UTTARAKHAND
पर्यटन नगरी ‘रानीखेत’ के वैभवशाली 150 वर्ष पूर्ण


रानीखेत (उत्तराखंड)। उत्तराखंड स्थित देश का सु-विख्यात रमणीक पर्यटन स्थल रानीखेत अपनी स्थापना के वैभवशाली 150 वर्ष पूर्ण कर चुका है। स्वर्गिक सुषमा से आच्छादित रानीखेत दशकों से देश-विदेश के सैलानियों के लिए मात्र आकर्षण का केंद्र ही नहीं रहा है, एक प्रेरणाश्रोत पर्यटन स्थल भी रहा है।
भारत के चौथे वायसराय लार्ड मेयो (1869-1872) ने जब प्रथम बार रानीखेत का भ्रमण किया, तो वह विलक्षण प्राकृतिक सुषमा के मुरीद हो गए। भारत की ग्रीष्म कालीन राजधानी को शिमला से रानीखेत शिफ्ट करने को उतारू हो गए। इस क्रम में उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों के साथ कई दौर की बैठके भी की। रानीखेत को रामनगर रेल लाइन से जोड़ने के लिए सर्वे करने का आदेश भी जारी किया। 8 फरवरी 1872 को एक अफगान शेरअली अफरीदी द्वारा उस्तरे से गोंद कर लार्ड मेयो की हत्या कर दी गई। असमय हुई इस मौत से, रानीखेत के लिए राजधानी और रेल दोनों स्वप्न बन कर रह गए।
रानीखेत मे प्रवासरत पर्वतारोही सैलानियों मे प्रथम एवरेस्ट विजेता शेरपा तेनजिंग नोर्गे का नाम भी पर्यटन नगरी के 150 वर्षो के इतिहास मे दर्ज है। सन 1936 मे ह्यू रत्नेज के नेतृत्व मे गए ब्रिटिश एवरेस्ट आरोहण के असफल लौटने के बाद, दो सप्ताह तक रानीखेत प्रवास मे रहे, शेरपा तेनजिंग नोर्गे को रानीखेत के उत्तर मे स्थित देवतुल्य विराट हिम शिखरों के रमणीक दर्शनों से जो प्रेरणा प्राप्त हुई, उसी के परिणाम स्वरूप उन्होंने मध्य हिमालय की 80 से 100 कि.मी. की चौड़ाई मे फैले उत्तराखंड के हिम शिखरों सहित 2400 कि.मी. की लंबाई मे फैले हिमालय की सौ से ज्यादा गगनचुम्बी चोटियों पर विजय पताका फहरा, उन चोटियों की सही ऊंचाई की माप का ज्ञान विश्व समुदाय को करवाया। साथ ही विश्व के विराट अविजित हिमशिखर एवरेस्ट को इस महान पर्वतारोही ने 39 वर्ष की उम्र मे फतह करने का गौरव हासिल किया।
सन 1936 से पूर्व तक विराट हिमालय की गगन चुम्बी चोटियों की वास्तविक ऊंचाई का पता किसी भी देश को ज्ञात नही था। रानीखेत पहुचे इस आरोही दल को माह जुलाई व अगस्त मे सर्वेक्षण विभाग के अधिकारी मेजर ओस्माइस्टन के साथ उत्तराखंड की सर्वाधिक ऊंची नंदादेवी शिखर की गोद मे सर्वेक्षण कार्य करना था।
एवरेस्ट विजय से पूर्व शेरपा तेनजिंग नोर्गे ने उत्तराखंड क्षेत्र के सौ से अधिक हिम पर्वत शिखरो मे साहस और हौसले के साथ सफल पर्वतारोहण कर अपने को जिस अभियान के लिए निरंतर तैयार किया था, उस अविजित विराट हिमशिखर एवरेस्ट पर विजय हासिल करने मे निः संदेह रानीखेत प्रवास मे हिमशिखरों के भव्य दर्शनों से मिली प्रेरणा से व मध्य हिमालय उत्तराखंड के बार-बार के आरोहणो व अभियानों मे मिली निरंतर सफलता के बल ही शेरपा तेनजिंग नोर्गे को उस योग्य बनाया कि उन्होंने अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि हासिल कर डाली। शेरपा तेनजिंग नोर्गे द्वारा एवरेस्ट विजय की इस ऐतिहासिक उपलब्धि को 2020 मे 67 वर्ष हो गए हैं।Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur.