NATIONAL
डॉ.स्वामी राम को 24वीं पुण्यतिथि पर दी गयी भावभीनी श्रद्धांजलि
स्वामी राम को उत्तर प्रदेश के सीएम योगी ने दी श्रद्धांजलि
सत्यमित्रानंद जी को मरणोपरांत स्वामी राम मानवता सम्मान
सत्यमित्रानंद ने कभी किसी के साथ छोटे-बड़े का भेदभाव नहीं किया : योगी
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
जन सेवा को समर्पित रहा डॉ. स्वामी राम का जीवन
डॉ. स्वामी राम को लोग एक संत, समाजसेवी, चिकित्सक और लेखक के रूप में जानते हैं। लेकिन इन सबसे इतर दुनिया उन्हें मानव सेवा के संदेश वाहक के रूप में भी जाना जाता है। वर्ष 1925 में पौड़ी जनपद के तोली गांव में स्वामी राम का जन्म हुआ।
किशोरावस्था में ही स्वामी राम ने संन्यास की दीक्षा ली। 13 वर्ष की अल्पायु में ही विभिन्न धार्मिक स्थलों और मठों में हिंदू और बौद्ध धर्म की शिक्षा देना शुरू किया। 24 वर्ष की आयु में उन्होंने प्रयाग, वाराणसी और लंदन से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद कारवीर पीठ के शंकराचार्य पद को सुशोभित किया। गुरु के आदेश पर पश्चिम सभ्यता को योग और ध्यान का मंत्र देने 1969 में अमेरिका पहुंचे।
1970 में अमेरिका में उन्होंने कुछ ऐसे परीक्षणों में भाग लिया, जिनसे शरीर और मन से संबंधित चिकित्सा विज्ञान के सिद्धांतों को मान्यता मिली। उनके इस शोध को 1973 में इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका ईयर बुक ऑफ साइंस व नेचर साइंस एनुअल और 1974 में वर्ल्ड बुक साइंस एनुअल में प्रकाशित किया गया।
स्वास्थ्य सुविधाओं से महरूम उत्तराखंड में विश्व स्तरीय चिकित्सा संस्थान बनाने का स्वामी राम ने सपना देखा था। उन्होंने अपने सपने को आकार देना शुरू किया 1989 में। इसी साल उन्होंने गढ़वाल हिमालय की घाटी में हिमालयन इंस्टीट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट की स्थापना की।
ग्रामीण क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने के मकसद से 1990 में रुरल डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (आरडीआइ) व 1994 में हिमालयन अस्पताल की स्थापना की।
प्रदेश में डॉक्टरों की कमी को महसूस करते हुए स्वामी राम ने 1995 में मेडिकल कॉलेज की स्थापना की। नवंबर 1996 में स्वामी राम ब्रह्मलीन हो गए।