EXCLUSIVEUTTARAKHAND

उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार के इन बड़े फैसलों ने विरोधियों के उड़ा दिए होश

जो राज्य हित में 20 साल में नहीं हुआ वह त्रिवेंद्र सरकार ने तीन साल में जो कर दिखाया

राज्य हित में कई बार सख्त फैसले लेने से भी नहीं हिचकिचाए त्रिवेंद्र 

उत्तराखंड में स्थानीय स्तर पर राज्य सरकार ने चलाई हैं रोजगार और स्वरोजगार के लिए बड़ी योजनाएं

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

देहरादून। उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार ने तीन साल में जो कर दिखाया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट केदारनाथ पुनरनिर्माण को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने त्रिवेंद्र रावत पर जो विश्वास जताया वे उसपर अब तक खरे उतरे हैं। आज केदारनाथ वर्ष 2013 में आयी आपदा के बाद का केदार नहीं रहा, प्रधानमंत्री के निर्देशन में और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के दिशानिर्देश में केदारनाथ धाम की अलौकिक छटा देखते ही बनती है , यही कारण है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को बदरीनाथ धाम के पुनर्निर्माण का जिम्मा सौंपा है।  अब राज्यवासी ही नहीं बल्कि देश और विदेश तक से आने वाले कहने लगे हैं जो कार्य राज्य हित में 20 साल में नहीं हुआ वह अब धरातल पर नज़र आने लगा है।
इतना ही नहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र जनहित में सख्त और अभूतपूर्व और पारदर्शी फैसले लेने के लिए जाने जाएंगे। कोविड-19 संक्रमण के दौरान देशभर में फंसे उत्तराखंड के निवासियों को उनके घरों तक पहुंचाने से लेकर तमाम संसाधनों और व्यवस्थाओं को जुटाने के लिए किए गए कार्यों को त्रिवेंद्र सरकार ने बड़ी बखूबी से पूरा किया। राज्य में युवाओं, मातृशक्ति, पूर्व सैनिकों के लिए रोजगार व स्वरोजगार की दिशा में भी बड़े कार्य हुए हैं। 
वहीं राज्य में आर्थिक गतिविधियों को फिर से गति देने की कवायद को काफी प्रशंसा मिल रही है। आइए जानते हैं त्रिवेंद्र सरकार के जनहित में लिए गए कुछ बड़े फैसले क्या रहे :- 
1. गैरसैंण(भराड़ी सैंण) को राजधानी बनाने का मुद्दा राज्य गठन से पहले ही मुखर था। सरकारें आती रही और जाती रहीं, लेकिन किसी भी मुख्यमंत्री ने गैरसैंण के मुद्दे पर दृढ़ इच्छा शक्ति नहीं दिखाई, जबकि गैरसैंण को हर विधानसभा चुनाव में भुनाया जरूर जाता रहा। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने घोषणा ही नहीं की, बल्कि गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की अधिसूचना भी जारी करा दी। इस फैसले को जनभावनाओं और राज्य निर्माण की मूल अवधारणा के अनुरूप मानते हुए प्रदेशभर में सम्मान दिया जा रहा है। 
2. उत्तराखंड को कोविड-19 संक्रमण की वजह से लॉकडाउन में आर्थिक गतिविधियां ठप हो गईं। कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए धन की कोई कमी न हो और राज्य में जनहित के कार्यों को भी गति मिलती रहे, के लिए त्रिवेंद्र सरकार ने एक और कड़ा फैसला लिया,वो है- राज्य में तमाम खर्चों पर रोक लगा दी। नई नियुक्तियों पर रोक लगा दी गईं। और भी ऐसे निर्णय लिए गए, जो हो सकता है कि अधिकारियों और कर्मचारियों को सही न लगें, लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संकेत दे दिए, राज्य हित में जो सही होगा, वही फैसला लिया जाएगा। 
