उड्डयन विभाग बड़ा या मुख्यमंत्री या मंत्री ?


राजेन्द्र जोशी
देहरादून : उत्तराखंड के नेताओं का हेलीकाप्टर प्रेम अब उन्ही के गले की फांस बनता जा रहा है नेता जहाँ जाना चाहते है नागरिक उड्डयन विभाग की इच्छा है वह उन्हें वहां उतारे या नहीं, बीते दिन मुख्यमंत्री के साथ हुई घटना ने सतपाल महाराज के साथ हुई दो घटनाओं की याद ताज़ा कर दी, प्रोटोकाल के तहत हेलीकाप्टर मिला भी वह भी दो इंजिन वाला लेकिन हेलीकाप्टर के पायलेट ने मंत्री जी को जोशीमठ में उतरा और खुद बिना DGCA की स्वीकृति के नंदादेवी बायोस्फेयर इलाके में घूमकर वापस देहरादून लौट आया बेचारे मंत्री जी और जिला प्रशासन सामने से उड़ता हेलीकाप्टर देखता रह गया।
वहीँ अब बीते दिन सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत को घण्डियालधार, पट्टी लोस्तु, कीर्तिनगर, टिहरी गढवाल में श्री घण्टाकर्ण देवता के मन्दिर का शिलान्यास करने पहुंचना था , हेलीकाप्टर वहां तक गया भी सभास्थल के चक्कर भी उसने काटे, लेकिन मुख्यमंत्री को सभास्थल का चक्कर मरवाकर लौट आया । जबकि जिला प्रशासन ने सभास्थल के पास ही हेलिपैड बनाकर तैयारियां पूरी कर दी थी लेकिन सूबे के नागरिक उड्डयन विभाग व पायलेट की इच्छा मुख्यमंत्री को वहां उतरने की नहीं हुई तो वह वहां मुख्यमंत्री के इंतजार में खड़े लोगों की खिल्ली उड़ाकर लौट आया।
इन तीन घटनाओं के देखते हुए यह साफ़ हो गया है कि सूबे का नागरिक उड्डयन विभाग और हेलीकाप्टर का पायलेट जानबूझकर सूबे के मुख्य लोगों के साथ कुछ न कुछ साजिश तो कर रहा है या वह सूबे के नेताओं को अपने से कमतर आंकता है या फिर वह जानबूझकर नेताओं को उनके गंतव्य तक न पहुंचाकर सूबे की जनता की खिल्ली उड़ाने का काम कर रहा है। ऐसा नहीं कि इससे पहले के मुख्यमंत्रियों के हेलीकाप्टर इस हेलिपैड पर नहीं उतरे हों ,एक जानकारी के अनुसार पूर्वमुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशक, खंडूरी, विजय बहुगुणा से लेकर हरीश रावत तक के हेलीकाप्टर यहाँ उतर चुका है ऐसे में केवल त्रिवेन्द्र रावत के हेली को यहाँ न उतरना किसी साजिश की शंका पैदा करता है।
चलिए मौसम ख़राब होने का भी ये बहाना बना सकते हैं लेकिन यदि मौसम ख़राब था तो हेलीकाप्टर वहां तक पहुंचा कैसे ? वहीँ हेलीपैड के सुरक्षित न होने का बहाना भी बनाया जा सकता है लेकिन मुख्यमंत्री या मंत्री जैसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों के कार्यक्रम अचानक तो नहीं बनाते उनके कार्यक्रमों की लगभग एक सप्ताह से पहले प्रोटोकॉल जारी हो जाता है तो ऐसे में सूबे के नागरिक उड्डयन विभाग का दायित्व नहीं बनता है कि वह ऐसे महत्वपूर्ण लोगों के जाने से पहले उन स्थानों की रैकी कर शासन को कार्यक्रम से पहले रिपोर्ट सौंपे , क्या जब किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति का कार्यक्रम हो उसी दिन रैकी का क्या औचित्य यह दलील किसी के भी समझ में नहीं आ रही।
कुलमिलाकर यह साफ़ लगने लगा है कि उत्तराखंड का नागरिक उड्डयन विभाग मात्र केदारनाथ हवाई सेवा के ही प्रचालन पर ही अपना फोकस किये हुए है वह भी तब जब वहां यात्रियों से खुले आम जेबकटायी की जा रही यही और यह विभाग चुप होकर बैठा रहा। वह तो भला हो रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन व जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल का जिन्होंने वहां हेली कंपनियों की लूट पर कड़ा कदम उठाया अन्यथा वहां यात्री लूटते ही रहते।
इतना ही नहीं अपर आयुक्त हरक सिंह रावत ने जब वहां तीन हेली कंपनियों को अवैध सञ्चालन करते हुए पाया और उनके खिलाफ कार्रवाही की गयी वहीँ सूबे के नागरिक उड्डयन विभाग की नाक के नीचे तीन हैली कम्पनियाँ वहां अवैध रूप से हेली प्रचलन करती रही और सूबे का उड्डयन विभाग कुम्भकर्णी नींद सोया रहा. मामला जब अख़बारों की सुर्खियां बना तब कहीं जाकर इस विभाग की नींद खुली, लेकिन VVIP लोगों के साथ उड्डयन विभाग का व्यवहार अब भी आश्चर्यजनक बना हुआ है।