गौचर बना स्वच्छता सर्वेक्षण-2019 में देश का ”बेस्ट गंगा टाउन”
- पहली बार 1920 के दशक में मिली थी पहचान
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून । देश के चार हजार से ज्यादा शहरों के स्वच्छता सर्वेक्षण-2019 में उत्तराखंड में चमोली जिले के गौचर को सबसे स्वच्छ गंगा टाउन का खिताब से नवाज़ा गया है। गंगा के किनारे बसी तहसीलों को साफ-सफाई के आधार पर चयनित वर्ग में चुना गौचर को सबसे साफ कस्बे के रूप में पाया गया है, जो स्वच्छता के मानकों पर खरा उतरा है।
गौरतलब हो कि देशभर में स्वच्छता सर्वेक्षण-2019 के पुरस्कारों के लिए चार हजार से ज्यादा शहरों के स्वच्छता का सर्वे किया गया। इसके लिए दिल्ली से आई टीम ने उत्तराखंड राज्य में लंबा समय बिताया। इसके बाद टीम ने करीब एक हफ्ते तक अलग-अलग क्षेत्रों में हालातों को जांचा। देश के चार हजार से ज्यादा शहरों में सर्वे किया गया था। जिसके बाद शहरी विकास मंत्रालय ने अलग-अलग वर्गों में रैंकिंग जारी की। इसमें उत्तराखंड के गौचर को सबसे स्वच्छ गंगा टाउन चुना गया है।
बता दें कि स्वच्छता सर्वे में इंदौर लगातार तीसरी बार अव्वल आया है। सबसे स्वच्छ राजधानी में भोपाल पहले स्थान पर है। स्वच्छता सर्वेक्षण-2019 में 4237 शहरों का सर्वेक्षण 28 दिनों में किया गया। इस दौरान 64 लाख लोगों का फीडबैक लिया। सोशल मीडिया पर इन शहरों के 4 करोड़ लोगों से फीडबैक लिया गया।
गौचर शहर कर्णप्रयाग तहसील के अंतर्गत सात पहाड़ों से घिरा हुआ है। ये अपने ऐतिहासिक औद्योगिक व्यापार मेले (गौचर मेले) के लिए जाना जाता है। इस मेले में दूर-दूर से पर्यटक भी पहुंचते हैं। बेहद ही खूबसूरत गौचर पहाड़ी क्षेत्र में सबसे बड़े समतल स्थान पर है। अलकनंदा नदी के किनारे बसा ये शहर चारधामों में से एक बदरीनाथ धाम का प्रमुख पड़ाव भी है। इसके साथ ही यहां हवाई पट्टी भी अभी कुछ ही साल पहले बनी है, जिस पर यात्री विमान तो उतरते ही है साथ ही यह सेना के लिए भी काफी अहम है।
उल्लेखनीय है कि गौचर को पहली बार 1920 के दशक में पहचान मिली। उस वक्त देश के तत्कालीन वायसराय की पत्नी लेडी विलिंगडन यहां हवाई मार्ग से उतरीं। उसके बाद साल 1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ उनकी बहन विजया लक्ष्मी पंडित भी बदरीनाथ की निजी यात्रा के लिए हवाई मार्ग से यहां पहुंची थी। कहा तो यह भी जाता है कि नेपाल की महारानी ने बदरीनाथ यात्रा के दौरान यहां के खेतों में जब मवेशियों को फसल में चरने के कारण हुए ग्रामीणों के आपसी झगडे को देखा तो उन्होंने गौचर के इस खेतों के मैदान को मवेशियों को चरने के लिए खेत खाली कर खरीदने पेशकश क्षेत्र के ग्रामीणों से की जिसके बाद उन्होंने चांदी के सिक्कों में इन खेतों को खरीद मवेशियों के लिए छोड़ने के लिए इस स्थान का नाम गौचर रखा।
- इन शहरों को इन सात वर्गों में दिया पुरस्कार