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अल्पसंख्यक दर्जे की आड़ में अल-फलाह यूनिवर्सिटी! सुविधाओं से लेकर सुरक्षा जोखिम तक कैसे बना बड़ा सवाल…

अल्पसंख्यक दर्जे की आड़ में अल-फलाह यूनिवर्सिटी! सुविधाओं से लेकर सुरक्षा जोखिम तक कैसे बना बड़ा सवाल

नई दिल्ली: लाल किला धमाके की दाग झेल रही फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी गुर्प ने अपने अल्पसंख्यक दर्जे का जबरदस्त और नाजायज फायदा उठाया है। अल्पसंख्यक मंत्रालय और ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) से इसे अल्पसंख्यक संस्थान होने के नाम पर दनादन स्कॉलरशिप मिलती रही। केंद्र सरकार की अनेकों योजनाओं का लाभ दिया जाता रहा। जब भी कहीं कोई अड़चन आई राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग (NCMEI) इसके बचाव और समर्थन में कूद पड़ा।

अल्पसंख्यक दर्जे के नाम पर खाई मलाई!

ET को मिली जानकारी के अनुसार अल फलाह के पास यूजीसी से 12(B) का दर्जा प्राप्त नहीं है,ताकि इसे केंद्रीय अनुदान मिल सके। फिर भी इसने सरकारी योजनाओं का भरपूर फायदा उठाया है। 2016 में इसे केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय से 10 करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप प्राप्त हुई। जबकि, 2015 में इसे 2,600 स्टूडेंट के लिए 6 करोड़ रुपये मिले थे। इसे जम्मू और कश्मीर के स्टूडेंट की स्कॉलरशिप के लिए 2015 में ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन से भी 1.10 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे।

सरकारी योजनाओं का खूब उठाया फायदा

अल फलाह को 2014 में हरियाणा सरकार की ओर से प्राइवेट यूनिवर्सिटी का दर्जा प्रापत हुआ था। उस साल इसके 350 अल्पसंख्यक छात्रों को केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय की ओर से स्कॉलरशिप प्राप्त होने लगी। एक साल पहले यानी 2013 में ऐसे छात्रों की संख्या 1,144 थी। 2011 में यहां की प्रयोगशालाओं के लिए AICTE ने अलग से वित्तीय मदद पहुंचायी थी।

अल्पसंख्यक आयोग बन गया पालनहार

1997 में अल फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी की शुरुआत से ही इसे संविधान के अनुच्छेद 30(1) के तहत अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा मिल गया था और जब भी इसे फरीदाबाद के धौज गांव में अपना कारोबार बढ़ाने की जरूरत हुई, यह राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग (NCMEI) के पास पहुंचता रहा। 2007 में जब हरियाणा सरकार ने गैर-अल्पसंख्यक छात्रों के लिए अल फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में 40% सीटें रिजर्व करने को कहा, तो इसने इसे अपने अल्पसंख्यक दर्जे पर हमला बताया।

इसकी दलील थी कि आरक्षण नीति थोप कर इसका अधिकार और स्वायत्तता छीनने की कोशिश की जा रही है। अल फलाह ने जो चाहा, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग ने वैसा ही किया। इसने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए राज्य सरकार की कार्रवाई को अल्पसंख्यक संस्थानों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया।

अल फलाह को आतंक का अड्डा बनाने में मदद?

इसी संस्थान के अल फलाह स्कूल और अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट ने हरियाणा सरकार के 2010 में इसे डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा नहीं देने के खिलाफ अपील की तो 2011 में NCMEI ने इसके हक में फैसला सुनाते हुए कहा कि इसे एनओसी प्राप्त करने का पूर्ण हकदार है और सारी क्राइटेरिया पूरी करता है। इसी तरह 2012 में इसके एक और संस्थान ब्रॉन हिल्स कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के पक्ष में भी NCMEI ने हरियाणा सरकार के आदेश को दरकिनार किया।

आगे चलकर 2015 में अल फलाह ग्रुप ने फिर से NCMEI में शिकायत की कि राज्य सरकार इसे धौज में मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर स्थापित करने के लिए एनओसी नहीं दे रही है तो इसने न सिर्फ हरियाणा सरकार के मेडिकल विभाग को लताड़ लगाई, बल्कि अल फलाह की मर्जी वाला आदेश जारी कर दिया।

 

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