन जब राज्य सरकार पूर्ण बहुमत में हो और तब बिना चर्चा के बजट पास कराना पड़े तो किसे दोष देना चाहिए, अब यह जनता तय करेगी।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत वित्त मंत्री भी हैं। आनन-फानन में जिस तरीके से हाईकमान के द्वारा भेजे गए पर्यवेक्षकों ने मुख्यमंत्री सभी मंत्रियों और भाजपा विधायकों को देहरादून तलब किया और Government machinery का दुरुपयोग करते हुए Helicopter से मंत्री और विधायक देहरादून लाए गए, यह राज्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है। हरीश रावत की माने तो भाजपा हाईकमान ने विपक्ष को एक मुद्दा दे दिया है और अगर सत्ता परिवर्तन होता है तो यह चुनाव में बड़ा मुद्दा बनेगा कि अगर सरकार सही कार्य कर रही थी तो मुख्यमंत्री का चेहरा क्यों बदला गया। वही राजनीतिक पंडितों का कहना है कि भाजपा हाईकमान मुख्यमंत्री का चेहरा बदलता है तो निश्चित तौर पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को बढ़त मिलने की संभावना है। अन्यथा वर्तमान सरकार के सामने विपक्ष गौण है और आपसी गुटबाजी में बटा हुआ है।
गौर करने वाली बात है कि जन भावनाओं के अनुरूप कार्य करने वाली सरकार का समय-समय पर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा खुले और बड़े मंच से त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार की पीठ थपथपाई गई है। तो ऐसे में अचानक केंद्रीय पर्यवेक्षकों को भेजकर भाजपा हाईकमान अपने पांव में क्यों कुल्हाड़ी मारना चाहती है, वह भी चुनावी वर्ष में? वही अगर राज्य का इतिहास खंगाले तो शुरुआत से लेकर आखिरी तक जब-जब आखिरी समय में भाजपा द्वारा सत्ता परिवर्तन जैसी घटनाएं की गईं हैं तो भारतीय जनता पार्टी को हमेशा से ही नुकसान उठाना पड़ा है। अब यह कहना आसान ना होगा कि अगर राज्य सरकार में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन होता है तो उसका खामियाजा 2022 के चुनाव में देखने को मिल सकता है।

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