Uttarakhand

Tribute : नहीं रहे चित्रकला के बेताज बादशाह बी मोहन नेगी

  • कल्पना के रंग कविताओं में भरने वाला नहीं रहा 

  • चित्रकार व साहित्यकार बी मोहन नेगी को जंतर-मंतर पर भारतीय भाषा आंदोलन ने दी श्रृद्धांजलि

देहरादून । उत्तराखंड के विख्यात चित्रकार बी. मोहन नेगी अब हमारे बीच नहीं रहे। वह पिछले लंबे समय से हृदयरोग पीड़ित थे और इस रोग के चलते बीती रात दून के कैलाश चिकित्सालय में उन्होंने अंतिम सांस ली। उन्हें बीते रोज ही कैलाश अस्पताल लाया गया था। उनके निधन से साहित्य जगत और संस्कृति कर्मी खासे आहत हैं।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रख्यात चित्रकार श्री बी.मोहन नेगी के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने दिवंगत की आत्मा की शांति एवं दुःख की इस घड़ी में उनके परिजनो को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से कामना की है। 

बी.मोहन नेगी चुक्खूवाला स्थित अपने पैतृक आवास में रहकर पिछले एक माह से अपना इलाज करवा रहे थे। गत 27 सितम्बर को उनके छोटे बेटे का पौड़ी में विवाह हुआ। जिसके बाद रूटीन चेकअप के लिए दून आ गए। उन्हें थायराइड की समस्या थी। बाद में निमोनिया हुआ और बिगड़ गया। उनकी भतीजी सपना ने बताया कि नेहरू कॉलोनी में चारधाम हॉस्पिटल के डा. केपी जोशी से उनका नियमित इलाज चल रहा था, लेकिन बुधवार रात साढ़े नौ बजे हालत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया। इस बीच उन्हें ह्दयाघात भी हुआ। जिस पर परिजन उन्हें कैलाश अस्पताल ले गए।

उनका ईसीजी कराया गया, मगर स्थिति गंभीर होने पर चिकित्सकों ने उन्हें सीएमआई जाने की सलाह दी। ये सब हो पाता इससे पहले बी मोहन नेगी का निधन हो गया। उनके परिवार में पत्नी कल्पेश्वरी, पुत्र आशीष, अजय मोहन, बेटी हिमानी और शिवानी बिष्ट व उनके स्व.छोटे भाई हरिमोहन का परिवार हैं। जनकवि डा.अतुल शर्मा का कहना है कि बी मोहन नेगी ने मेरे पिता श्रीराम शर्मा की कविता श्रीदेव सुमन और मेरी कविता औरत की पीठ पर बंधा बच्चा है पहाड़.. पर सुंदर कविता पोस्टर बनाया। कई कवि सम्मेलनों में वह बगल में मौजूद रहे। उनसे मिलने का मतलब था कि हम बचपन की ओर लौट जाते। 

उमेश डोभाल स्मृति समारोह का आयोजन उनके चित्रों के बिना कभी नहीं हुआ।  वे अपने चित्रों, कोलाज और कविताओं के माध्यम से वे समाजिक बुराइयों और व्यवस्थागत खामियों कर बेबाकी से तंज कसते थे।

1983 से 84 में पोस्ट आफिस गोपेश्वर में सेवारत रहने के दौरान उन्होंने पहला पेंसिल चित्र बनाया था। उनके चित्रों को पहली बार राजेन्द्र टोडरिया संपादित हस्तलिखित “प्रयास” पत्रिका में छापा गया तब से वे निरंतर कला साधना में रहे। साहित्यकारों, पत्रकारों एवं अन्य लोगों ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।

वहीँ 26अक्टूबर को देश से अंग्रेजी की गुलामी से मुक्ति दिलाने व भारतीय भाषाओं को लागू करने की मांग को लेकर संसद की चौखट, जंतर-मंतर पर 56माह से आजादी की जंग छेड़ने वाले भारतीय भाषा आंदोलन ने बी मोहन नेगी को भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

भारतीय भाषा आंदोलन के अध्यक्ष देव सिंह रावत की अध्यक्षता में देश के अग्रणी आशुकवि बीरेंद्र नाथ बाजपेई,कवि पृथ्वी सिंह केदारखंडी, पत्रकार अनिल कुमार पंत, भारतीय भाषा आंदोलन के कोषाध्यक्ष सुनील कुमार सिंह, धरना प्रभारी रामजी शुक्ला, पूर्व दर्जाधारी मंत्री गणेश चंद्रा, रालोद के दिल्ली प्रदेश महामंत्री मनमोहन शाह, देवेंद्र कुमार, वेदानंद,कल्याण योग के स्वामी श्रीओम, रघुनाथ सिंह रावत, महावीर सिंह आदि ने दिवंगत व्यंगकार व चित्रकार को श्रृद्धांजलि अर्पित की।

 बी.मोहन नेगी  का परिचय 

  • बी मोहन नेगी (बृजमोहन सिंह नेगी)
  • जन्म स्थान : चुक्खुवाला, देहरादून
  • जन्म : 26 अगस्त 1952
  • मूल निवासी : पुंडोरी गांव, मनियारस्यूं पट्टी, पौड़ी गढ़वाल
  • पिता : भवानी सिंह नेगी
  • माता : जमना देवी
  • पत्नी : कल्पेश्वरी देवी
  • पुत्र : आशीष, अजय मोहन(विवाहित)
  • पुत्री : शिवानी, हिमानी(विवाहित)

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