देहरादून/रूड़की । शहीद राजा विजय सिंह स्मारक एवं कन्या शिक्षा प्रसार समिति की ओर से गांव कुंजा बहादुरपुर (हरिद्वार) में स्वतंत्रता संघर्ष के शहीदों की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू ने कहा कि देश के गौरवमई इतिहास से आम जनता को जानने नहीं दिया। 1857 की क्रांति के बारे में चार लोगों को ही पता है, लेकिन कुंजा बहादुरपुर गांव में क्रांति की शुरुआत 8 मार्च 1822 को हुई।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि उत्तराखंड का इतिहास वीरता से भरा हुआ है। 17वीं शताब्दी से ही यहां की नारियों ने भी विदेशी आक्रांता को भगाने का काम किया। आज भी उत्तराखंड के अंदर वीरता के एक से शौर्य गाथा हुई, लेकिन इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया।
उन्होंने कहा कि देश के सभी महानुभाव स्वतंत्रता सेनानियों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। इससे पहले उपराष्ट्रपति ने रुड़की के निकट कुंजा बहादुरपुर गांव में 1824 के स्वाधीनता संघर्ष के शहीद राजा विजय सिंह की प्रतिमा पर सादर पुष्पांजलि अर्पित की। इस पर उत्तराखंड सरकार को मंथन करना चाहिए। 12वीं कक्षा तक अपनी मातृभाषा का ज्ञान जरूरी होना चाहिए। अंग्रेजी भाषा आनी चाहिए, लेकिन मातृभाषा जरूरी आनी चाहिए। इस कार्यक्रम के बाद उपराष्ट्रपति देहरादून स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज पहुंचे जहाँ उन्होंने विश्वविद्यालय के 7वेँ दीक्षांत समारोह में शिरकत की। यहां आयोजित दीक्षांत समारोह में 13 स्टूडेंट्स को गोल्ड मेडल से नवाजा गया । जबकि 80 कोर्स के 3741 स्टूडेंट्स को डिग्री दी गई। इसमें 29 पीएचडी, 1215 ग्रेजुएट और 2497 पोस्ट ग्रेजुएट शामिल हैं। समारोह में 85 छात्रों को मेडल और ट्रॉफी दी गई। इससे पूर्व शनिवार सुबह उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू दिल्ली से देहरादून के जौली ग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंचे थे। जहां जॉलीग्रांट एयरपोर्ट पर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री धन सिंह रावत, प्रमुख सचिव उत्पल कुमार, डीजीपी अनिल रतूड़ी सहित मौजूद अधिकारियों ने पुष्पगुच्छ देकर उपराष्ट्रपति का गर्मजोशी से स्वागत किया। जॉलीग्रांट एयरपोर्ट से उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू एमआइ17 हेलीकॉप्टर से रुड़की रवाना हुए। उपराष्ट्रपति के दौरे को देखते हुए एयरपोर्ट के अंदर व बाहर सुरक्षा के बेहद कड़े बंदोबस्त किए गए थे।