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बड़ी ख़बर : 830 RL मीटर पहुंचा टिहरी डैम का जलस्तर, बिजली उत्पादन में बढ़ोतरी…

830 RL मीटर पहुंचा टिहरी डैम का जलस्तर, बिजली उत्पादन में बढ़ोतरी…

उत्तराखंड ।

टिहरी झील का पानी 830 आरएल मीटर के करीब पहुंच चुका है। इससे बिजली उत्पादन में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। विधुत उत्पादन में हो रही बढ़ोतरी को लेकर टिहरी बांध परियोजना के अधिकारियों में खुशी की लहर है। और टिहरी बांध को देखने आ रहे पर्यटकों ने की टिहरी डैम की बनावट को लेकर टिहरी बांध को बनाने वाले इंजीनियरों और अधिकारियों की तारीफ भी कर रहे हैं।

टिहरी झील का पानी 830 RL मीटर के करीब पहुंच गया है। इससे बिजली उत्पादन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। विद्युत उत्पादन में हो रही बढ़ोतरी को लेकर टिहरी बांध परियोजना के अधिकारियों में खुशी की लहर है और टिहरी बांध को देखने आ रहे हैं पर्यटकों ने टिहरी डैम की बनावट को लेकर टिहरी डैम को बनाने वाले इंजीनियरों और अधिकारियों की तारीफ भी कर रहे हैं।

टिहरी बांध परियोजना को देखने आए पर्यटकों ने टिहरी बांध को देखकर कहा कि टिहरी बांध बनाने वाले इंजीनियरों का कार्य काफी काबिले तारीफ है जिन्होंने ऐसा बांध बनाया जिसमें इतनी बड़ी मात्रा मैं पानी भरा है। यह बांध एशिया के सबसे बड़े बांधों मैं शुमार रखता है। टिहरी बांध परियोजना देखने में बहुत ही सुंदर है। यही कारण है कि पर्यटक यहां दौड़े चले आते हैं।

पर्यटकों का कहना है कि जितनी ज्यादा से ज्यादा छोटी से छोटी परियोजनाएं बनाई जाएगी उतना ही देश के लिए अच्छा होगा क्योंकि छोटी-छोटी परियोजनाओं को बनाने और उन्हें स्थापित करने में कोई समस्या नहीं आएगी साथ ही छोटी परियोजनाओं के बनने से कोई नुकसान भी नहीं होगा।

टिहरी बांध परियोजना के अधिशासी निदेशक एल पी जोशी ने बताया कि टिहरी झील का जलस्तर 830 RL तक उत्तराखंड सरकार की तरफ से अनुमानित बताया गया है और 1000 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रहे हैं टिहरी बांध से जो भी बिजली का उत्पादन होता है उसे डिमांड के अनुसार नौ राज्यों में भेजा जाता है।

एल.पी. जोशी ने बताया कि उत्तराखंड सरकार से उन्हें 830 तक परमिशन मिली है। वर्तमान में, वे लगभग 10 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन कर रहे हैं और ग्रिड को 1000 मेगावाट का पीकिंग सपोर्ट दे रहे हैं।

बता दें कि भारत का सबसे ऊंचा बांध उत्तराखंड राज्य के जिले टिहरी में है जिसे टिहरी बांध के नाम से जाना जाता है। इसके साथ ही एशिया में इसका स्थान दूसरा है। इस बांध को स्वामी रामतीर्थ बांध के नाम से भी जाना जाता है।

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