- देहरादून दूरदर्शन केंद्र में प्रमुखता से दिखाई थी बागेश्वर के किसानों की मेहनत की खबर
देहरादून : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में उत्तराखंड के बागेश्वर जिले को तरजीह मिली। बागेश्वर जिले में किसानों द्वारा किये जा रहे प्रयासों को देहरादून दूरदर्शन केंद्र के राधवेश पांडेय द्वारा उठाया गया था। कार्यक्रम देखकर पीएम मोदी ने कहा कि बागेश्वर के किसानों की मेहनत देश के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने कहा कि किसानों के संगठित प्रयास से पलायन रुका है और उनकी मेहनत से उगने वाली फसल को संगठित होकर न केवल वैल्यू एडिशन के रूप में लिया है, बल्कि स्वरोजगार और आर्थिक सुधार में भी बड़ा कदम है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बागेश्वर जिले के कपकोट क्षेत्र में मंडुवा, चोलाई, मक्का, जौ की फसल को ग्रामीणों ने बाजार मूल्य अच्छा न मिलने से नई तरकीब ढूंढ़ी है। कपकोट के ग्रामीणों ने फसल को बाजार में बेचने की जगह इन फसलों से बिस्किट्स और दूसरे खाद्य पदार्थ तैयार किए हैं। लौह तत्वों से भरपूर यह क्षेत्र इन बिस्किटों के माध्यम से देशभर में स्वरोजगार के लिए उदाहरण बन गया है।
प्रधानमंत्री ने मुनार गांव में ग्रामीणों की पहल की तारीफ करते हुए कहा कि आजीविका, आर्थिकी और स्वरोजगार के क्षेत्र में ग्रामीणों के इस कदम को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने भी इस अभियान को राष्ट्रीय आजीविका मिशन से जोड़ दिया है। अब ग्रामीण संगठित होकर न केवल हर साल 10 से 15 लाख रुपए कमा रहे हैं, बल्कि 900 लोग रोजगार प्राप्त कर रहे हैं।
किसानों की यह मेहनत पलायन को कम करने में मील का पत्थर साबित हुआ है। उन्होंने बागेश्वर जैसे पहाड़ी क्षेत्रों के किसानों के संगठित प्रयास को देशभर के लिए प्रेरणा स्रोत बताया। साथ ही कहा कि इससे न केवल किसानों ने अपना बल्कि अपने क्षेत्र का भाग्य बदल डाला है।
वहीँ दूसरी तरफ मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया है कि उन्होंने “मन की बात“ कार्यक्रम में उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों में किसानों के प्रयासों को सराहा है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने कहा की प्रधानमंत्री जी के प्रेरणादायी शब्द निश्चित रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में किसानों का मनोबल बढ़ाएंगे और पलायन रोकने में कारगर साबित होंगे। प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश के किसानों की आमदनी दोगुना करने की दिशा में ठोस कार्य योजना लागू की है।
उन्होंने बताया बागेश्वर जिले में स्थानीय उत्पादों से बिस्कुट तैयार करने की योजना इसी का एक उदाहरण है। बद्रीनाथ धाम में इस तरह का प्रयोग शुरू किया गया था। यहाँ महिला स्वयं सहायता समूह ने मंडुआ, कुट्टू, चैलाई से मंदिर का प्रसाद तैयार किया और पिछले सीजन में 19 लाख रुपये का प्रसाद बेचा। इससे प्रत्येक महिला सदस्य को 30 हजार की आय प्राप्त हुई। इस देवभूमि भोग योजना को राज्य के 625 मंदिरों में लागू किया जा रहा है। इसी तरह चमोली जिले के सीमांत गाँव घेस में मटर की जैविक खेती को प्रोत्साहित किया गया। मटर की पहली कटाई में मुख्यमंत्री स्वयं घेस पहुँचे थे। आज इस क्षेत्र के किसान राज्य ही नहीं दूसरे राज्यों में भी बड़े मटर सप्लायर बन रहे हैं। मटर से यहाँ के किसानों की आमदनी में 5 से 8 गुना तक बढ़ोतरी हुई है। सरकार ने पिरूल से बिजली उत्पादन की नीति भी लागू की है। इससे ग्रामीण समुदाय विशेष रूप से महिलाओं के लिए आमदनी का जरिया बनेगा।
मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि इस नीति के द्वारा भी सफलता की कई कहानियाँ लिखी जाएँगी। खेती किसानी को प्रसंस्करण और मूल्य वर्धन से जोड़ना तथा कौशल विकास के द्वारा स्किल्ड मैनपावर सृजित करना इसी दिशा में उठाए जा रहे कदम हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की नीतियाँ ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और आर्थिक स्वावलंबन लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सभी न्याय पंचायतों को ग्रोथ सेंटर के रूप में विकसित करने का निर्णय इसी दिशा में एक कदम है। मात्र २ प्रतिशत ब्याज पर एक लाख रुपए तक का ऋण देकर छोटे किसानों को स्वावलंबी बनाया जा रहा है।