3. राज्य में चारधाम यात्रा स्थानीय निवासियों के लिए आजीविका के प्रमुख स्रोतों में शामिल है। राज्य गठन के बाद से किसी भी सरकार ने यात्रा के बेहतर प्रबंधन की दिशा में कदम नहीं उठाए। 2013 की आपदा के बाद से इस दिशा में विचार जरूर हुआ, पर प्रबंधन फिर भी नहीं हो सका। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेश में चार धामों के साथ ही 51 बड़े मंदिरों के रखरखाव, प्रबंधन के लिए चारधाम देवस्थानम बोर्ड का गठन किया, जिसकी बड़ी भूमिका कोविड-19 के दौर में दिखाई दे रही है। 
4. उत्तराखंड में आयुष्मान भारत की तरह ही अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना की शुरुआत की गई, जिसमें प्रदेश के सभी परिवारों को सालभर में पांच लाख रुपये तक का निशुल्क इलाज उपलब्ध होगा। राज्य के समस्त परिवारों को सुरक्षा कवच देने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बना। अब तक दो लाख से ज्यादा लोग निशुल्क उपचार करा चुके हैं। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के क्षेत्र में यह बड़ा कदम है। 
5. उत्तराखंड में कोविड-19 पर नियंत्रण के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्वयं कमान संभाली। उन्होंने जनता से प्रतिदिन विभिन्न सोशल मीडिया माध्यमों पर संवाद स्थापित किया। इस दौरान जनहित में कड़े फैसले भी लिए।
6.उत्तराखंड सरकार ने लॉकडाउन के दौरान लोगों के कामकाज बंद रहने, विशेषकर श्रमिकों और अन्य दैनिक रोजगार वाले व्यक्तियों व परिवारों के लिए खाद्य सामग्री के पर्याप्त इंतजाम किए। पुलिस और विभिन्न सरकार व निजी संस्थाओं के सहयोग से इस कार्य को पूरी मुस्तैदी से निभाया गया। 
7.लॉकडाउन में देशभर में फंसे उत्तराखंड के निवासियों को राज्य तक लाने में केंद्र और विभिन्न राज्यों की सरकारों से बेहतर समन्वय ही नहीं बनाया, बल्कि राज्य ने उनका रेल किराया स्वयं वहन किया। बसों से भी लोगों को सभी मानकों को ध्यान में रखते हुए राज्य में लाया गया। 
8.मुख्यमंत्री रावत ने राज्य में बाहर से आने वाले लोगों से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के जोखिम का न केवल डटकर सामना किया, बल्कि लाखों लोगों को क्वारान्टाइन कराने की व्यवस्थाएं बेहतर समन्वय के साथ कीं। कोरोना वारियर्स की सुरक्षा के लिए सरकार के स्तर पर व्यापक व्यवस्थाएं की गईं।
9.राज्य के अस्पतालों व मेडिकल कॉलेजों को कोविड-19 से निपटने के लिए बहुत कम समय में संसाधनों से युक्त किया। राज्य में कोविड-19 रोगियों की देखभाल तथा इलाज के लिए पांच डेडिकैटेड कोविड अस्पताल, 10 हेल्थ सेंटर तथा 94 कोविड केयर सेंटर स्थापित किए गए। राज्य में आईसीयू की संख्या को 62 से बढ़ाकर 251 किया गया है। वेंटिलेटर्स कि संख्या को 37 से बढ़ाकर 113 किया गया। बाइपैप मशीनों की संख्या चार से बढ़कर 33 की गई।
10. उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं और संसाधनों को लेकर हमेशा सवाल उठाए जाते रहे। साल 2017 में जब त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाली, तब राज्य में 1031 डॉक्टर थे। तीन साल में राज्य में डॉक्टरों की संख्या बढ़कर ढाई गुना से भी ज्यादा 2600 के आसपास हो गई है।
11.कोरोना संक्रमण के दौरान 400 डॉक्टरों को नियुक्तियां प्रदान की गईं। हर जिला अस्पताल में आईसीयू की सुविधा है। दूरस्थ क्षेत्रों के लोगों को नजदीक के स्वास्थ्य केंद्रों में बैठकर विशेषज्ञों से इलाज कराने की सुविधा के लिए 35 अस्पतालों व स्वास्थ्य केन्द्रों में टेली मेडिसिन की सुविधा शुरू की गई है। 
