एशिया की सबसे लंबी चेनानी-नाशरी सुरंग चमोली जिले के तीन जियोलॉजिस्ट ने बनायी
देहरादून : उत्तराखंड में होनहारों की कमी नही है। एशिया की सबसे लंबी सुरंग बनाने के लिए उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले के तीन जियोलॉजिस्ट का चयन केंद्र सरकार की ओर से चयन किया गया था।
जम्मू-कश्मीर में एशिया की सबसे लंबी चेनानी-नाशरी सुरंग के निर्माण में उत्तराखंड के 3 होनहार जियोलॉजिस्ट शामिल हैं। कुलदीप रावत, देवेंद्र रावत और जितेंद्र फरस्र्वाण एचएनबी गढ़वाल विवि श्रीनगर के बिड़ला परिसर से भूविज्ञान के छात्र रह चुके हैं।
सबसे खास बात यह है कि तीनों जियोलॉजिस्ट सीमांत जिले चमोली से ताल्लुक रखते हैं। गत 2 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर 9 किलोमीटर लंबी चेनानी-नाशरी सुरंग को राष्ट्र का समर्पित किया।
यह एशिया की सबसे लंबी सुरंग है। सुरंग निर्माण से जम्मू और कश्मीर के बीच 30 किलोमीटर की दूरी कम हो रही है। साथ ही बर्फबारी से राजमार्ग अवरुद्ध नहीं होगा। सुरंग निर्माण और सर्वेक्षण में शामिल टीम में उत्तराखंड के होनहार भी शामिल हैं।
आइएलएंडएफएस ट्रांसपोर्टेशन लि. में आदिबदरी के कुलदीप रावत एसोसिएट प्रोजक्ट मैनेजर (भूविज्ञान) और देवेंद्र सिंह रावत व श्री जितेंद्र फरस्वाण सहायक प्रबंधक (भूविज्ञान) के पद पर कार्यरत हैं।
तीनों के शिक्षक भूविज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर एमपीएस बिष्ट ने बताया कि वर्ष 2011 से काम कर रही थी। यह काफी बड़ा और महत्वपूर्ण प्रोजक्ट था। जिस पर देश-विदेश के इंजीनियरों की निगाह टिकी हुई थी। विवि के तीनों छात्रों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर की उपलब्धि हासिल की है। इससे गढ़वाल विवि सहित उत्तराखंड का मान बढ़ा है।
सुरंग में यह है खास……
-यह एशिया की सबसे लंबी सड़क सुरंग है। इसके खुल जाने से जम्मू और श्रीनगर के बीच सफर का समय करीब दो घंटे कम हो जाएगा।
-अगर दूरी की बात करें तो यह सुरंग जम्मू-कश्मीर की दूरी को करीब 100 किमी कम कर देगी
-यह सुरंग उधमपुर के चेनानी को कश्मीर के रमाबन जिले में स्थित नाशरी से जोड़ेगी।
-मौसम खराब होने पर अक्सर जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग बंद हो जाता है जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मौसम खराब होने पर भी यह सुरंग खुली रहेगी।
-कश्मीर घाटी से बारहों महीने संपर्क बनाए रखने में इस सुरंग से काफी मदद मिलेगी। व्यापार और पर्यटन के लिहाज से भी काफी फायदेमंद साबित होगी।
-23 मई 2011 को इस परियोजना पर काम शुरू हुआ। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने इसे करीब 3,720 करोड़ रूपये की लागत से तैयार किया।
-सुरंग की निगरानी के लिए इसके अंदर 124 सीसीटीवी लगाए गए हैं। सुरंग के अंदर पार्किंग की भी व्यवस्था है ताकि अगर कोई वाहन खराब हो जाए तो उसे पार्किंग में लगाया जा सके।
-इस सुरंग को बनाने में कुल 1,500 इंजिनियरों, जियोलॉजिस्ट्स और श्रमिकों की मेहनत लगी है।
-पूरी सुरंग में रंग-बिरंगी लाइटें लगाई गई हैं जो इसे एक अलग आकर्षण प्रदान करती हैं।