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नवयोग के प्रयास से पुरातत्व संस्कृति हो रही है जागृत : लोकसभा अध्यक्ष,ओम बिरला

कोविड के समय प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने में योग विज्ञान का रहा  महत्वपूर्ण योगदान : लोकसभा अध्यक्ष 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
नई दिल्ली : नवयोग सूर्योदय सेवा समिति एवं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय एवम् योग स्पोर्ट्स एसोसिएशन इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित स्वामी विवेकानंद जयंती 2021 के उपलक्ष्य में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा मोदी जी के नेतृत्व में विश्व योग दिवस की उपलब्धि ने सभी देशों में प्रसिद्ध हो गया है कोविड के समय प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने में योग विज्ञान का महत्वपूर्ण रहा उसमें भी नादयोग की परंपरा को विश्व में फैलाने के लिए नवयोग पद्धति का नया प्रयोग बहुत सराहनीय प्रयास है। उन्होंने कहा नवयोग के प्रयास से देश में पुरातत्व संस्कृति जागृत हो रही है । हम विश्व के अधिकतम देशों में नादयोग परंपरा को पहुचेंगे का काम करेगें । नादयोग के नए स्वरूप में देखते हुए इस भारतीय परंपरा को विश्व स्तर पर रखने की बात कही और कहा कि यह नया विषय हैं,और इसको सीखने की ललक हम सब में है वह जरूर आगे आने वाले भविष्य में सभी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करेगी,जिससे कि स्वास्थ्य सुख मानसिक सुख एवं आध्यात्मिक सुख हम सभी को प्राप्त होगा।
इसके साथ ही प्रोफेसर रमेश कुमार पांडे जी कुलपति श्री लाल बहादुर शास्त्री केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा अपने वक्तव्य में वेद के मंत्रों शास्त्र एवं साहित्य दर्शन तथा विशेष रूप से चार प्रकार की विधा परा ,पश्यन्ती, मध्यमा, एवं वैखरी इन चार प्रकार की विधा पर प्रकाश डाला ,और वेदों से इस प्रकार से हम नाद योग को और सही तरह से जान सकते हैं ।और उसको किस प्रकार से विश्व शांति हेतु उसका प्रयोग कर सकते हैं ।
उसके साथ स्वामी ब्रह्मदेव जी कुलपति महर्षि वैदिक विश्वविद्यालय त्रिनिदाद वेस्टइंडीज उन्होंने शब्द अक्षर ब्रह्म मानकर नाद योग की व्याख्या की और कहा, कि यह नाद केवल नाद होकर निनाद तक होगा। यह हर प्रकार के लोगों में, हर प्रकार के पशु पक्षियों में, हर प्रकार के जंतुओं में इसकी अलग-अलग प्रकार से मिलती है। उन्होंने विशेष रूप से रामायण पर प्रकाश डालते हुए अनेक प्रकार के नाद बताएं उन्होंने ब्रह्म नाद, राक्षसी नाद एवं वेदों में घन नाद इत्यादि का वर्णन किया।
विशिष्ठ अतिथि के रूप में इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र गखर ने कहा नादयोग से शांति , सहनशीलता और सुखी जीवन का आधार है । साथ ही अध्यक्षता करते हुए माखनलाल चतुर्वेदी जी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति के. जी. सुरेश जी ने संचार के माध्यम से नाद योग को जोड़ा उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से हम बाहरी संचार के माध्यम से लोगों से जुड़ते हैं इसी प्रकार की नाद से भी हम आंतरिक रूप से जुड़कर , हर किसी व्यक्ति विशेष और सुदूर रहे सभी प्राणियों की आरोग्यता की कल्पना कर सकते हैं।
मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए नवयोग पद्धति के जनक डॉ नवदीप जोशी ने कहा यह प्राचीन विद्या विश्व में प्रयोग होने वाले अनेक प्रकार की ध्यान विधियों से एक है ध्वनि की जटिलता के सागर में मूल ध्वनि ओंकार है इस सर्व व्यापक पवित्र ध्वनि के गुंजन का हमारे शरीर की नस नदियों में बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है व्यक्ति का मन शांत होकर व्यक्तित्व विकास होता है ।
अंतर्राष्ट्रीय वैविनार में माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर अविनाश , नवयोग शोध संस्थान के अध्यक्ष डॉ विक्रम सिंह, राधा बल्लभ योगाचार्य मंजरी, डॉक्टर नवीन कांडपाल, योगाचार्य सुखदेव सिंगापुर से राज भट्ट लंदन से योगाचार्य मोहन कार की योगाचार्य संजीव प्रोफेसर सरस्वती काला आदि लोगों के साथ 20 विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं सहित हजारों लोगों ने प्रतिभाग किया ।

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