12. कोविड-19 के कारण राज्य में रिवर्स पलायन हुआ। सबसे बड़ी चुनौती पलायन को रोकते हुए लोगों को उनके जिले, ब्लाक या गांव में ही स्वरोजगार, रोजगार उपलब्ध कराने का है। युवाओं, पूर्व सैनिकों, मातृशक्ति के लिए विशेष योजनाओं पर फोकस किया गया। मुख्यमंत्री ने इस चुनौती से निपटने के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया। 
13.उन्होंने राज्य के निवासियों को यहीं रोजगार देने का फैसला किया और इसको प्राथमिकता के साथ पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना की शुरुआत की। इस योजना के प्रचार प्रसार पर काफी जोर दिया जा रहा है। उम्मीद है कि यह योजना राज्य के अधिक से अधिक युवाओं को स्वरोजगार दिलाएगी। इसके तहत राज्य का कोई भी व्यक्ति अपना रोजगार शुरू करने के लिए ऋण ले सकता है, जिस पर 25 फीसदी तक सब्सिडी का प्रावधान है।
14.ग्रामीणों को स्थानीय संसाधनों से आजीविका चलाने, आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए प्रदेशभर में करीब 100 ग्रोथ सेंटरों की स्थापना की जा रही है। वहीं स्थानीय स्तर पर महिला स्वयं सहायता समूहों को मजबूत बनाने के लिए कई योजनाओं को शुरू किया गया।
15. सभी 13 जिलों में 13 नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन विकसित करने की शुरुआत मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की बड़ी उपलब्धि है। पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ- साथ स्थानीय स्तर पर रोजगार के साधनों को भी विकसित किया जा सकेगा। 13 जिलों में 13 नये थीम बेस्ड टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तहत टिहरी झील, गूलरभोज जलाशय, ट्यूलिप गार्डन प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं। 
16. पर्यटन से आजीविका तथा आर्थिक रूप आत्मनिर्भरता के लिए होम स्टे योजना पर काफी गंभीरता से प्रयास हो रहे हैं। रुरल टूरिज्म को मजबूती देने के लिए राज्य में 5000 होमस्टे बनाने का लक्ष्य है, जिसमे से अभी तक 2100 होम स्टे बनाए जा चुके हैं।
17. राज्य में उद्योगों और निवेश को विस्तार देने के लिए सिंगल विंडो क्लियरेंस सुविधा लागू है। 2018 में आयोजित इन्वेस्टर्स समिट ने देशभर के बड़े उद्योग समूहों का ध्यान उत्तराखंड की ओर आकर्षित कराया। यह बड़ा कदम मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की दूरदर्शिता और विजन को बताता है।
18.स्थानीय स्तर पर ही रोजगार व स्वरोजगार के संसाधनों के विकास के लिए इस कदम को काफी प्रशंसा मिली। इन्वेस्टर्स समिट में सवा लाख करोड़ रुपये के एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। अब तक 21 हजार करोड़ रुपये का निवेश विभिन्न प्रोजेक्ट में धरातल पर उतर चुका है। 
19. प्राकृतिक सौगात और बेहद शानदार लोकेशन के लिए दुनियाभर में ख्याति प्राप्त उत्तराखंड में फिल्म निर्माण की संभावनाओं पर त्रिवेंद्र सरकार ने काम किया और फ़िल्म नीति बनाई।
20.फिल्मकारों को कई तरह की रियायतें दी जा रही हैं, जिसका नतीजा यह हुआ कि तीन साल में राज्य में 250 से अधिक फिल्मों व सीरियल्स की शूटिंग हो चुकी है। इससे जहां स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिला है, वहीं राज्य में पर्यटन विकास में भी बड़ी मदद मिली है। 

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »